रमन की चतुराई
रमन की चतुराई
एक बार की बात है हंसपुर गांव में एक बलदेव नाम का एक मुखिया रहता था। वह बहुत ही कंजूस किस्म का था और लोगों की भलाई के लिए पैसे खर्च करने से बचता था। एक बार उस गांव में बहुत सूखा पड़ गया जिससे लोगों को पीने के पानी के लिए बहुत दिक्कत हो रही थी।
गांव के लोग दूसरे गांव से पानी लाकर कुछ दिनों तक अपना काम चलाते रहे लेकिन उसके बाद उन्होंने भी पानी देने से मना कर दिया। इसके बाद गांव के लोग मुखिया के पास गए और उसको बोला आप गांव में एक कुआँ खुदवा दो जिससे गांव के लोग सूखे की स्थिति में उससे पानी पी सके।
मुखिया ने कहा कुआँ खुदवाने के लिए बहुत पैसे लगेंगे इतने पैसे मेरे पास नहीं है। यह कहकर वह चला गया। गांव में रमन नाम का एक चतुर लड़का रहता था। उसने गांव वालों से कहा हम गांव वालों को ही मिलकर कुआँ खोदना चाहिए। उसकी इस बात को सब गांव वाले मान गए। सभी गांव वालों ने पैसे इकट्ठे किये और कुआँ खुदाई का काम शुरू किया। कुछ दिन कुआँ खोदने के बाद नीचे कुएँ में एक बहुत बड़ा पत्थर आ गया। जिसके कारण कुआँ खोदने का काम रुक गया। पत्थर को तोड़ने के लिए और भी पैसों की जरूरत थी लेकिन जमा किये गए पैसे उसके लिए पर्याप्त नहीं थे। रमन ने गाँव वालों से कहा यह काम अब तुम मुझ पर छोड़ दो। रमन ने रात को जब कोई नहीं था तब आकर कुएँ में 5 – 6 पीपे तेल के उस कुएँ में डाल दिए।
सुबह जब गाँव के लोगों ने कुएँ में तेल देखा तो पूरे गाँव में यह बात फ़ैल गयी की कुएँ में से तेल निकल रहा है। जब गांव के मुखिया को यह बात पता लगी की कुएँ में से तेल निकल रहा है तो उसने लालच में गाँव वालों से कहा इस पत्थर को मैं तुड़वा देता हूँ और कुआँ भी पूरा मै खुदवा देता हूँ। इसके बाद उसने बाक़ी कुआँ खुदवाना चालू किया। कुछ दिनों में पूरा कुआँ खुद गया। मुखिया इसमें से तेल निकलने की उम्मीद कर रहा था लेकिन कुएँ में से पानी निकलने लगा। सब गाँव वाले पानी को पाकर बहुत खुश हुए। मुखिया को पता चल गया की किसी ने उसको बेवकूफ बनाया है। इस तरह रमन की चतुराई से गाँव वालों के पैसे भी बच गए और कुआँ भी खुद गया।
