प्यार की सीमा
प्यार की सीमा
राकेश ने कई वर्षों के बाद उस उपस्थित को महसूस किया जो कॉलेज में हमेशा से उसके आस पास ही थी।
एक महिला अपने बच्चे के एडमिशन के लिए स्कूल ऑफिस के काउंटर पर खड़ी थी जिसके चेहरे पर कुछ चिंता की लकीरें उभरी हुई थी। राकेश वहीं ऑफिस के कुर्सी पर बैठा यह सब देख रहा था। वह भ्रम की स्थिति में था कि वहाँ काउंटर पर जो महिला खड़ी है उसे पहले कहीं देखा है। लेकिन वह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर वह महिला कौन है ? एक पल के लिए उसने सोचा कि क्यों न उसी महिला से पूछ लिया जाए लेकिन दूसरे पल उसने सोचा कि क्या इस तरह किसी से बात करनी चाहिए सायद नहीं। यह स्थिति उसे और बैचेन करती जा रही थी। तभी उसे अचानक से याद आया कि वह सीमा है।
वही सीमा जिसके साथ उसने स्नातक की पढ़ाई पूरी की। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद बहुत से बच्चे इधर से उधर चले गए। सीमा उन्हीं बच्चों में से थी जो स्नातक की पढ़ाई के बाद न जाने कहाँ चली गई?
जब वह यह जान गया कि वह सीमा है तो वह निसंकोच उसके पास गया और उससे पूछा कि क्या "आप सीमा हो ?" उसने जबाव दिया- "हाँ।"
" लेकिन आप कौन ?" राकेश ने जबाव दिया कि मैं राकेश हूँ और आप ने मेरे साथ ही स्नातक की पढ़ाई की । लेकिन तुम यहाँ कैसे ? सीमा ने कहा कि मैं अपने बच्चे के एडमिशन के लिए आई हूँ और तुम यहाँ कैसे ? राकेश ने कहा- मैं यहाँ एक टीचर हूँ। मैं कुछ देर से तुम्हें देख रहा था लेकिन पहिचान पाने में थोड़ा असमर्थ था क्योंकि तुम्हें बिना देखे कई वर्ष गुजर और आज अचानक से देखा तो स्तब्ध हो गया। आगे बातें होती रहेंगी चलो यह फॉर्म मैं सम्मिट करा देता हूँ। राकेश ने स्कूल फॉर्म सम्मिट करा दिया। सीमा ने राकेश को धन्यवाद कहा। सीमा ने फिर मिलने का वादा किया।
एडमिशन के बाद सीमा का स्कूल आना जाना लगा रहता था तभी एक और दिन राकेश की सीमा से मुलाकात हुई। तब उन्होने अपने बीते हुए सफर को साझा किया। सीमा ने बताया कि वह बी.एस.सी की पढ़ाई के बाद अपने घर वापिस गई और कुछ महीनों के बाद उसकी शादी हो गई। सीमा की शादी उसी शहर में हुए जिसमें पहले कभी वो पढ़ी थी। सीमा की शादी रोहन से हुई जो कि एक कंपनी में अस्सिस्टेंट है। वह आगे पढ़ना चाहती थी लेकिन शादी और फिर बच्चे की जिम्मेदारी। फिर सीमा के राकेश से उसकी बीती जिंदगी के बारें में पूछा। राकेश ने बताया कि एम.एस.सी करने के बाद वह अभी भी किसी सरकारी नौकरी की तलाश में है लेकिन जब तक वो नहीं तब तक यह सही। तभी सीमा ने कहा- "तो तुमने अभी शादी भी नहीं की होगी।" राकेश ने कहा-"हाँ।" सीमा ने पूछा "क्यों ?" राकेश ने कहा- "इस क्यों का जबाब तो मेरे पास नहीं है लेकिन मैंने तुम्हें अपने बहुत करीब पाया था। मैं नहीं जानता था कि तुम यूँ अचानक से इस तरह चली जाओगी। काफी दिनों तक मैंने तुम्हारे बारे में जानने की कोशिश की लेकिन मैं तुम्हारे बारे में कुछ भी न जान सका ।वक़्त जो चाहता है वही होता है बाकी हमारे तो प्रयास होते हैं।"
वे दोनों उस अतीत की कहानी को फिर से लिखने की कोशिश कर रहा थर जो अधूरी सी रह गई। दोनों में से कोई नहीं जानता था कि आने वाली मुलाकातें एक दूजे के दिल में कोई खालीपन सा बनाकर चली जायेगी। जिसे वे हर पल महसूस करने लगें।
उधर रोहन इन सब बातों से दूर था वह अक्सर अपने काम में व्यस्त रहता था। वह सीमा से प्रेम तो करता था लेकिन वह अपने काम के कारण नाराज भी हो जाता था। जिससे सीमा कभी कभी उदास सी हो जाती थी। लेकिन वह अपने मन की बात किस से कहती?
जिंदगी की यही कहानी है, वह जीने के लिए कोई न कोई माध्यम ढूँढ़ ही लेती है। चाहें राह कैसी भी क्यों न हो?वह मन के सुकून के लिए अपनी सीमाओं को भी तोड़ देती है। जब अधूरी कहानियाँ जिंदगी की चौखट पर आकर बैठ जाये तो घर से बाहर आना ही पड़ता है।
इन मुलाकातों ने राकेश और सीमा को बहुत करीब ला दिया। इतना करीब कि सीमा यह भी भूल गई कि वह शादी शुदा है और एक बच्चे की माँ। और राकेश यह भूल गया कि सीमा अब वह सीमा नहीं जिसे वह पहले प्यार करता था, अब उसकी अपनी जिंदगी है। लेकिन यह मुलाकात का सफर रोहन की जिंदगी से भी गुजरने लगा। वह नहीं चाहता था कि सीमा उसकी जिंदगी से बाहर जाए। क्योंकि वह उससे प्यार करता था।
सीमा को जब यह महसूस हुआ कि वह जो कदम आगे बढ़ा रही है वह न तो उसके लिए, न रोहन के लिए और न ही राकेश के लिए जिंदगी दे सकता है तो वह राकेश से अंतिम मुलाकात के लिए पहुंची और सारी बात राकेश को बताई।
राकेश ने भी यह महसूस किया कि वह जो कर रहे थे वह गलत था।राकेश ने प्यार किया है लेकिन वह भी नहीं चाहता था कि उसके प्यार की खातिर इतनी जिंदगियां अपने बजूद को भी न बचा पाएं। इसमें रोहन और उस बच्ची का तो कोई दोष भी नहीं था।
राकेश ने सीमा से कहा- "यह मेरी भूल थी कि मैंने उस अधूरी कहानी को पूरा करने की कोशिश की जो पहले से ही पूर्ण थी। पति पत्नी के रिश्ते में थोड़ी बहुत तो नाराजगी चलती रहती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि रिश्ता अपने बजूद को भी नहीं बचा पा रहा। तुम्हारी जिंदगी का सफर इसी शहर में गुजरेगा, मैं नहीं चाहता कि तुम्हारे सफर में मैं कोई रुकावट बनूँ इसलिए मुझे ही इस शहर से दूर जाना होगा। मैं नाराज नहीं हूँ। बल्कि मैं खुश हूँ कि इतना सब कुछ होने के बाद भी तुम्हें रोहन जैसा पति मिला। तुम अपनी जिंदगी में वापिस चली जाओ और मैं नए सफर के लिए चला जाता हूँ।"

