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Umesh Shukla

Inspirational

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Umesh Shukla

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राम खिलाड़ी

राम खिलाड़ी

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राजस्थान के गंगापुर सिटी से दिल्ली पढ़ने पहुंचा एक नौजवान। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का पक्का अनुयायी मानता था खुद। उनकी कहानियां पढ़ पढ़कर ही कुछ कर गुजरने का जज्बा उसे दिल्ली तक खींच लाया था। यह कहानी सन 1990.91 के दौर की है। कहानी के पात्र का नाम है राम खिलाड़ी। पहले उसने गंगापुर सिटी से पहले जयपुर तक की दूरी तय की। जयपुर विश्वविद्यालय से उसने स्नातक की परीक्षा पास की। जयपुर में रहते समय ही उसका झुकाव डा. भीमराव अंबेडकर की तरफ हुआ। उसने डा. अंबेडकर से संबंधित साहित्य का गंभीरता से अध्ययन किया। उसके मन में यह बात पूरी तरह से बैठ गई कि शिक्षा ही श्रेष्ठता प्रदान कर सकती है। एक साल तक वह दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रवेश की खातिर तैयारी करता रहा लेकिन कुछ अंकों से वह चूक गया। मित्रों से सलाह मशविरा कर उसने प्रतियोगी परीक्षा के लिए तैयारी जारी रखी। उसके एक मित्र रामचंद्र मीणा को जेएनयू में प्रवेश मिल गया था। यदा कदा वह उससे मिलने के लिए पूर्वांचल हास्टल जाता था। इसी क्रम में एक दिन रामखिलाड़ी की नजर शहीद जीत सिंह मार्ग पर स्थित भारतीय जन संचार संस्थान के परिसर पर पड़ी। उसने वहाँ के पाठ्यक्रमों के बारे में पता किया। जब सब कुछ जानकारी मिल गई तो उसने उस संस्थान में प्रवेश लेने का इरादा बनाया। उस संस्थान में प्रवेश अखिल भारतीय परीक्षा के आधार पर होता है। इस तथ्य की जानकारी होने पर उसने दिल्ली में रहकर तैयारी शुरू की। जब भी मौका पाता वह भारतीय जनसंचार संस्थान को निहारने जाता। दृढ़ संकल्प की बदौलत वह आईआईएमसी की प्रवेश परीक्षा में पास हो गया। साक्षात्कार के बाद उसे वहाँ प्रवेश भी मिल गया। सन 1991-92 सत्र के हिंदी पत्रकारिता पाठ्यक्रम में वह सबसे मस्त मलंग ढंग से पढ़ाई करता रहा। जब दीक्षांत समारोह हुआ तो वह सबसे मिला। हालांकि तब तक वह नौकरी नहीं पा सका था लेकिन उसे भरोसा था कि वह आगे सरकारी नौकरी ही हासिल करेगा। वह लगातार अध्ययन में जुटा रहा। कहते हैं जब आत्म विश्वास प्रबल हो तो परिस्थितियां भी अनुकूल बन जाती हैं। यही रामखिलाड़ी के साथ हुआ। कुछ ही महीनों बाद आईआईएस की भर्ती का विज्ञापन निकला। उसे भरकर वह आईआईएस बनने में सफल रहा। जब सफलता मिली तो उसने बातचीत में बाबा भीमराव अंबेडकर का यह कथन याद कर मित्रों से कहा कि शिक्षा शेरनी का दूध है जिसे पीने वाला शेर की तरह गरजता है। आज भी रामखिलाड़ी की कहानी हम और हमारे मित्रों के बीच सुनी सुनाई जाती है।


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