STORYMIRROR

Dharanee Variya

Romance

3  

Dharanee Variya

Romance

प्यार कुछ इस तरहाँ

प्यार कुछ इस तरहाँ

5 mins
522

अपने मम्मी पापा की मौत के बाद जिंदगी जैसे सूखी सी हो गई थी, वो जगह छोड़ मैं उन सबसे दूर यहाँ आ गई।

MBA में टॉप किया था मैंने इस लिए इस नए शहर में जॉब मिलने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। एक छोटा सा घर और मेरा प्रिय हैंडसम ( डॉग का नाम)।हमने यहाँ अपनी नई दुनिया बसा ली।

हर रोज़ सुबह शाम मैं हैंडसम को बाग़ में वॉक कराने ले जाती। ये हमारी बचपन की आदत थी। मेरे कानों में म्यूजिक बजता और हैंड्सम अपनी धुन में..

हमारी इस बचपन की आदत को किसी ने मजबूरी में तबदील कर दिया था। था वो कोई अंजाना सा मगर जब तक आँखें उसे देख ना ले तब तक मेरे दिन की गुड मॉर्निंग नहीं होती थी।


वो इंसान जिसका न तो मैं नाम जानती थी और ना ही काम। मगर जिस दिन से उसे देखा था दिल कुछ गहराई से धड़कता था। शायद मेरा दिल उसे से प्यार कर बैठा था। वो एक पेड़ के नीचे बैठ बहती शांत हवा में लेपटॉप में अपना काम करता। पता नहीं काम के लिए उसने ये जगह क्यों चुनी थी, शायद कुदरत के सजाए रंगों के साथ रहने के लिए।

ये अब रोज़ का हो गया। मैं सिर्फ उसे दूर खड़े रहकर देख लेती। कभी उससे बात करने की हिम्मत नहीं हुई। ये नजर का प्यार रोज़ रोज़ गहरा होता जा रहा था। कई बार घर से फैसला कर के जाती की उससे दोस्ती की शुरुआत करूँगी। मगर उसे देखते पाँव रुक जाते। मैं ज्यादा किसी से बातें नहीं करती इसलिए शायद मेरे लिए सामने से दोस्त बनाना मुश्किल था।

हर रोज़ सोते वक्त खुद को ये कहती कि" कल मैं उससे बात करूँगी "और सुबह उठते ही वो एक सवाल बन जाता, "क्या मैं कभी उससे बात कर पाऊँगी??"

एक उम्मीद के साथ मैं उसे दूर खड़े खड़े देख रही थी, कितना सुकून है उसके चेहरे पे, उसके वो निर्दोष भाव किसी के भी मन को गहराइयों तक छू ले।अचानक उसने मेरी ओर देखा। जैसे ही उसने मुझे देखा कि मैं डर के छुप गई जैसे उसे देख के कोई गुनाह कर रही हूँ। बाद में बहुत पछतावा हुआ कि उसने अगर मुझे देख लिया होगा तो कितना अजीब लगेगा। कहीं वो मुझे गलत न समझे।


एक बार मेरी नज़र उसे ढूंढ रही थी मगर वो आज उस पेड़ के नीचे नहीं बैठा था। मैंने कितनी देर उसका इंतज़ार किया मगर वो नहीं आया। मैं जब वापस लौट रही थी तब वह अचानक से सामने आ गया। उसके इस तरह से सामने आने से मैं घबरा गई। क्या बोलूं कुछ समझ न पाई।

शाम का समय था। सूरज ढलने की तैयारियाँ कर रहा था और कहीं से चाँद मुस्कुरा रहा था। वो मुझे हाथ पकड़ के उस पेड़ के नीचे ले गया। चुटकी बजाते ही पेड़ पूरा जगमगा उठा। उस पर सजाई सारी लाइट्स और ऊपर चमकते चाँद तारे, नज़ारा एक बार भी आँख झपकने ना दे ऐसा था।

पर ये सब किस लिए?? उसने अभी तक मेरा हाथ पकड़ा हुआ था। मेरी ओर देख के उसने पूछा, "क्या तुम मुझसे प्यार करती हो??"

मेरा दिल उसे जवाब देने जा ही रहा था कि बीच में हैंडसम कूद पड़ा। वह जोर जोर से भौंक रहा था। अचानक से शोर बढ़ने लगा। कहीं से घण्टी की आवाज़ भी आने लगी। मैं जोर से चीखी तो मेरी आँख खुली और मैंने खुद को अपने बेड पे पाया। हैंडसम भौंक रहा था क्योंकि वॉक का टाइम हो रहा था और घड़ी में लार्म बज रहा था।

फिर मुझे होश आया कि मैं सपना देख रही थी। ओह कैसा हसीन सपना था वो। चाहे जो कुछ हो जाये आज तो मैं उससे बात करके ही रहूँगी सोच के मैं तैयार हो गई।


मेरे चेहरे पे खुशी छाई हुई थी, बड़ी उत्साह में थी मैं। बाग़ पहुँच कर देखा तो वह सच में उस पेड़ के नीचे नहीं था। मैं डर गई कि कहीं वो सपना सच तो नहीं होने वाला। कितनी देर उसका वहाँ इंतज़ार किया लेकिन वो आया नही। सुबह की दोपहर हो गई मगर नहीं तो वो आया और न ही सपना सच हुआ। मैं उदास मन घर लौट आई।


 [पाँच साल बाद]

मैं आज भी हैंडसम को लेके वॉक पे जाती हूँ। कानों में म्यूजिक बजता है, और मैं चक्कर लगाती हूँ। आज भी वो पेड़ ऐसा ही है और वह भी उस पेड़ के नीचे काम करता है बस फर्क इतना है कि मैं अब उसे दूर से नहीं देखती बल्कि उसके साथ बैठती हूं और हम दोनों साथ में काम करते है।


आज वो सौ करोड़ की कंपनी का मालिक है और में उसकी पार्टनर हूँ मतलब बिज़नेस पार्टनर। उस दिन मैंने उसका बहुत इंतज़ार किया मगर वो नहीं आया। दिन बीतने लगे उसका वहाँ आना बंद हो गया। फ़िर मुझे कहीं से पता चला कि उस दिन उसकी शादी थी। उसका घर बहुत छोटा था इसलिए वो बाग़ में आके शांति से काम करता।

उसकी शादी की खबर सुन मैं टूट गई थी। बहुत आँसू बहाए। अब वो बाग़ जाने की मजबूरी खत्म हो चुकी थी। मैं उसकी जिंदगी में अपनी जगह नहीं बना पाई। मैं उदास अपने काम में मन पिरोने लगी। पर दिल में से उसका वो चेहरा हटता नहीं था। एक दिन मैं शॉपिंग कर के आ रही थी तब मेरी नजर एक बुक स्टाल के बाहर रखी बुक शोपीस पर पड़ी। उसमें एक बुक थी, "प्यार कुछ इस तरहाँ "


मैंने वो बुक पढ़ी और उसने मेरी जिंदगी बदल दी। उस नावेल ने मुझे प्यार का सही मतलब सिखाया। प्यार को किसी रिश्ते का नाम देना जरूरी नहीं और ना ही हर बार प्यार की मंज़िल शादी होती है। हम किसी और रूप से भी उसकी जिंदगी का हिस्सा बन सकते है। उसकी कामयाबी में कहीं हमारा हाथ हो उससे बड़ी जीत ओर कोई नही। उसका साथ देने के लिए सिर्फ एक ही रिश्ता 'शादी' जरूरी नहीं ।

उस नावेल की सिख मेरी जिंदगी की कामयाबी बन गई। उस नावेल को पढ़ने के बाद मैं उससे मिली। उससे बातें की तब पता चला वो क्या करना चाहता है। फ़िर मैंने भी अपनी जॉब छोड़ उसके साथ पार्टनर में बिज़नेस शुरू किया और आज हम ज़ीरो में से सौ करोड़ की कंपनी के मालिक थे।


मुझे हमारे रिश्ते से कोई शिकायत नहीं, उसकी जिंदगी का एक हिस्सा बन मैं भी खुश हूँ और वो भी। सिर्फ प्यार का रिश्ता ही खूबसूरत नहीं होता, जिस रिश्तों में प्यार हो वो खूबसूरत होता है।


            



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance