पर्यावरण बचाओ
पर्यावरण बचाओ
यह धरती हमारी मां है। इसी धरती पर हमारे पूर्वजों ने प्रकृति के सान्निध्य में अपना जीवन व्यतीत किया था और आज हम भी अपना जीवन इस धरती पर व्यतीत कर रहे हैं।
यदि हम यह चााहते हैं कि हमारी भावी पीढ़ी भी इस धरती पर इस प्रकार आनंंदित होकर अपना जीवन व्यापन करें तो हमें अपने पर्यावरण की रक्षा करनी होगी जिससे प्रदूषण से होने वाले दुष्प्रभावों से हम अपने पर्यावरण की रक्षा कर सके।जब मैं छोटी थी तो गर्मियों की छुट्टियों मेंं अपने परिवार के साथ अपने पैैैतृक गांव जाती थी। मेरा गांव उत्तराखंड में है। पहाड़ों से घिरा मेेेरा गांव शहर की भीड़ से दूर शांंत वातावरण में मौजूद है।
अक्सर जब हम टहलने निकलते हैं तो हमेेंं हिरणों का झुंड नज़़र आ जाता है। भालू और बंदरों को भी कई बार जंगलों में देेेखा गया है। एक बार जब हम अपनी बकरियों के साथ पहाड़ों पर जा रहेे थे तो अचानक ही बाघ के गुर्रानेे की आवाज आई। हम सब डर के मारे कांपने लगे।
सब के सब अपने अपने स्थान पर जड़ हो गए । बाघ ने चारों ओर नज़़रें दौड़ाई। ऐसा लग रहा था मानो हम सेेे कह रहा हो कि बेशक तुम शहरों में अपना राज चलाते हो लेकिन जंंगल का राजा तो मैं ही हूं। तभी बकरियां डर कर मिमियाने लगी। लेकिन बाघ पहले से ही जंगली जानवर को अपना शिकार बना चुका था इसलिए उसने हमारी बकरियों को बिना किसी नुक़सान के जाने दिया।
हम सभी ने चैैैन की सांस ली और ईश्वर को धन्यवाद दिया। हम सभी को इस बात का एहसास हुआ कि जंगल में सारे जीव केवल अपनी भूख मिटाने के लिए ही शिकार करते हैं। यदि सभी मानव जाति पर्यावरण के शोषण के बजाय उसके पुनरुुत्थान की तरफ ध्यान दें और अधिक से अधिक समय दें तो हमारी धरती फिर से हरी भरी और खुुुुशहाल हो जाएगी। यही संपूर्ण मानव जाति का अपनी भावी पीढ़ी के लिए सबसे अनमोल उपहार होगा।
