'सच्चा ज्ञान'
'सच्चा ज्ञान'
दिनकराबाद नाम के एक नगर में एक व्यक्ति रहता था, उसका नाम था हरिहरन। वह बहुत पढ़ा लिखा था और उसे अपनी पढ़ाई पर बड़ा गमंड था, वह अनपढ़ लोगों से तो ढ़ंग से बात तक नहीं करता था। एक बार की बात है वह किसी काम से दूसरे नगर जा रहा था, रास्ता लंबा था इसीलिए वह सुबह जल्दी ही घर से चला। रास्ते में एक बहुत ही विशाल नदी पड़ती थी और उस नदी को नाव के द्वारा पार किया जाता था। शाम होते होते वह उस नदी किनारे तक पहुंच चुका था अब रास्ता ज्यादा लंबा नहीं बचा था बस नदी पार करना ही शेष था।
एक नाव वाले ने आदर पूर्वक हरिहरन का अपने नाव पर स्वागत किया, हरिहरन उस नाव पर बैठ गया और नाविक ने नाव को चलाना शुरू किया। उस समय नाव पर बस वही दोनों सवार थे।
हरिहरन अपनी विद्वता दिखाने के लिए उस नाविक से बोला - "तुमने कभी गणित पढ़ा है"
नाविक बोला - "नहीं साहब मैंने तो कभी नहीं पढ़ा"
तब हरिहरन बोला - " तब तो तुम्हारा जीवन बेकार है"
यह सुन नाविक कुछ नहीं बोला।
फिर हरिहरन बोला - "क्या तुमने कभी भूगोल पढ़ा है"
नाविक ने फिर जवाब दिया - " नहीं साहब वो क्या होता हैं मैं ये भी नहीं जानता"
यह सुन हरिहरन हंसने लगा और बोला - "तब तो तुम्हारा पूरा जीवन बेकार है"
इस बार यह सुनकर नाविक को झुंझलाहट तो हुई पर वह कुछ नहीं बोला।
तभी कुछ देर बाद अचानक से नदी की लहरों ने प्रचंड रूप ले लिया और नदी में बहुत ऊंची ऊंची लहरें उठने लगीं। यह देख वह दोनों घबरा गए।
नाविक बोला - " साहब लगता है ये तूफान है, मैंने आज से पहले इस नदी में ऐसा तूफान कभी नहीं देखा।"
दरअसल वो नदी हिमालय की तलहटी से निकलती थी तो अगर उसमें अचानक से तूफान आया भी तो मुमकिन था कि हिमालय का कोई बड़ा ग्लेशियर का हिस्सा अचानक से पिघलकर नदी में समा गया होगा जिससे कि नदी के पानी का स्तर अचानक से बढ़ गया।
परन्तु अब वह दोनों क्या करें यह उन्हें समझ नहीं आ रहा था।
नाविक कुछ सोचकर बोला - "साहब नदी की लहरें इतनी तेज है कि लगता है ये नाव अब कुछ ही देर में पलटने वाली है"
हरिहरन भौचक्का रह गया और बोला - "तो अब क्या करें"
नाविक बोला - "अब तो एक ही रास्ता है साहब अगर हम तैरकर कुछ दूर जो टीला दिख रहा है उस पर चढ जाएं तो हमारी जान बच सकती है।"
यह सुनकर हरिहरन रोने लगा और कहने लगा - " अरे! मुझे तो तैरना ही नहीं आता"
यह सुनकर नाविक हंसने लगा और बोला - "तब तो साहब आपने अपना पूरा जीवन यूं ही बेकार गवा दिया"
अब हरिहरन को एहसास हो चुका था कि हर किसी का अपना महत्व है और किसी को भी कम ज्ञान या अधिक ज्ञान के आधार पर मापा नहीं जा सकता।
रहीम जी का दोहा है कि ~
रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि.
जहां काम आवे सुई, का करे तरवारि.
हरिहरन यह बात बखूबी समझ चुका था कि सच्चा ज्ञान वही है जो समय आने पे काम आए।
कुछ ही देर में उनकी नाव पलट गई परन्तु नाविक ने तैरकर सुरक्षित हरिहरन को पास के टीले तक पहुंचा दिया और इस तरह दोनों की जान बच गई।
शिक्षा: सच्चा ज्ञान वही है जो समय पर काम आए।