सात जन्म
सात जन्म
शाम का वो हसीन नजारा।आसमान मानो समंदर में समा रहा था।किनारे पर बैठे वो दोनों ढलते सूरज की रोशनी में खो रहे थे।दीपक ने धीरे से आरती का हाथ अपने हाथ में लिया और कहा "आरती,मैं अपने जीवन की हर शाम तुम्हारे साथ ऐसे ही बिताना चाहता हूँ।बस ये साथ बना रहे इस जनम में मुझे कुछ नही चाहिये।"
आरती ने मुस्कुराते हुए कहा,"तुम जब और जिस पल मेरे साथ होते हो वो हरपल मेरे लिए सात जन्म के बराबर है।"
दीपक ने आरती के दोनो हाथ चूम लिए।उसके माथे पर हाथ रखा और दोनों की आँख में आंसू आ गए।दीपक ने प्यार से कहा, "पागल सात जन्म पूरे हो गए।"

