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Jiwan Sameer

Abstract

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Jiwan Sameer

Abstract

परिवर्तन

परिवर्तन

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ताल्स्ताय के विचारों से राजेश अत्यन्त प्रभावित हुआ। उसने अपने साथी विनोद से लोहार को इंगित कर कहा :"देखो विनोद! उधर देखो लोहार हमारी आवश्यकता है। उसे प्रमुखता देनी चाहिए।"

सामने डालो मोना बैठी है। उसके बिना तुम्हारा काम नहीं चलेगा "। विनोद नेे कातर दृृष्टि से उसके दर्शन को समझने का प्रयास किया।" और  पीछे मुडो वकील डाक्टर कवि कलाकार के पीछे लगी भीड... कितनी मूूर्खता कितना अनाड़ीपन.. ओह विनोद सर फटा जा रहा है। एक गोली सरदर्द की ले आओ"।

विनोद अपना आपा खो चुुका था।राजेश की ध्वनि में अचानक परिवर्तन आ गया था। वह धीमे स्वर में बोला :"यार! एक गोली सरदर् की मेरे लिए भी..... "


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