पुराना प्रेमी
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आज मंजरी की शादी थी,हल्दी मेहंदी की रस्म हो रही थी,,मंजरी की चाची, मौसी ढोलक बजा बजाकर खूब नाच गाने कर रही थीं ,चारो तरफ की सजावट घर में चार चांद लगा रहे थे,सब बहुत खुश थे,,और खुश भी क्यों ना होते आखिर पूरे चार साल बाद मंजरी इस रिश्ते के लिए तैयार हुई थी।
मंजरी आज दुल्हन के जोड़े में सजी धजी बैठी थी आइने के सामने,और खुद को किसी और की दुल्हन के रुप में देख कर आंखो से आंसू छलका रही थी और अतीत की यादों में उलझी हुई थी,उसे चार साल लग गए अमित का इंतजार करते हुए,लेकिन अमित जो चार साल पहले ऐसे गया तो फिर आजतक नहीं लौटा...,अमित ने जाने से पहले कोई खबर नहीं दी बस बिना बताए एक दिन चला गया और दोबारा ना ही कभी कोई खबर आई,और ना ही उसने कभी कोई खबर देने की कोशिश की..कारण क्या था इसका आज चार साल तक पता ना चल सका।
फोन की घंटी बजी और मंजरी अतीत की यादों से वर्तमान में लौट आई,उसने फोन देखा और उस पर एक अंजान नंबर से मेसेज आया था --"हैलो मंजरी शायद बहुत देर कर दी मैंने तुमसे संपर्क करने में,,,मुझे नहीं मालूम अब तक तुम कहां पहुंच चुकी होगी और अपनी ज़िन्दगी में कितना आगे बढ़ चुकी होगी...मंजरी उस दिन मुझे जल्दबाजी में बिना बताए निकलना पड़ा,क्योंकि उस दिन मुझे मेरी मां का अचानक फोन आया कि पापा नहीं रहे,,,,मुझे उस वक्त किसी चीज का होश ही नहीं रहा...घर पहुंचा तो पापा का बिना प्राण का शरीर जमीन पर रखा हुआ था और उनके बगल मां बेसुध सी बैठी हुई थी...पापा के जाने के बाद मां ने अपनी सुध बुध खो दी और मौन हो गई....सुबह शाम सिर्फ वो पापा की तस्वीर,उनके कपड़े,उनसे जुड़ी सभी यादों के साथ बैठी रहती और अपने सभी जज़्बात सिर्फ अनगिनत आंसुओ से बयां करती।
मुझसे उनका ये हाल देखा नहीं जा रहा था और उनके पास मेरे अलावा और कोई नहीं था जो उन्हें इस वक्त संभाल सके...पूरा दिन मेरा सिर्फ उनके इर्द गिर्द ही घूमने लगा,,सुबह से कब रात हो जाती थी कुछ पता नहीं चलता था..फोन छूट चुका था किसी से बात करने की इच्छा खत्म हो चुकी थी,एक साथ इतना बड़ा दुख मिला था कि दिमाग काम ही नहीं कर पा रहा था...तुम हमेशा मेरे दिल में थी लेकिन जिम्मेदारियों के बीच में मै ऐसा फंस गया था कि कुछ नजर ही नहीं आ रहा था...और जिस जगह मै उलझा हुआ था वहां तुम्हे उलझाना नहीं चाहता था,इसलिए भी मैंने तुमसे अपनी तकलीफें बतानी जरूरी नहीं समझी...!!
बीते 15 दिन पहले मेरी मां भी मुझे छोड़कर चली गई और आज मेरे अकेलेपन में मुझे तुम्हारी जरूरत महसूस हुई,,मैंने तुम्हें मेरे जाने का कोई कारण नहीं बताया था जिस बात का मुझे बहुत पछतावा था...आज तुमसे अपने मन की बात साझा करने के बाद बहुत सुकून मिल रहा है....हो सके तो मुझे माफ़ कर देना।"...अमित" ।
मंजरी मेसेज पढ़ने के बाद जोर जोर से रोने लगी,उसकी आवाज सुनकर घर के बाकी सदस्य भी आ गए...मंजरी ने सबसे 4 साल पहले अचानक अमित के चले जाने का कारण बताया,,सबने मंजरी की बातों को सुना लेकिन किसी ने मंजरी को दोबारा अमित से बात करने की इजाजत नहीं दी..."मां ने मंजरी को समझाने की कोशिश की कि मंजरी आज इतने साल बाद ये खुशियां आई हैं इसे जाने ना दे,तू शादी कर ले खुश रहेगी।अमित तेरा बीता हुआ कल है उसे वहीं रहने दे तू आगे बढ़ चुकी है अब पीछे कदम ना कर....खानदान की इज्जत की बात है बारात वापस चली गई तो बड़ी बदनामी होगी, मान जा मेरी बच्ची"।
मंजरी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे,तभी मंजरी के पापा ने आगे आकर मंजरी के सिर पर हाथ फेरा और मंजरी को आश्वासन दिया कि वो उसके साथ है और उन्हें इस वक्त सिर्फ मंजरी की खुशियों से मतलब है ना कि खानदान कि इज्जत।मंजरी के पिता ने मंजरी से अमित को फोन लगाने को बोला और उन्होंने अमित के सामने मंजरी से शादी का प्रस्ताव रखा,,,अमित की सहमति होने के बाद उन्होंने अगले दो घंटो में अमित को विवाह मंडप में पहुंचने को कहा।
इधर दूल्हे को मंजरी ने शादी पक्की होने के पहले ही अपने और अमित के बारे में बता रखा था जिससे मंजरी के पिता को उन्हें समझाने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई...और उस परिवार के सभी लोग मंजरी और अमित के विवाह के लिए राजी हो गए। दो घंटे बाद अमित और मंजरी विवाह के मंडप में एक साथ बैठे हुए थे,,,और दोनों के चेहरे पर पूर्णता की मुस्कान थी,आज 4 साल बाद एक मेसेज ने दो लोग की ज़िन्दगी बदल दी,और उनके जीवन को खुशहाल बना दिया....आज दोनों फिर से एक हो गए थे।

