शादी का पहला सावन
शादी का पहला सावन

आज के दिन कविता अपने अतीत के दिनों की यादों में खो जाती है, कि जब सुनील के घर के लोग उसे देखने आने वाले थे। कविता की माँ उससे कह रही थी, कि बेटा आज तुम अच्छे से तैयार होकर रहना। कविता को जब माँ ने बताया। उसको तुमको देखने के लिए कुछ लोग आ रहे हैं। वो भी माँ के साथ तैयारियों में लग गयी थी। मगर मन में घबराहट और अजीब सा डर था। जैसे हर लड़की के मन में होता है। जब उसके रिश्ते वाले उसको देखने के लिए आते हैं। कविता घर की सफाई कर के अब अपने कमरे की सफाई कर रही थी। तब ही माँ की आवाज़ आती है। कविता कविता हाँ माँ आई।
कविता कहती है। माँ बोलो क्यों बुला रही थीं। बेटा ये ले कविता माँ क्या है ? क्या करूँ मैं इसका? बेटा जब वो लोग आएंगे। तब तू ये पहनना ठीक है। कविता घर का सारा काम करके नहाने चली जाती है।
शाम को उन लोगों के आने का था। जैसे जैसे उनके आने का समय पास आ रहा था। वैसे वैसे कविता की घबराहट बढ़ती ही जा रही थी। कविता के मन में अजीब सी हलचल मची थी। पता नहीं कैसे लोग होंगे। वो खुद कैसे होंगे।
भगवान सब कुछ अच्छा करना मेरे माँ बाबू जी की इज़्ज़त रख लेना। उसके मन ये सब चल ही रहा था। माँ कहती है। कविता बेटा अब तू तैयार हो जा। वो लोग आने ही वाले हैं। कविता तैयार होने लगती है। तब ही डोरबैल बजती है। कविता के मन की धड़कनें बढ़ जाती हैं। माँ कविता के बाबूजी दरवाज़ा खोलते हैं। सुनील के परिवार वाले आते हैं। आदर सत्कार किया जाता है। वो लोग कविता से मिलने को बोलते हैं। माँ कविता को बुलाती हैं। कविता चाय नाश्ता ले के आती है। सुनील की मम्मी बोलती हैं। कैसे हो बेटा और उससे बहुत अच्छे से बात करती हैं। सारी बातें होने के बाद सुनील की मम्मी बोलती हैं। सुनील कविता से कुछ बातें करना चाहता है। अगर आप लोग ठीक समझे तो क्या कविता बात कर सकती है। वो लोग बोलते हैं। फिर कविता और सुनील को बातें करने के लिए कविता के रूम में भेज दिया जाता है। सुनील कविता से कहता है। आप चुप और इतनी शांत क्यों हो कुछ तो बोलिये। और हाँ इतना भी मत घबराएं । आप मुझे अपना मित्र समझ के बात कर सकती हैं। वैसे आप के क्या क्या शौक हैं। बातें करते करते एक घण्टा हो जाता है। सुनील कहता है, "कि अब हमें चलना चाहिए। काफी देर बातें कर ली। आप सब बातें कर के बहुत अच्छा लगा। "
अब वो लोग चले जाते हैं। कविता की माँ कविता के बाबू जी से कहती है, "कि पता नहीं उनको हमारी कविता पसंद भी है। अब हमें भी उन लोगों का जवाब आते ही घर बार देखने जाने की तैयारी करनी चाहिए। "दो दिन बाद सुनील के घर से फोन आता है। भाई साहब हमें कविता बहुत पसंद आई। उसके बाबूजी खुश हो जाते हैं। अब कविता के माँ बाबूजी सुनील के घर जाने की तैयारी में लग जाते हैं। सुनील के घर जाने पर कविता की माँ बाबूजी का बहुत आदर सत्कार किया जाता है। कविता की शादी हो जाती है।
सुनील कमरे में आता है। कविता बेहद सुंदर लग रही है। बड़ी बड़ी आँखें , नाक पतली और छोटी , होंठ, गुलाबी और पतले, गर्दन सुराहीदार , कुल मिला के कविता सुंदर और सुशील दोनों थी। सुनील कपड़े बदलता है। कविता के पास आके उससे घूंघट हटाता है। कविता तुम को किसी तरह की कोई परेशानी तो नहीं है। कविता ना में गर्दन हिला देती है। सुनील के बहुत अच्छा और समझदार लड़का है। कविता से कहता है। चलो अपनी आँखें बंद करो। कविता बोलती है। क्यों? बस करो तो तुम बन्द कविता आंखें बंद कर लेती है। सुनील जेब से एक चैन टॉप्स का सेट निकालता है। कविता के गले में पहना देता है। कविता आँखें खोलती है सुनील मैडम अभी इसके साथ के ये टॉप्स भी हैं। कविता खुश हो जाती है। हँसते हुए कहती है। पहना दें ये भी आप। सुनील पत्नी को खुश देख बहुत खुश होता है। कहता है", कविता मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ। कविता जी कहिये सुनील जी सुनील कहता है। कविता बस मेरे माँ पापा का बहुत खयाल रखना बाकी वो दोनों बहुत अच्छे हैं। अगर तुम अच्छे से रहोगे, तो वो खुश रहेंगे। बाकी मेरा ख्याल रखना मत रखना। मगर उनको तकलीफ मत देना। " कविता की आँखों में आँसू आ जाते हैं। कविता कहती है। सुनील जी कैसी बातें करते हैं। मुझे पता नहीं है क्या की माँ और पापा जी अपने बच्चों के लिए क्या होते हैं। मैं अपनी तरफ से उनको खुश रखने की कोशिश जरूर करूँगी। मगर मुझसे कोई गलती हो जाये, तो माफ कर देना। क्योंकि अभी मैं यहां नई हूँ । समझने में समय लगेगा। बाकी कोशिश मेरी रहेगी। माँ पापा खुश रहें। और रही आपकी बात सुनील जी आप के वज़ह से तो हम हैं। फिर आप का खयाल हम क्यों नहीं रखेंगे। सुनील जी आप नहीं जानते हैं, कि आप हमारे सब कुछ हैं। ये सब सुन के सुनील बहुत खुश हो जाता है। सुनील कविता से कहता है। डार्लिंग अब आप कपड़े बदल लीजिये। मैं भी फ्रेश होकर आता हूँ। इस तरह कविता कपड़े बदल लेती है। रेड कलर के गाउन में कविता का गोरा रंग खिल रहा था। सुनील अब कविता की खूबसूरती में खो जाता है। अब सुनील कविता को अपने आगोश में भर लेता है। अब दो पवित्र आत्माओं का मिलान हो चुका होता है। सुबह कविता जल्दी उठ जाती है। सबको स्वादिष्ट नाश्ता कराती है। सबको कविता के हाथ का नाश्ता बहुत पसंद आता है। सब कविता को बहुत से नेग देते हैं। अब कविता की सासु माँ उसको टिकट देती हैं। सुनील कविता को शॉपिंग कराता है। दोनों दोपहर तक घूमने निकल जाते हैं। कश्मीर में आकर दोनों बहुत अच्छे अच्छे पिक्चर्स क्लिक करते हैं। कविता बहुत खुश थी। अपने पति के और ससुराल वालों के साथ जो सब कुछ वो चाहती थी। कविता को वो सब मिल गया था।
अब दोनों घूम के घर वापिस आते हैं। पग फेरे की रस्म पूरी होती है। दोनों की ज़िन्दगी खुशहाल व्यतीत हो रही थी। अब सावन आता है। कविता की सासुमाँ कविता को आवाज़ लगाती हैं। कविता बेटे सुनो। जी मम्मा बोलिये। बेटा सावन है। मैं तुम्हारे लिए साड़ी और ये धानी चूड़ी और गोल्डन और ऑरेंज चूड़ी लाई हूँ। एक सेट है। तुम्हारे हील्स हैं ये सब सामान तुम्हारे लिए। कविता पर मम्मा ये सब तो मेरे घर से आएगा। बेटे तुम्हारे ये बात सही है। मगर तुम अब इस घर की बेटी और बहू दोनों हो। तो अब ये सब हमारी जिम्मेदारी है। तुम मेरी बेटी हो अब मेरे बेटी नहीं हैं। तो क्या तुम मेरी बेटी नहीं बनोगी? ऐसा कह कर कविता की सासूमाँ की आंखों में आँसू आ जाते हैं। कविता भी रो पड़ती है। कविता बोलती है। आज से मैं आप की बेटी भी हूँ। अब आप ये सब मत कहना ऐसा बोल के वो अपनी सासुमाँ को गले से लगा लेती है। इतने में सुनील आ जाता है। दोनों को खुश देखकर वो खुश होते हुए, कहता है, क्या बात है? दोनों बड़ी खुश हैं। हमें तो मम्मा आप ने भूला दिया है। जब से आपकी बहु आई है। मुझे कोई पूछता ही नहीं है। सुनील को प्यार करती हैं। फिर सुनील से कहती हैं। फ्रेश होकर बेटा कविता को इसके घर मिलाने ले जाओ। कविता अपने कमरे में जाकर सुनील के कपड़े निकाल देती है। तभी कविता को सुनील आवाज़ लगाता है। कविता सुनील के कपड़े पकड़ा देती है। सुनील कविता से तैयार होते में बोलता है, "मैडम आपको शादी का पहला सावन मुबारक हो। "कविता और सुनील फिर दोनों मिलके हँसने लगते हैं। तभी एकदम से सुनील की आवाज़ आती है। कविता सुनील की आवाज़ सुन कर अतीत से बाहर आती है। कविता मन ही मन कहती है। कितने सुंदर पल थे। ये कहानी थी कविता और सुनील के शादी के पहले सावन की ।
धन्यवाद।

