रामदीन
रामदीन


नेक तथा ईमानदार बाबू जी अध्यापक के पद से सेवानिवृत्त हुए। इतने बड़े बंगले के मालिक होते हुए भी उनका वजूद घर के एक कमरे तक सिमट कर रह गया। रविवार की छुट्टी होने के कारण सुबह की दिनचर्या से निवृत्त होने के पश्चात वो घर के लान में नाश्ते के इंतजार में पोते के साथ बातें करने तथा खेलने में मस्त हो गए । उन्हें लगता है कि छुट्टी होने के कारण उनका डाक्टर बेटा कुछ देर के लिए उनके पास आकर बैठेगा तथा कुछ अपनी कुछ मेरी सुने, सुनाएंगा।
लेकिन हर बार की तरह इस बार भी बेटे ने एकदम से आदेशात्मक लहजे में बोला। बाबू जी आज नाश्ते में थोड़ी देर हो जाएगी। आप दो घंटे तक नाश्ता तथा दोपहर का खाना इकट्ठा कर लीजिएगा। आज सुचेता की किटी पार्टी है। वो तथा नौकर दोनों व्यवस्था में लगे हुए हैं। और हाँ कमरे से बाहर मत आना। खाँस.खाँस कर मेहमानों को परेशान मत करना। बाबू जी ने ठीक है कहाँ तथा कमरे में आ गए। यह तो रोज की बात हो गई है।
पत्नी को याद कर आँखें भर आई। कुछ दिनों के पश्चात डाक्टर बेटा बहू ने विदेश घूमने का प्रोग्राम बनाया । बाबू जी का भी विदेश जाने का बड़ा मन था। लेकिन घर बनाने तथा दोनों बच्चों की डाक्टरी की पढ़ाई में इतना खर्चा हो गया कि उन्हें अपनी यह इच्छा मन में ही दबानी पड़ी। आज किसी चीज की कमी नहीं थीए इसलिए उन्होंने भी विदेश जाने की अपनी इच्छा जाहिर कर दी। तभी बहू तपाक से बोल पड़ी बाबू जी कुछ तो अपनी उम्र का ध्यान करो। कहीं बीमार हो गए तो बेकार में इतना खर्चा हो जाएगा। इतनी कंजूसी करने के पश्चात मुश्किल से घर चलता है। रोज की भान्ति बाबू जी आज भी मौन थे। बेटा बहू एक महीने के टूर पर विदेश चले गए। पीछे से बाबू जी ने दलाल को बुला कर बंगला बेच कर अपने लिए एक छोटा सा घर खरीद लियाए बचा हुआ पैसा बैंक में जमा करवा दिया तथा सेवा पानी के लिए रामदीन को रख लिया। बच्चों का सामान एक कमरे में रखवा दिया तथा खरीददार को कह दिया जैसे ही बच्चें वापस आए ताला खुलवा कर उन्हें उनका सामान दे देना। वापस आने पर बच्चों को जैसे ही हकीकत का पता चलता है वो दौड़े.दौड़े बाबू जी के पास क्षमा याचना को आते हैं।
बाबू जी कहते है बेटा बहुत देर हो चुकी है। काश मैं पहले चेत जाता तथा अपना लिए वफादार रामदीन का इंतज़ाम कर लेता।