प्रकृति पुकारे सुनो रे
प्रकृति पुकारे सुनो रे
प्रकृति पुकारे सुनो रे मानव
आज के आधुनिक युग भागती दौड़ती जिदगी ने ऐसा अहसास करवा दिया जिसके लिए शायद कोई भी तैयार नही था।
भोला राम गाँव के साधारण परिवेश मे रहकर शिक्षा ग्रहण करके । फोरेस्ट आफिसर बन कार्यरत अपना काम ईमानदारी से करने का जज्बा लिए अपनी ड्यूटी करने नियुक्त हुआ। परंतु प्रकृति के दुश्मन ने चोरी छिपे वृक्षो की कटाई का षडयंत्र रचा।
वह अपने को पूरी निष्ठा से करना चाहता था। उसके पैरो से जमीन खिसक गई ।जब उसने अपने ही पुत्र को घिनौने षडयंत्र मे रंगे हाथो पकडा।
दो सौ पेडो के विनाश मे, कटाई करवाने और लकडी के बेचने मे उनका पुत्र शामिल था। भोला राम पेड़ो पौधे को अपने बच्चो समान प्यार करता था। लेकिन विदेश से शिक्षा करके आया,उनका पुत्र अपने पुश्तैनी खेती को प्लास्टिक उत्पाद के कारखाने मे परिवर्तित करना चाहता था। सांगवान के दौरान सो वृक्षो को चोरी छिपे कटवा कर पैसो के लालच मे खेत खलियान की उपजाऊ भूमि को स्वार्थ सिद्धि की लालसा मे झोकना चाहता था। भोलाराम को ये कतई मंजूर न था।
भोलाराम ने षडयंत्र कारियो सहित अपने पुत्र को कड़ी सजा दिलवा कर सिद्ध कर दिया। आधुनिक युग मे भी प्रकृति के संरक्षण है । जो हमे संदेश दे रहे है। मानव
" उठ जाग आँखे खोल ,अपने स्वार्थ मे ना प्रकृति से खिलवाड कर।
जब प्रकृति रूष्ट होगी। तब विनाश लीला के ताण्डव का शिकार तू ही होगा।"