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Umesh Shukla

Thriller

4  

Umesh Shukla

Thriller

जादूगर प्रेम का पंगा

जादूगर प्रेम का पंगा

8 mins
4

किसी ने भी अपनी जगह छोड़ी तो इस बच्चे यानी जमूरे की जान चली जाएगी। फिर यदि वैसा हुआ तो हम उसकी खोपड़ी टुकड़ों में काट काट कर हवा में उड़ा देंगे। यही डायलाग बोलकर जादूगर प्रेम अपने जादू के हर शो में जुटे दर्शकों को डराता। हाथ में मौके की जमीन से धूल उठाकर जोर जोर से चीखता और पूरे गोले के हर तरफ घूमता हुआ हर दर्शक की मनोदशा का आकलन करता। अपने खास जमूरे यानी को होस्ट बच्चे की जान बचाने के लिए दर्शकों से अपने अपने आराध्य को याद कर उनसे प्रार्थना करने और उनके नाम पर कुछ दान पुण्य तुरंत करने का जिक्र कर वो दर्शकों की जेब से अच्छी खासी धनराशि निकलवा लेता। 

बच्चे की जान को बचाने के नाम पर जिसकी जेब में जो कुछ खुले पैसे होते वो चादर से ढके हुए जमूरे पर उछाल देता। ऐसा करके वह एक शो में सस्ती के जमाने में तीन से चार सौ रुपए बना लेता था। वास्तव में हाथ की सफाई दिखाता। बातों ही बातों में लोगों को यूं उलझाता कि उसकी चालों को लोग समझ न पाते। वे उसकी हाथ की सफाई और केमिकल समेत कुछ उपकरणों के प्रयोग की तीव्र कुशलता को भांप न पाते। बीच बीच में वो शो स्थल पर रखे टेपरिकॉर्डर पर फिल्मी गीत भी बजाता। गानों का सिलसिला रोककर डायलॉग मारता। शेरो शायरी सुनाता। उसकी लच्छेदार बातों में उलझे लोगों को लगता कि वो जो कह सुन रहा है वो सब सही है। शो के दौरान वह एक अच्छे भविष्यवक्ता के रूप में अपने जमूरे को स्थापित कर देता। लोगों को जमूरे से अपना भूत, भविष्य और वर्तमान जानने का आफर देता। इस फन से भी वह खूब पैसे बनाता।

उसके शो में हर आयु वर्ग और आर्थिक स्तर के लोग उपस्थित होते। इनमें विद्यार्थियों और खाली घूमने वाले लोगों की बहुतायत होती। कारण यह कि उसका शो एक नामचीन माध्यमिक विद्यालय के समीप खाली पड़े मैदान पर ही अक्सर होता। उसके शो में पढ़ाई से विमुख और विचलित विद्यार्थियों की तादाद अच्छी खासी होती। शेरो शायरी में प्रवीण जादूगर प्रेम कई वर्षों तक ऐसे एक नामचीन प्रमुख विद्यालय के पास जादू का शो दिखाकर लोगों की जेबें खाली कर अच्छी खासी कमाई करता। बाद में वो शो में मिली धनराशि से अपने शौक पूरे करता। वह तब के मशहूर फिल्म अभिनेता शशि कपूर से काफी प्रभावित दिखता था। सन 1980 के दशक में उस जादूगर की उम्र भी 38 से 40 साल के बीच थी। अपनी अदाओं और वाकपटुता की वजह से उसके अधिकांश शो दर्शकों से लबरेज रहते। कहते हैं न जब ईश्वर मेहरबान हो तो किसी भी व्यक्ति को वह सब कुछ मिल जाता है जिसके लिए वह प्रयास करता है। जादूगर प्रेम की जिंदगी भी बड़े मौज से कटती रही। करीब तीन साल के दौर में उसने अच्छी खासी रकम बनाई। स्कूटर की सवारी से ऊपर उठकर वह नियमित रूप कार में सफर करने लगा। उसकी बढ़ती लोकप्रियता के किस्से विद्यार्थियों की चर्चा में भी उठने लगे। उसकी शो के दर्शक भी हैरत में आकर चर्चा करते। धीरे धीरे उसकी चालबाजियों के किस्से हर जुबान पर चढ़ गए। 

उसके जादू के शो के दौरान भावनाओं के ज्वार में बहकर रुपये लुटाने को विवश हुए कुछ विद्यार्थी उसे सबक सिखाने की युक्ति भी खोजने लगे। इन विद्यार्थियों में कुछ ऐसे भी शामिल थे जिनकी पढ़ाई कभी उसके शो के रोमांच के पाश में फंसकर कुछ खराब हुई थी। उन विद्यार्थियों में इस बात को लेकर रोष रहता कि जादूगर प्रेम हर रोज उनके विद्यालय के निकट यदि मजमा न जुटाता तो शायद वे पढ़ाई से बेपटरी न होते। जादूगर प्रेम की फिल्मी शेरों शायरी की प्रस्तुति ने कुछ को फिल्मों की लत भी लगा दी थी। बाद में जब उन्हें असलियत का अंदाजा हुआ तो वे अपनी गलत आदतों के विकास के लिए जादूगर प्रेम को ही दोषी मानने लगे।

जादूगर प्रेम तो अच्छे शो और तगड़ी कमाई की रौ में बहा जा रहा था। उसे नियति में आ रहे बदलाव की भनक भी न लगी। उसे अपने शो से विद्यार्थियों को हो रहे नुकसान का अंदाजा भी न था। किस्मत का चक्र घूमा तो उसके कद्रदान ही उसे सबक सिखाने की युक्ति सोचने लगे। 

उस नामचीन माध्यमिक विद्यालय के तीन विद्यार्थियों वीरेंद्र, विमलेंदु और संजय तिवारी ने अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर मंत्रणा की। उन सभी ने जादूगर प्रेम को झटका देने का प्लान तय किया। वीरेंद्र ने सबको समझाते हुए कहा कि सभी उसके शो में एक साथ उसको मजा चखाएंगे। उसकी पोल पट्टी सभी दर्शकों के सामने ही खोलेंगे। वीरेंद्र ने सबको समझाने के अंदाज़ में कहा कि प्रेम से हम सभी एक एक कर अपना और अपने बाबा का नाम उसके जमूरे से पूछने को कहेंगे। प्रेम को अपना और अपने बाबा का नाम बताएंगे पर सही नहीं, बिल्कुल गलत ही बताएंगे। वास्तव में वह कोड में ही अपने जमूरे को नामों के सभी अक्षरों का संकेत दे देता है। इसी के आधार पर उसका जमूरा हर दर्शक और उसके पिता या बाबा का नाम बता देता है। 

तय रणनीति के हिसाब से एक दिन वीरेंद्र और उसके छह साथी शो देखने पहुंचे। सभी आगे की कतार में जा जमे। सबसे पहले वीरेंद्र ने अपना नाम जमूरे से पूछने को कहा। वीरेंद्र ने प्रेम को अपना नाम धर्मेंद्र बताया। ऐसे ही उसके सब साथियों ने किया। कुछ कुछ अंतराल पर सबने अपने प्रश्न उछाले। प्रेम हैरत में पड़ने की बजाय अपने अहम में डूबा रहा। उसने एक एक कर सबसे कानाफूसी कर कुछ जानकारी ली। फिर अपने विशेष अंदाज में कोड के जरिए जमूरे को संकेत देने लगा। जादूगर प्रेम तब चौंका जब वीरेंद्र ने सबके सामने तेज आवाज में कहा कि जमूरा जो नाम बता रहा वह सही नहीं है। यह उसका नाम नहीं है। इसी तरह एक ही शो में छह विद्यार्थियों ने जादूगर प्रेम और उसके जमूरे के अंतर्ज्ञान और दिव्य दृष्टि पर सवाल खड़े कर दिए। उससे भी बड़ी चुनौती जादूगर प्रेम के सामने तब आई जब उसने जमूरे को उसकी गलतियों का सजा देने के लिए कुछ नाटकीय लटकों झटकों का सहारा लिया। हर शो का क्लाइमेक्स यही होता कि वह जमूरे को काली चादर से ढक देता और डायलॉग बोलता कि अमुक आत्मा उसके शरीर में प्रविष्ट हो गई है। अब वह उसे छोड़ना नहीं चाहती है। जमूरा जमीन पर कुछ देर तक पैर पटकता और रगड़ता। वह विविध प्रकार से अलग अलग आवाज में जादूगर प्रेम के सवालों का जवाब देता।

इसी दौरान जादूगर प्रेम सबसे प्रश्न करता। क्या किया जाए? नई आत्मा को जमूरा बने बच्चे के ऊपर रहने दिया जाए या बच्चे को पूर्ववत किया जाए ? जमीन से बार बार धूल उठाकर मंत्र बुदबुदाने का स्वांग रचता। भीड़ में खड़े ज्यादातर लोग कहते बच्चे को पूर्व की अवस्था में लाया जाए। इसी भाव को सुनकर जादूगर प्रेम सबको यह निर्देश दे देता कि सभी अपने आराध्य देवी देवताओं से बच्चे को पूर्व की अवस्था में लाने की प्रार्थना करें। तुरंत अपनी इच्छानुसार कुछ दान भी करें। भगवान सबकी सुनेंगे। कोई भी अपने स्थान से हिलेगा नहीं। यदि कोई हिला तो बच्चे को उसकी पूर्व की अवस्था में नहीं लाया जा सकेगा। भावनाओं के अतिरेक में दर्शक रुपये और पैसे चढ़ाकर बच्चे की सलामती की प्रार्थना करते। रहस्य और रोमांच के कुछ पलों में ही अच्छी खासी धनराशि प्रेम की ओर से फैलाई काली चादर पर जमा हो जाती। उस दिन भी जादूगर प्रेम पूर्व की तरह सब कुछ शो के क्लाइमेक्स के लिए पूरी तन्मयता से करता गया लेकिन इस शो में तो वीरेंद्र और उसके साथी उसके निर्देश को सुनते ही हनुमान जी का जयकारा लगाते हुए वहां से हटने लगे। प्रेम ने इन सभी को डराने के लिए कुछ डायलॉग भी बोले पर उन छह विद्यार्थियों पर कोई असर न हुआ। वे बोले कि जमूरे पर सवार आत्मा को उनमें से किसी एक पर ट्रांसफर करके दिखाओ तब मानेंगे जादू हुआ। जादूगर प्रेम का मानस अचानक आई इस विपदा के लिए कतई तैयार नहीं था। उसने कुछ और बातें उन विद्यार्थियों को डराने के लिए कहीं ताकि वे मजमे से हटें नहीं लेकिन वे सभी दौड़ लगाते हुए अपने कालेज की ओर वापस चले गए। जाने से पहले वे सभी जादूगर प्रेम को यह चुनौती भी दे गए कि दम है तो सबके पैरों को आगे बढ़ने से अपने जादू के बल पर रोक लो। जादूगर प्रेम हक्का बक्का रह गया। लगा जैसे उसे सांप सूंघ गया हो। कुछ पल के लिए वह किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया। वह उन विद्यार्थियों की ओर ही देखता रह गया। इधर दर्शकों में भी खुसुरफुसुर बढ़ गई। तमाम जतन करने के बाद भी दर्शकों का ध्यान जादूगर प्रेम अपनी बातों से न खींच पाया। उन विद्यार्थियों के हटने के कुछ ही पल बाद अन्य लोग भी वहां से एक एक कर हटने लगे। अचानक भीड़ के तेवर में आए तात्कालिक बदलाव से जादूगर प्रेम हतप्रभ था। आज उसके जादू का तिलिस्म काम न रह पाया। भीड़ छंटने के बाद थक हारकर उसने जमूरे के ऊपर पड़ी चादर को खुद हटाया। जमूरा भी तुरंत उठ बैठा। भीड़ भरे शो के बाद भी एक भी रुपये न मिलने से निराश जादूगर प्रेम ने आनन फानन में अपना सारा सामान बटोरा और उसे कुछ दूर पर खड़ी अपनी कार में रखा। निराश मन से वह कार स्टार्ट कर आगे बढ़ गया। वीरेंद्र और उसके साथियों की कारस्तानी से जादूगर प्रेम इतना चकित हुआ कि फिर उस नामचीन विद्यालय के समीप उसने कोई शो न करने का फैसला ले लिया। बाद में वीरेंद्र और उसके साथी अपनी कारगुजारी को लेकर अक्सर चर्चा में रहते। वे सभी आपस में यही संतोष जताते कि अब जादू का शो दूसरे विद्यार्थियों की पढ़ाई में विचलन का कारण न बनेगा। जब विद्यालय के शिक्षकों तक यह जानकारी पहुंची तो उन्होंने विद्यार्थियों की पीठ भी थपथपाई। उन्हें यह सीख भी दी कि विचलन किसी तरह का हो वह पढ़ाई के लिए नुकसानदायक ही होता है। अध्ययन के लिए निरंतरता और एकनिष्ठता बहुत जरूरी है।



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