"परिवार''****
"परिवार''****
यह बात किसी ने सही कही है, अगर परिवार साथ हो तो हर मुश्किल का समाधान जरूर निकल जाता है। तो इसी बात पर यह कहानी प्रस्तुत हैं:-
बात उन दिनों कि है, जब हमारे परिवार की एक सदस्य गर्भवती हुई, और उनका पहले भी एक बच्चा हो चुका है, वह अभी सवा साल का ही हुआ था कि दूसरा बच्चा भी पेट में आ गया। पहले तो सब घबरा गए कि कैसे होगा सब , अभी तो यही इतना छोटा है और दूसरा भी तैयार हो रहा है। घर में बहुत चिंता रहने लगी, लोग आपस में लड़ते रहते थे। लेकिन धीरे-धीरे वक्त निकलता गया और जब वह घड़ी आई तब उनकी डिलेवरी का वक्त आया।
उस परिवार में एक लड़की भी थी, उसके तो
होश से उड़ गए थे कि इतनी जल्दी, एक और नन्हा मेहमान घर में आएगा!!!! अभी तो पहले को ही लाड- प्यार देने का समय आया था, वो अब दो में बट जाएगा????
परन्तु कुछ दिनों बाद उसने अपने आप को समझाया कि जो होना होता है , वह होकर ही रहता है। आप के ऊपर निर्भर करता है, कि आप उस वक्त क्या फैसला ले पाते हैं। पहले तो वह लड़की गंभीर सी रहने लगी, लेेेकिन धीरे-धीरे वह उभरने लगी , और घर के काम में और ज्यादा हाथ बाट ने लगी । ताकि आगे ( डिलेवरी के पश्चात) एक दम से बहुुुत लोड न पड़े। वह लड़की पहले से भी ज्यादा ,बच्चे के साथ भी समय गुजारने लगी ताकि उसकी मां अस्पताल जाए तो उसे संभालने में अधिक दिक्कत न आए, समय बीतता गया, डिलेेेवरी का दिन आया ।
घर की एक सदस्य गर्भवती महिला को अस्पताल लेकर निकली । घर में अब बस , वह लड़की और बच्चा ही रह गए थे। बच्चा तो खेल रहा था, लेेेकिन वह लड़की बेचैैन हो रही थी कि बच्चा रोए नहीं, इसी वजह से वह उसे खेल-खेल में थोड़ा खिलाती- पिलाती भी रहती , और अस्पताल से भी बार-बार सूचना ले रहे थे, कि घर पर सब ठीक है न ? बच्चा रो तो नहीं रहा?? लेेकिन घर में सब कुछ ठीक था। इन्हीं सब के बीच खबर आई कि बच्ची हुई है,, घर की सदस्य ने बधाई देेेकर बताया। सभी (घर के सारे लोग) बहुत खुुश हुए और घर में खुशियां मनाई गई।
कुछ दिनों बाद वह महिला और बच्ची कुशल मंगल घर आए और वह बच्चा अपनी मां सेे जा लिपटा , यह देखकर सारी परेशानियां दूर हो जाती है।।।।