परवरिश
परवरिश
"अरे उर्वशी ! क्यों रो रही है" पिता ने बड़े ही प्यार से उर्वशी से पूछा ।
"पापा माँ ने आज बहुत डांटा इस टोनी (कुत्ता )ने घर में चारों ओर टट्टी कर दी ।बंधा न होने के कारण इसने सब तरफ गंदा कर दिया " रोते-रोते उर्वशी अपने पापा से कहा ।
पापा तो जैसे आग बबूला हो उठे और मां को जोर से डांटते हुए बोले "क्या जरूरत थी उर्वशी को डांटने की?? तुम हर बात पर उसे डांटती व फटकारती रहती हो । हद होती है ।"
ऐसा कहते हुए वह कमरे से बाहर निकले तो उर्वशी की मां ने समझएते कहा "आप आप बेकार में मुझे डाँटते हो । इस लड़की ने रॉकी कुत्ते को सर पर चढ़ा कर रखा है । इस आदत से यह बिगड़ गया है । "
पर पापा पर तो उर्वशी के प्यार का अंधापन था । इसलिए वह अपनी पत्नी पर नाराज होते हुए अपने काम पर चले गए ।पापा की इस आदत को जानते हुए उर्वशी हर बात अपने पापा से मनवा लेती और पापा ना मानते तो रोना शुरू कर देती ।अंत में हारकर पापा उसकी हर बात मानने लगे । उर्वशी की इन आदतो से मां बहुत परेशान थी । वह दिनों दिन जिद्दी और बदतमीज होती जा रही थी । घर के आसपास के लोग भी उसकी इस आदतों से परिचित थे । सब समझाते पर उसकी समझ में ना आता ।
दिन गुजरने लगे । उर्वशी पढ़ाई में बहुत अच्छी नहीं थी इसलिए वह ज्यादा पढ़ ना पाई वह फैशन और मोबाइल और सपनों की दुनिया में रहने लगी और अपरिचित लोगों से दोस्ती और उनसे बातचीत करना उसकी दिनचर्या हो गई ।
एक दिन घर से बिना बताए उर्वशी अपने दोस्त से मिलने चली गई बहुत देर होने के बाद जब माँ ने ढूंढा तो वह घर में ना मिली । तो उन्होंने आसपास सब से पूछा पर उसका पता ना लगा तो माँ ने पिता को फोन करके उर्वशी के बारे में पूछा पिता को जानकारी ना होने कारण वह घबरा गए और दफ्तर से उसकी सहेलियों व दोस्तों को फोन करके उसके बारे में पूछा परंतु किसी को भी उसकी जानकारी नहीं थी ।वहाँ उर्वशी अपने मित्र आदित्य से मिलने पहुंची वहां बातचीत के दौरान किसी बात पर दोनों में झगड़ा हो गया झगड़ा इतना बढ़ गया कि आदित्य ने उर्वशी के बाल पकड़कर उसके ऊपर चाकू से वार किया और उसको लहूलुहान देख कर भाग गया ।
यह देखकर भीड़ जमा हो गई तभी उसे देखकर एक आदमी जोर से चिल्लाया " उर्वशी ! उर्वशी ! तुम उर्वशी !" उसे देख कर वह बोली , " अंकल ... पापा, पापा को बुलाओ "
तुरंत उस आदमी ने उर्वशी के पापा को फोन किया और उर्वशी की हालत के बारे में बताया ।वह तुरंत ऑफिस छोड़कर उर्वशी के पास आ गए और उसे अस्पताल में भर्ती कराया । पूरी रात बेचैनी में काटी ।होश आने पर उन्होंने उर्वशी से घटना के बारे में पूछा । अंत में उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ जो उन्होंने बहुत पहले की थी । वह उर्वशी की मां को कभी समझ ना पाए जो हर बात में अपनी बच्ची को समझाने का प्रयास करती थी ।
पर वह उर्वशी के प्यार में अंधे होने के कारण वह पहचान नहीं पाए कि " जैसा बोया वैसी फ़सल पाओगें " ।
"जो बोए पेड़ बबूल के तो आम कहां से आए "
इस कहानी के माध्यम से एक संदेश कि मां-बाप को प्यार के साथ-साथ अपने बच्चों के मार्गदर्शक होने का दायित्व भी निभाना चाहिए ।पति पत्नी दोनों एक दूसरे को समझते हुए ही बच्चों की परवरिश करनी चाहिए । एक दूसरे का तिरस्कार करके सम्मान नही पा सकते । विशेषकर बच्चों के सामने एक अच्छे मां-बाप होने का दायित्व निभाना चाहिए।
