रिश्ते

रिश्ते

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“अरे कमला अब बहू का मुंह भी दिखाएगी, या यूं ही बखान ही करती रहेगी, इतनी देर से बस बातें ही सुनाई जा रही है।” यह कह कर विमला ने जोर का ठहाका लगाया।


“हां... हां अभी दिखाती हूं! देखती रह जाओगी। मेरी बहू लाखों में एक है!बैठो सब अभी लाती हूं बहू को।”


कमला घुंघट में अपनी बहू को लेकर आई.. “आजा बहू यहां बैठ जा।” कमला ने अपनी नई नवेली बहू को बैठाते हुए कहा।


“देख लो मेरी बहू को सब.. बोलना मत कि देखा नहीं ठीक से।”


“हां... हां बहु देखने आई हैं तो बहू को ही देखूंगी घूंघट तो उठाओ।”


“हां.. हां उठा भी ले और देख भी ले।” कमला ने यह कहते हुए बहू का घूंघट उठाया‌।


सब बस देखते ही रह गए। “वाह सचमुच बहुत सुंदर है तेरी बहू, कमला तू तो बड़ी भाग्यवान है।” विमला ने कहा।


“हां कमला, बहुत सुंदर है तेरी बहू! भले रोहित ने अपनी मर्जी से शादी की पर बहुत सुंदर बहू लेकर आया है तुझे खोजने की जरूरत नहीं पड़ी किस्मत वाली है तु बड़ी।”


“तुम सब भी क्या कम किस्मत वाले हो तुम्हारी बहुएं भी तो कितना ख्याल करती हैं, क्या कमी है। एक से एक है सब कितना आराम देते हैं तुम्हें, तभी तो इधर-उधर डोलती हो।” इतना कहते ही सब हंस पड़े।


“हां वह तो है अब तू भी हम सब की तरह डोलती रहना.. है ना !” और सब ठहाका लगाकर हंस पड़े.. पूरा घर ठहाकों से गूंज रहा था। धीरे-धीरे सब अपने घर को रवाना हो गए।


”तू भी जाकर आराम कर ले बहू, रोहित भी थोड़ी देर में आता होगा ऑफिस से।”


“मम्मी जी थोड़ी चाय मिलेगी क्या?शाम हो गई है, पीकर थोड़ा आराम करूंगी रोहित तो पता नहीं कब आएंगे।”


“हां..हां बना देती हूं। दोनों साथ में मिलकर एक साथ चाय पिएंगे।”


”मम्मी जी मैं अपने कमरे में हूं वही मुझे दे दीजिएगा। मुझे बहुत थकान लग रही है।” इतना कह कर नीता अपने कमरे में चली गई।


कमला हैरान थी वह तो साथ में चाय पीकर घनिष्ठता बढ़ाना चाहती थी, उसे अकेलापन ना लगे खैर, जाने दो।चाय बनाते बार बार कमला के मन में अजीब सी बैचेनी और डर था शायद बहू का मिजाज अलग है।


“ले बेटा चाय पी ले।”


“थैंक्यू, मम्मी जी।”


कमला दो मिनट खड़ी रही नीता ने उन्हें बैठने नहीं कहा। मन में बहुत सारे विचार हिलोरें मारने लगी। अपनी चाय लेकर नीचे आ गई। सोफे पर चाय की प्याली के साथ सोचने लगी उसके सास ने उसके साथ कभी नहीं खाया, पिया उसे रसोई घर में अकेले खाना होता था। सब हॉल में एक साथ खाते थे और मैं सबके खाने के बाद अकेले रसोई घर में खाकर काम समेट कर अपने कमरे में आती थी। तभी सोचा था अपनी बहू को ऐसा महसूस नहीं होने दूंगी। हम सब साथ खाएंगे, पिएंगे पर यहां तो घूंघट में ही बहू ने मना कर दिया बाद में करता होगा। अभी दो दिन आए हुए हैं, खैर हो सकता है सचमुच थकी हो।


खैर मैं जैसी थी वैसे ही ठीक हूं मेरी तरफ से कोई बंदिश नहीं। वैसे भी राजन के जाने के बाद अकेले ही चाय पी रही हूं आज कौन सा नया है य, चाय पीकर सोफे पर पुरानी यादों में खो गई कमला। उसे झपकी लग गई।


“मम्मी जी.. मम्मी जी रोहित का फोन आया था डिनर बाहर करेंगे हम।”


“अच्छा तो खाना नहीं बनाने का अब वाहहह फिर तो आज आराम।”


“हां मम्मी जी मैं और रोहित सिजलर खाने जा रहे हैं, रोहित ने बोला आपको बता दूं।” इतना कह कर नीता चली गई पर कमला अपना सा मुंह लेकर रह गई। आज अभी चार दिन आए नहीं हुए और इस तरह का व्यवहार अजीब सा लग रहा था। सोफे पर निढाल सी पड़ी रही नीता ने तो मुझसे अलग ही रहने का मन मना लिया है शायद।


घूंघट में रहने वाली बहू ऐसी भी हो सकती है यकीन नहीं होता। चार दिन आए हुए हर बार वह घूंघट में ही आई है सबके सामने। कभी मना नहीं की, पर सब के जाने के बाद इस तरह का व्यवहार रूखा अलग-थलग.. थोड़ा दिल को चुभ रहा था। क्या करूं? समझ नहीं आ रहा शायद वो अकेली रहना चाहती है।अकेले समय बिताना चाहती है! मैं कुछ ज्यादा सोच रही हूं।


नई-नई शादी है, उसे अकेले भी रहना चाहिए। नए जमाने की है और समझदार के लिए इशारा ही काफी है। मैं अपने आप में ही रहूंगी तो बेहतर है।


घूंघट में छिपा चेहरा और बहू की सोच मालूम पड़ चुकी थी आज कमला को, लेकिन कहीं एक आशा थी शायद यह सोच आगे बदल जाए पर नहीं बिंदास थी नीता। उसे साथ रहना होता तो चार दिन-पांच दिन मेरे साथ रहकर उसे वापस अपने रोहित के साथ ही तो नौकरी पर रहना था! मैं वहां कहां रहने वाली थी वहां तो वह दोनों ही अकेले थे! खैर उसकी सोच।


मैं कल भी अकेली आज भी अकेली थी। वो सपने पुरी तरह बिखर रहे थे। आज आज मेरा घर मुझे फटी जेब जैसी लग रहा था, जो बिल्कुल खाली थी। हर रिश्ते को संभाला। पति के जाने के बाद बेटे-बहू के साथ सोचा घर में खुशहाली, रौनक वापस आ जाएगी पर मैं ग़लत थी। बहू के आने के बाद भी मन खाली था आज भी खाली ही रह गया। बिल्कुल फटी जेब जैसा जिसमें कुछ भी डालो रह नहीं सकता। नीता को कितना भी मान-सम्मान दो वो अकेली रहना चाहती है बस। सुंदरता के पीछे वह प्यार का अपनापन, वह मेल जो कभी सास के साथ होना चाहिए था वह भी कहीं नजर नहीं आया।


कमला के कानों में गूंज रहे थे "तू तो बड़ी भाग्यवान है।” कमला के आंखों से आंसू टपक पड़े क्या जवाब दें? अच्छा है दो दिन बाद रोहित के साथ चली जाएगी। किसी को कुछ कहने सुनने की जरूरत नहीं, घूंघट में छिपा चेहरा छिपा ही रहेगा।


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