रियली यू आर ग्रेट !
रियली यू आर ग्रेट !
आईटी इंजीनियरिंग में टाॉप करने वाली सीमा को अपने क्लासमेट रवि से प्रेम हो गया, रवि भी उससे उतना ही प्रेम करता था परिणाम स्वरूप अपने पेरेंट्स की रजामंदी से शादी कर ली। रवि की मां ने पहले थोड़ी ना-नुकुर की लेकिन इकलौते बेटे की ज़िद के आगे मां ने हथियार डाल दिए। सीमा स्वाभाव की बहुत अच्छी मगर सास के मापदंड पर खरी नहीं उतर पा रही थी कारण कई प्रकार के लोक-व्यवहार, रीति-रिवाज, नेगचार वगैरह उसकी समझ में ही नहीं आते थे, ये सब उसने आजतक नहीं देखे थे उसके मायके में तो ये सब एक तरह से फिजूल और ढकोसले थे। खैर फिर भी उसने पूरी निष्ठा से निभाने की कोशिश की और करती है लेकिन कुछ न कुछ उससे गलती हो ही जाती है, सास को लगता है - जानबूझकर करती है, इस वजह से सास-बहु के संबंधों में थोड़ी सी कटुता निर्माण हो रही थी यह सीमा भली भांति समझ रही थी। कुछ क्रियाएं ऐसी थी कि आदत न होने के कारण सब गड़बड़ हो ही जाती थी। अभी शादी को एक महीना ही हुआ है पर अब तक सीमा को सब टेढ़ी खीर लग रहा था। आज़ ही की बात है पूजाघर में बिना नहाए चली गई शक्कर लेने के लिए, रसोईघर का सामान वहीं रहता था, शीला की दृष्टि से पूजाघर में रसोई का राशन रखना शुभ होता है, बरकत होती होती है ! उसका मानना था कि उठते ही पहले नहा कर फिर किचन व बाकी कामों में हाथ लगाना चाहिए लेकिन घर के मर्दों के लिए यह जरूरी नहीं था,
बस किचन व पूजाघर में ना आएं बाकी चाय वगैरह पी सकते हैं ! वैसे भी औरतों में था ही कौन, सांस - बहु के अलावा ! हां, शादी में आए घर-परिवार के लोग थे लेकिन वे थे तो मेहमान ही ! शीला खुद रीति-रिवाजों के मामले में थोड़ी लचीली थी, चाहती थी जब तक मेहमान हैं बहु भी उसके नक्शे-कदम पर चले। सीमा बेचारी, खैर कुछ रीति-रिवाज, नेगचार उसे अच्छे लगते थे जैसे जब वो शादी होकर आई थी तब के नेगचार और गृहप्रवेश के बाद दूल्हा-दुल्हन को एक खेल खेलाया जाता है उसे जूआ कहते हैं ! बड़े थाल में पानी और दूध भरा जाता है उसमें दूल्हे की अंगूठी डाली जाती है उसे दूल्हा - दुल्हन दोनों एक साथ हाथ डालकर निकालने की कोशिश करते हैं अंगूठी निकालने के लिए जिसको पहले मिली वो जीत जाता है !
एक और खेल, इसमें रूई के फाहे एड़ी से चोटी तक बारी - बारी से रखे जाते हैं पहले यह क्रिया दुल्हन पर होती है दूल्हा उतारता है एक-एक करके। इसे सात बार दोहराया जाता है ! फिर दुल्हन की बारी होती है। इन सबको देखने में आनंद आता ही है पर दूल्हा-दुल्हन को भी मज़ा आता है ! इस के बाद नायन को नेग दिया जाता है।
जब एक दिन आए हुए रिश्तेदार घर पर नहीं थे तो शीला को सीमा ने अपनी परेशानी बताई, शीला ने समझाया - बेटा मैं दकियानूसी नहीं हूं बस अपने घर की परंपरा और रीति-रिवाज निभाती हूं इससे अपने पूर्वजों से जुड़े रहते हैं ! हालांकि अम्माजी के सारे रिवाज तो नहीं अपना पाई लेकिन जो वैज्ञानिक रूप से सही लगे वो ही अपनाएं हैं यह जो तुम्हें समझा रही हूं यह भी मुझे अम्माजी ने समझाया था, आज वे इस दुनिया में नहीं है लेकिन वे यहीं पर मौजूद हैं अपनी सोच के साथ, समझी ? अम्माजी के समय घूंघट का रिवाज था लेकिन उन्होंने कभी मुझपर थोपा नहीं था, मैं भी तुम पर थोप नहीं रही हूं जो ठीक लगे अपने जीवन में अपनाना,, फिलहाल जब तक रिश्तेदार हैं तब तक करने की कोशिश करना बाद में डिपेंड्स आॅन यूं, !
आज पहली बार सास के मुंह से अंग्रेजी सुनी तो आश्चर्य में भर गई, मम्मीजी आप, ? इतने में रवि आ गया अरे मेरी मां को कम मत समझना ( हंसते हुए ) अगर तू इंजीनियर है तो तेरी सास एडवोकेट, संभल के रहना !
लेकिन तुमने तो कभी बताया ही नहीं !
इश्कबाजी से फुर्सत मिलती तब ना ! शीला ने जोर का ठहाका लगाया रवि ने भी साथ दिया और सीमा झेंप गई !
मम्मीजी, आज आप इतनी लोजीकली समझा रहे थे तो पहले कभी क्यों नहीं ?
इसलिए कि मैं नहीं चाहती थी सब लोग मेरी बेटी की चर्चा करके उसकी खिली उड़ाए ! यहां कोई नहीं करेगा बस गांव में जाकर सब बातें बनाएंगे ! तुम मेरे घर की लाज हो ! आज तो सब लोगों को तेरे पापाजी नेहरू सांइस सेंटर घुमाने ले गए हैं। वे लोग हम सबके लिए भी साथ चलने की जिद कर रहे थे, मैंने ही मना कर दिया तबीयत का बहाना करके इसलिए रवि और बहु घर पर चाहिए,, बस, तुझसे बात जो करनी थी ये सब एक महीना और रहेंगे तब तक तो,
आय म सौरी मम्मा रियली, रियली यू आर ग्रेट ! मैंने तो,
मैंने तो,, क्या, मेरी मां को गंवार समझा था ?
मां-बेटा हंसने लगे तो अबकी सीमा ने भी साथ दिया , एक बात पूछूं मम्मा !
वाह, तू तो मम्मी जी सीधी मम्मा पर आ गई,, मेरी है समझी,, ठीक है, पूछो मेरी जान पूछो, कहते हुए आंख मारी और हंस पड़ा !
आप भी ना,
ये ऐसे ही करता है अपने पापा की तरह परेशान करता रहता है, छोड़ इसको
हां मम्मा, ये तो सच में ऐसे ही हैं,, छोड़िए इनको और मेरी सुनिए, मम्मा, अब मुझे कोई शिकायत नहीं पहले भी नहीं थी, मुझे लगता था आप मुझसे संतुष्ट नहीं हैं जबकि मैं कोशिश तो कर रही हूं लेकिन अब सारे बादल छंट गए हैं! लेकिन एक बात और, उन लोगों के सामने तो आप नाराज़ रहते थे,, क्यों मम्मा ?!
इसलिए कि इनको कुछ कहने का, बातें बनाने का मौका न मिले, इनको जो करनी है मेरे सामने ही करेंगे, उनके साथ उनके जैसी बनके रहती हूं ताकि मुझे पता चले अभी कल ही जयपुर वाली चाची कह रही थी - लाडी, थारी बहु तो कांई समझेगी कोनी !
चाची, पढ़ती थी ना तो इब सीखेगी ! ये अपने घर के तौर-तरीके,रीति-रिवाज, नेगचार वगैरह सब सीख लेगी अभी तो शादी होके आई है, तो वह चुप हो गई !
सब चलते रहेंगे, मैं सब सीख लूंगी फिर ये नेगचार ब्याह शादी में तो होते हैं,, डोंट वरी सब चलते रहेंगे मम्मा, आय लव यू कहते-कहते गला भर आया, शीला ने उसे बाहों में भर लिया और प्यार से उसकी पीठ सहलाने लगी !