Rita Jha

Inspirational

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Rita Jha

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ख्वाहिश

ख्वाहिश

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"मम्मीजी आप जरा हाथ आगे कीजिए प्लीज" रीमा कार्यालय से आकर सीधे रसोईघर पहुँच गई और बर्तन पोंछ कर सजा रही अपनी सास रमादेवी से बोली।

"अरे बेटी तू आज जल्दी घर आ गई....तू बैठ मैं तेरे लिए चाय लेकर आती हूँ।" रमादेवी ने हड़बड़ा कर जवाब दिया।

"अरे मम्मीजी आप मेरे साथ बाहर आओ" कहते हुए रीमा अपनी सास को बाहर ले आ कर सिखाती है और उनके हाथों में हीरे की अंगूठी पहना देती है!

"अरे! बेटी ये क्या मुझे इसकी क्या जरूरत... मेरी तो बस इतनी ख्वाहिश है कि मेरी बहू मेरी बेटी बनी रहे"

"जी मम्मी और आपकी उसी बेटी की ख्वाहिश है कि आप अब आराम से रहें, आपने मुझे कभी कोई काम नहीं करने दिया ताकि मैं अफसर बन सकूं , और आपके ही मेहनत का फल है कि मैं आज आइ ए एस अफसर बनकर अपने पहले वेतन से..."

"कल से आप घर के काम नहीं करेंगी और मन में दबी ख्वाहिश समाज सेवा का काम करेंगी, घर के काम के लिए कल से नौकर आ रहा है....।"

दोनों गले मिलीं और आंसू से एक दूसरे का कंधा गीला करने लगीं।



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