Dharanee Variya

Inspirational

4.4  

Dharanee Variya

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सच्चाई

सच्चाई

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सुनो, आज मैं कौनसी साड़ी पहनूँ ?

"कोई भी पहनो, तुम सबमें अच्छी ही लगोगी।" स्नेहल की ओर प्यार भरी नजर से मुस्कुराते हुए स्वराज ने कहा लेकिन अपनी पुरानी तस्वीर पे नजर जाते ही आईने के सामने देखकर स्नेहल मायूस होके बोली, "ये चहेरा सिर्फ़ तुम्हे अच्छा लग सकता है, किसी ओर को नहीं, अगर उस समय तुम ना होते तो...."

"शु...." स्नेहल के होठों पे अपनी उंगली रखते हुए स्वराज बोला, "आज इतना खुशी का दिन है, तुम वो समय याद मत करो और जल्दी से तैयार होके नीचे आ जाओ, रिपोर्टर तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं, मैं नीचे जाता हूँ।"

उसे दरवाज़े की ओर जाता देख स्नेहल दौड़के गई और पीछे से स्वराज के गले लग गई, "अगर वो सब भूल पाई हूँ तो सिर्फ तुम्हारी वजह से, मैं बहुत प्यार करती हूँ तुमसे।"

स्वराज सिर्फ मुस्कुराया और वहाँ से चला गया।

हाल ही में स्नेहल एक 15 साल की लड़की के रेप का केस जीती थी जिसकी वजह से वह देश में चर्चा का विषय बन गई थी। उस जीत की वजह से आज सभी जनता ये जानना चाहती थी कि उस एसिड अटैक से लेकर कामियाब लॉयर तक का सफर स्नेहल ने कैसे तय किया। इसलिए आज उसका इंटर्व्यू लेने रिपोर्टर आए थे।

स्नेहल नीचे आई और रिपोर्टर ने पहला सवाल किया,

"आपकी इतनी बड़ी जीत के बाद सब आपकी इस कामयाबी और हिम्मत की वजह जानना चाहते हैं, अगर आप कुछ बताएगी उस घटना के बारे में तो आप जैसी कई लड़कियों को हौसला मिलेगा।"

रिपोर्टर की इस बात को सुनकर स्नेहल कड़वा मुस्कुराई, "मेरे पति सही कहते थे, एक दिन पूरा देश तुम्हारी आवाज़ सुनेगा और आज उसकी वजह से ये बात भी सच हुई।"

"तो सुनिए, मैं जब 20 साल की थी तब ये हादसा हुआ। मैं श्याम को ट्यूशन से लौट रही थी तब उस सड़क के मनहूस सन्नाटे में किसीने मुझ पे एसिड फेंका, काले काम करने वाले उस कमीने ने चहेरे पे काला मास्क पहना हुआ था और मैं कुछ देख पाती उससे पहले ही वह अपनी बाइक में भाग गया। उस समय मैं बहुत कमजोर थी। चेहरा जल रहा था और उस जलन में बहते मेरे आँसू, चीख रही थी पर शायद तब किस्मत साथ नहीं थी कोई वहाँ आया ही नहीं और जो आए वो मेरी हालत देखकर डर से भाग गए। मेरी सारी बहादुरी, जुड़ो में रेड बेल्ट सब एसिड की जलन में पीड़ा बनके जल गया। चीखते चीखते मैं बेहोश हो गई और आँखे खुली तो रहने दे, आँखे ही नही खुली थी। होश आया तो कुछ दिखाई नही दे रहा था, आँखे भारी थी। सिर्फ पापा की आवाज सुनाई दी और सारी घटनाए याद आते ही मैं डर के मारे चीख उठी।

उस हादसे ने मुझसे मेरा सब छीन लिया, मेरी खूबसूरती, मेरा जस्बा, मेरी हिमंत और यहाँ तक कि मेरी आँखे भी।

मैं जानती नही थी कि किसने ये सब किया लेकिन मन में यही दुआ थी कि वह एक बार हाथ आ जाये उसे ऐसे ही जिंदा एसिड में जलाऊ। लेकिन न तो मैं जान सकी और ना ही पुलिस। मैं बस चार दिन अखबार की दर्दनाक खबर बनके रह गई जो सबकी जूठी हमदर्दी बटोर रही थी। कोई मुझपे तरस खाता तो कोई मुझे ही कुसूरवार ठहराता।

जिंदगी से हार कर जब मैंने खुद को खत्म कर देने का फ़ैसला किया तभी अचानक स्वराज मेरी जिंदगी में आये। सुइसाइड पॉइंट पे हमारी मुलाकात हुई और फिर दोस्ती। धीरे धीरे स्वराज ने मुझे जीने की नई वज़ह दी। मुझे फिरसे हसाया और फिरसे खड़े होने का हौसला दिया। कोई फ़रिश्ते की तरह वो मेरी जिंदगी में आया और मुझे इस काबिल बनाया की मैं आज आपके सामने बैठी हूँ। मैं आज जो कुछ भी हूँ वो स्वराज के प्यार और हौसले की वजह से हूँ, उसने ना ही सिर्फ मुझे अपने पास्ट के साथ अपनाया बल्कि मुझे उस पास्ट से बहार भी निकाला।

मेरा दर्द वो बर्दाश न कर सके। उन्होंने USA में मेरी आँख का ऑपरेशन करवाया और मेरी एक आंख मुझे वापस भी मिली। वो सिर्फ मेरा हमसफ़र ही नहीं, सही मायने में मेरा हमदर्द भी बना।

अपने पति के बारे में बताते हुए उसके चेहरे पे झलकता गर्व देखकर सहसा स्वराज मायूस हो गया। पसीने से भीगा स्वराज दिल पे हाथ रखके जल्दी से बाहर निकल गया। सीने में मानो पहाड़ सा बोझ महसूस हो रहा था। वह जोर से छाती पे हाथ रखे आंगन में पेड़ के नीचे बैठ गया।

सहसा स्वराज को ऐसे बाहर जाता देख स्नेहल भी उसके पीछे चली गई।

दोनों को इस तरह इंटर्व्यू छोड़के जाता देख मीडिया वाले भी अपना कैमरा ले उसके पीछे गए।

"स्वराज..." स्वराज को इस तरह बैठा देख स्नेहल घबरा गई, "स्वराज क्या हुआ आपको ? आप ऐसे बाहर क्यों आ गए ?"

"मुझपे ओर भरोसा मत करो मैं तुम्हारे मुँह से अपनी तारीफ़ अब बर्दाश नहीं कर सकता। मेरे सीने पे ये एक बोझ जैसा लगता है अब शायद समय आ गया है, मैं तुमसे अब ओर झूठ नही बोल सकता..."

"स्वराज मुझे बहुत डर लग रहा है, आप जो कहना चाहते हो वो अंदर चलके कहे प्लीज़..."

वो स्वराज को अंदर लेके गई और मीडियावाले भी अंदर गए।

"स्नेहल आज दुनिया को ये बताने का समय आ गया है...मैं तुमसे प्यार तो करता हूँ मगर मैं उस काबिल नहीं हूँ..."

आँखो से सहसा बहने लगे आँसू को पोछते हुए वह बोली," आप क्या बताना चाहते है ? प्लीज़ जल्दी बताए, मुझे घबराहट हो रही है।"

"शायद तुम ये बर्दाश न कर सको लेकिन यही सच है, पाँच साल पहले सिर्फ़ तुहारे साथ ही नहीं मेरे साथ भी एक हादसा हुआ था..."

रिपोर्टर अपने दोनों कान खोलके ध्यान से उन दोनों की बाते रेकॉर्ड कर रहे थे और लिख रहे थे।

"मेरा कॉलेज का आखरी साल चल रहा था और मेरे छोटे भाई का पहला। नया नया कॉलेज में उसे एक लड़की से प्यार हो गया और सबके सामने उस लड़की ने मेरे भाई की बेइज्जती की। शायद उसे मेरे भाई का तरीका पसंद नही आया था। सबका मजाक बन चुका था वह और इसी सदमे में उसने सुसाइड कर ली। बहुत प्यार करता था मैं अपने भाई से..."

"एक मिनिट कहीं तुम निखिल की तो ?"

"हा, निखिल ही..."

"क्या ? निखिल तुम्हारा भाई था ? अगर तुम उससे प्यार करते थे तुम मेरे साथ आज यहाँ क्या कर रहे हो ?"

"वही तो, मैं तुमसे मेरे भाई की मौत का बदला लेना चाहता था लेकिन मुझे पता चला कि मेरा भाई अपनी बेइज्जती की वज़ह से नहीं मरा था, वह तुमपे एसिड फेंक के अपने गुनाह से बचने के लिए मरा था लेकिन बचने के चक्कर मे वो खुद की ही जान खो बैठा। तुम्हारी हालत देख के ये पता चला कि गलत हमारे साथ नहीं तुम्हारे साथ हुआ था और तुम्हारी बात सुन कौन रहा था।अगर तभी में सच्चाई सबको बता देता तो क्या होता ? कुछ भी तो नहीं, मेरा भाई तो मर चुका था। सब तुम्हें हमदर्दी देते लेकिन क्या सब वही खत्म हो जाता ? नहीं, तुम और कमजोर हो जाती। मैं ये चाहता था कि तुम इस काबिल बनो के गुनाह करने वाला ये जान ले कि चाहे वो जैसे भी तुम्हें बर्बाद करना चाहे पर वो ऐसा नहीं कर पाएगा। और फिर भी कोई किसी के भी साथ ऐसा गुनाह करे तो तुम उसे सजा दिलवाओ। स्त्रियों की मजबूती उसे ये गुनाह करने से रोकेंगी।

तुम्हें मैं मजबूत बनाना चाहता था इसलिए ये सब कुछ तुमसे छुपाया, तुम्हारे ज़रिये मैं सभी निखिल जैसे क्रिमिनल को ये चेतावनी देना चाहता था कि वह एसिड फेंक के भी तुम्हारी जैसी लड़कियों का कुछ नही बिगाड़ पाएंगे बदले में वही समाज में नामर्द साबित होंगे।"

ये सब सुन स्नेहल सोफ़े पे ढल पड़ी और आँखों के सामने ये 6 साल गुज़र गए। वो हैवानी रात याद आते ही वह फिर से काँप उठी।

"मैं निखिल का भाई हूँ ये जानने के बाद अगर तुम मेरे साथ नहीं रहना चाहती तो तुम आज़ाद हो, तुम्हें कोई नहीं रोकेगा..."

स्वराज की ये बात सुन वह होश में आई और उसके गले लग के जोर से रोने लगी...."मैं तुम्हें कैसे छोड़ सकती हूँ, मैं अब तुम्हारी इस कोशिश को नई उड़ान दूँगी... हम हमेशा साथ रहेंगे स्वराज...."

"दूसरे दिन अखबार और टीवी में यही चर्चाएँ हो रही थी कि अगर हमारे देश में निखिल जैसे क्रिमिनल है जो किसी की इज्जत नहीं कर पाते तो उसके सामने स्वराज जैसे बेटे भी है जो देश की मर्यादा और इज्जत की रक्षा करते हैं।"

वाक़ई में देश की रक्षा सिर्फ वर्दी पहनकर ही नहीं की जाती, हरेक व्यक्ति देश की रक्षा और प्रगति के लिए जिम्मेदार है क्योंकि"ये देश है वीर जवानों का...."


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