प्रश्नचिन्ह
प्रश्नचिन्ह
आज मन बहुत उदास और बोझिल हो गया था। अतः एक कप चाय बनाई और चाय का प्याला पकड़ मैं छत पर आ गई , एक कुर्सी पर जा बैठी और आसमान को निहारने लगी। मुझे बार-बार गौरी का मासूम सा चेहरा याद आ रहा था। चाय पीने के बाद मैं यादों के गलियारे में भटकने लगी।
कई साल पहले की बात है। हम गरमी की छुट्टी में अपनी नानी के यहां गए थे। वहां मेरी छोटी मौसी भी थीं, वो सब एक छोटे से शहर में रहती थीं। वे जहां रहते थे वह ग्रामोद्योग वालों का कैंपस था। वह पूरी तरह से एक गांव का ही अहसास देता था। हम उस जगह की प्राकृतिक छटा देख मगन हो गए थे। प्रतिदिन सुबह शाम कैंपस में घूमने जाते और खूब मज़े करते थे। वहीं एक अत्यंत सुंदर लड़की गौरी मिली मुझे। वह एक छोटे बच्चे को गोद में लेकर घूमती रहती थी। मैं ने उत्सुक होकर पूछा तो गौरी ने बताया था कि उसकी चार बहनों में वह सबसे बड़ी है और चौथी कक्षा में पढ़ती है।
गोद में उसकी सबसे छोटी बहन है ,जिसको संभालना उसी का काम है। क्योंकि मां को घर के बहुत सारे काम रहते हैं, तथा उसे बड़ी बेटी होने के नाते जिम्मेदारी को उठाना जल्द से जल्द सीखना चाहिए!
इस तरह मुझे गौरी से एक लगाव और सहानुभूति हो गई थी, उसकी उम्र से अधिक परिपक्व हो जाने की वजह से।
इधर दो दिन से वह नहीं आ रही थी तो मुझे कुछ बेचैनी महसूस होने लगी। मैंने नानी से कहा तो पता चला कि दो दिन बाद उसकी शादी हो रही है। मैं यह सुनकर अवाक रह गई। मैंने उन से कहा कि," आप लोग क्यों नहीं समझाते कि अभी उसकी उम्र शादी करने योग्य नहीं है?"
नानी तथा नानाजीजी ने समझाया था, पर चार बेटियां होने की वजह से तथा कमजोर आर्थिक स्थिति का हवाला देकर, वे अपने दायित्वों का निर्वाह करने के लिए गौरी की शादी करने पर अटल रहे। साथ ही मुझे यह भी पता चला कि उसकी मां एक बेटा की आस में फिर से गर्भवती थी।
शादी के दिन हम सब उसके घर गए। गौरी से बात की तो पता चला कि उसका होने वाला ससुराल अच्छा और धनी है तथा सासु के बीमार रहने की वजह से वे आठवीं में पढ़ने वाले अपने बच्चे लड़के की शादी इसलिए कर रहे हैं कि शायद बहु के आने पर सांस का मन चंगा हो जाए। रात में शादी हो गई और सुबह वो बच्ची ससुराल के लिए विदा हो गई।
'पग फेरे' की रस्म निभाने वह आई थी चंद घंटों के लिए, मैंने महसूस किया था कि अचानक से वह जिम्मेदार बहू बन गई थी। उसके चेहरे पर ना खुशी थी ना दुख। उसने बताया कि उसका पति दो साल के लिए हास्टल चला गया था। गौरी शाम होते- होते वापस ससुराल चली गई।
अगले दिन हम भी वापस आकर अपने कर्तव्यों में मशगूल हो गए। बीच-बीच में मौसी से पता चलता रहता था उसका हाल। उसको भाई हुआ था तब वह मायके आई थी और फिर वापस ससुराल नहीं जाना चाहती थी क्योंकि ससुराल वालों का व्यवहार अच्छा नहीं था। उसको नौकरानी की तरह काम करना पड़ता था वहां। उस पर दिन रात ताने भी सुनने पड़ते थे।
माता-पिता ने अपनी गरीबी का हवाला देते हुए उसे फिर भी वापस भेज ही दिया था। उसके बाद से गौरी फिर मायके नहीं आई थी।
मैं यादों के गलियारे से निकल वर्तमान में लौट आई।
आज मौसी ने बताया कि गौरी का प्रसव के दौरान देहांत हो गया।
उसका पति मैट्रिक की परीक्षा देकर लौट आया था कुछ समय के लिए अपने घर। लगभग दो महीने वह घर पर रहा तथा फिर बारहवीं की पढ़ाई करने हास्टल चला गया। गौरी एक तो कच्ची उम्र में मां बनने वाली थी दूसरी सारा काम यथावत उसी से करवाया जाता था और पोषण भी सही नहीं मिलता था। उन्हीं सब कारणों से आज जच्चा बच्चा दोनों जा चुके थे, अपने माता-पिता तथा समाज पर एक प्रश्नचिंह लगा कर।