रिश्ता धूप छांव सा
रिश्ता धूप छांव सा
कल ही की बात है, पति कार पार्किंग में खड़ी कर रहे थे और मुझसे बात करते जा रहें थे । मैं उनकी बात सुनती जा रही थी साथ ही साथ अपना मोबाइल फोन देखती जा रही थी। बस फिर क्या पति कुछ उखड़ गए,
कि "तुम्हारा ध्यान तो मेरी तरफ है ही नहीं, बस मोबाइल में लगी रहो।
"मैं एकदम सकपका गई, और बोली अरे नहीं, मैं सुन रही थी आपकी बात,
पति मेरी सकपकाहट देखकर हंसने लगे और बोले हां सही है, बुढ़ापा बहुत बुरी चीज होता है बीवी भी ध्यान नहीं देती हैं,
"तो मैं भी मस्ती में आ गई और बोली, हां जी आप सही कह रहे हैं,,,
पति बोले, वैसे एक बात तो है ये छोटी मोटी नोंक-झोंक मे मज़ा बहुत आता है,,
तो मैंने गंभीर हो के कहा देखो पति इस उम्र में न मुझे कोई भायेगा न आपको, इसलिए अब हम दोनों जैसे भी हैं एक-दूसरे को बर्दाश्त करना ही पड़ेगा, कह कर मैं खिलखिला उठी, पति भी हंस कर बोले, हां जी अब मजबूरी है करना तो पड़ेगा ही ।
मैं अपनी शादी के बीते 22 वर्षो के बारे में सोचने लगी कि कितने उतार चढ़ाव आए जिन्दगी में, पति पत्नी के रिश्ते को संभालना आसान नहीं रहा, बहुत सी मुश्किलें आयी, कभी संयुक्त परिवार में सामंजस्य स्थापित करने की उलझनें, कभी बढते बच्चों की चिंता, कभी हम दोनों के बीच हुई नोंक-झोंक से आई दुरियां । उफ्फ सोचती हूं अगर आजकल के बच्चे होते तो वो ये सब बर्दाश्त नहीं कर सकते और सीधे तलाक़ पर आ जाते हैं बल्कि आजकल की युवा पीढ़ी शादी न करके लीव -इन में रहना ज्यादा पसंद करते हैं, जिम्मेदारी से मुक्त रहना चाहते हैं ।
खैर हमारे रिश्ते ने बहुत सी मुश्किलें सही, जिंदगी में बहुत सी धूप छांव देखी, पर समय के साथ निखरता गया हम दोनों का प्यार । आज भी हम लड़ते हैं झगड़ते हैं पर साथ में खिलखिलाते भी है । जिंदगी आसान हो जाती है अगर पति पत्नी एक दूसरे की छोटी छोटी बातों में खुशियां ढूंढे, और जो बात बात नापसंद हो उनको नजरंदाज करे और एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करे।