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Anandbala Sharma

Drama

2  

Anandbala Sharma

Drama

साँवली रंगत

साँवली रंगत

2 mins
309

मीनल की मम्मी नेहा हमेशा मीनल के साँवले रंग को लेकर परेशान रहती थीं। यों तो मीनल पढ़ी लिखी स्मार्ट सुन्दर लड़की है पर माँ का मन हमेशा सशंकित रहता। पता नहीं कोई अच्छा घर परिवार उसे पसंद करेगा या नहीं ? मीनल के पापा हमेशा समझाते -अरे, भाई गुणों की कदर करने वाले लोग भी दुनिया में हैं। हमारी मीनल के लिए भी कोई न कोई अच्छा परिवार मिल जाअगा। मीनल भी इन सब बातों से दूर अपनी दुनिया में मस्त रहती।

और फिर वही हुआ जिसका डर था नेहा को। जब विवाह की बातचीत शुरू होती तो सब कुछ सही होते हुए भी बात वहीं आकर रूक जाती अंजाम तक नहीं पहुँच पाती।   देखने दिखाने का सिलसिला चलता रहा। मन्सूबे यों ही बनते बिगड़ते रहे। 

मीनल के पापा भी निराश तो नहीं पर मायूस जरूर हो गए। मीनल बीच बीच में जरूर कहती-'अरे,छाड़ो न मम्मी पापा, नहीं करनी मुझे शादी 

वादी, मैं ऐसे ही ठीक हूँ।' कुछ दिनों की शान्ति के बाद फिर वही सब शुरू हो जाता। 

दिन यों ही गुजर रहे थे कि एक रात नेहा की बड़ी बहन का फोन आया कि उसकी सहेली का बड़ा बेटा मीनल से शादी करना चाहता है।एक पारिवारिक विवाह में वह उससे मिल भी चुका है। अच्छा सम्पन्न परिवार है। बस आपकी सहमति चाहिए।

यह सुनकर मीनल के मम्मी पापा की खुशी का ठिकाना न रहा। सबके हृदय कमल खिल उठे। मीनल की साँवली रंगत पर खुशियों का सुनहरा रंग छा गया।


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