रहस्यमय रात
रहस्यमय रात
खंभे की लाइट जलती बुझती, कुत्तों की आवाज रास्ते की सुनसान होने की साफ़गोई कर रहे हैं। कड़कती बिजलियों के बीच एक चमक हुई और अचानक ही एक धड़धड़ाती आवाज के साथ वो कार बदहोश की सर्प के समान लहराते हुए एक खंभे से टकराई।
खंभे की लाइट कुछ देर झिलमिलाते हुई आखिर बंद हो ही गई। कार के बोनट से निकलता धुआँ अकेला इस घटना का गवाह हैं।
इतने में कार का एक ड्राइविंग सीट की तरफ का दरवाज़ा खुलता है और दरवाजे के खुलने के साथ ही बाहर लटकता सर किसी अनहोनी का इशारा करता प्रतीत होता हैं।
पीछे की सीट पर एक बुढ़ी स्त्री के खांसने का स्वर उभरता है, वो खिड़की से बाहर नजर दौड़ती है शायद कोई मदद मिले ••• पर इतनी रात सुनसान सड़क और इस बारिश के बीच कुत्तों की आवाज के अलावा कोई हो इसकी उम्मीद ना के बराबर ही होगी।
स्त्री ने आगे देखा और एक क्षण में जैसे आँखों के सामने अँधेरा छा गया। किसी का नन्हा सा हाथ खिड़की के बाहर दिखाई देता हैं।
सुबह का समय कमरे का दरवाजा खुलता है, नर्स स्त्री की हलचल देख डॉक्टर को आवाज लगाती हैं।
डॉक्टर सिन्हा स्त्री को चेक कर के उन्हें आराम करने का बोलते हैं।
बुढ़ी स्त्री लरजते स्वर में- मैं यहाँ!!!!
डॉ सिन्हा- कल आपके बेटे की कार का एक्सीडेंट हुआ था, पास से जाती एक बेसहारा बच्ची ने थोड़ी दूर की बस्ती से लोगों को बुलाया और वो आपको यहाँ ले आए।
बुढ़ी स्त्री- बेटा!! वो मेरे बेटे की गाड़ी नहीं थी, पर वो बच्चा कैसा है अब ••••
डॉ सिन्हा चौकते हुए बोले "वो आपका बेटा नहीं???"
स्त्री-नहीं, मैं तो ठंड के मारे रास्ते पर ठिठुर रही थी उस भले इंसान ने कहा वो मुझे किसी वृद्धाश्रम में ले जाएगा। मेरा कोई नहीं इस दुनिया में••••
डॉ साहब उस बच्ची से मिल सकती हूँ क्या??
डॉ सिन्हा - नहीं माजी वो बच्ची हॉस्पिटल नहीं आई बस लोगों ने बताया की कोई बच्ची उन्हें इस घटना के बारे में बताई फिर उन्होंने भी उसे नहीं देखा।
स्त्री सोच में पड़ गई आखिर वो बच्ची कौन होगी जिसके होने का एहसास उसे बेहोश होते वक्त हुआ था।
स्त्री 2 दिन के बाद ठीक एक वृद्धाश्रम के आँगन में बैठी है और एक लड़का आज का अखबार ला के पढ़ के सुनाता है।
जिसमें लिखा था। जी एस रोड पर एक एक्सीडेंट में मशहूर अपहरण कर्ता साईको किलर की मृत्यु।
यह सुनते ही स्त्री ने अखबार दिखाने को कहा यह वही गाड़ी थी जिससे उस रात वो खुद भी थी।

