लेखक : राजगुरू द. आगरकर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : राजगुरू द. आगरकर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
मुखिया ने कहा कुआँ खुदवाने के लिए बहुत पैसे लगेंगे इतने पैसे मेरे पास नहीं है मुखिया ने कहा कुआँ खुदवाने के लिए बहुत पैसे लगेंगे इतने पैसे मेरे पास नहीं है
डॉक्टर के तमाम बार आराम करने की हिदायत पर भी आस्था को आराम नसीब नहीं होता था। डॉक्टर के तमाम बार आराम करने की हिदायत पर भी आस्था को आराम नसीब नहीं होता था।
मेरी प्रकाश रूपी वास्तविकता, जानने की नि:संदेह तुझे है आवश्यकता। मेरी प्रकाश रूपी वास्तविकता, जानने की नि:संदेह तुझे है आवश्यकता।