नारी मूर्ती नहीं इंसान हैं।...
नारी मूर्ती नहीं इंसान हैं।...
"नारी" यह शब्द है; जो ग्रन्थों के अनुसार बहुत पवित्र व पूजनीय माना जाता है। परन्तु क्या वाकई, नारी को पूजा जाता है?? अरे कहीं आप यह तो नहीं सोच रहे:-छः - छः महीने बाद नवरात्रि आती है तभी नारी को पूज लेते हैं, फिर कौन सी नारी ? कहां की नारी?!!
आज हर जगह जितना हल्ला मचा रखा है, नारी को बचाना है, उसे पढ़ाना है, उतने ही ख़राब हालात होते से नजर आ रहे हैं, आएं दिन बलात्कार, धर्म परिवर्तन आदि घटनाएं सामने आ रही है! तो कहां सुरक्षित है नारी ???.....??
वह जितना आत्म निर्भर बनने की कोशिश कर रही है, उसे उतना ही मढ़ोकर मार डालने की कोशिश हो रही है।।
एक तरफ तो नारी पूरा घर चला रहीं हैं, दूसरी तरफ पीड़ित और कमजोर हो रही है!!!!
ऐसा क्यों हो रहा है????? मैं भी एक नारी हूं।। क्या नारी मूर्ती बनकर सब सहती रहे?!?!! और क्यों सहे।
अगर नारी नहीं तो नर नहीं।।।
"कहां से अपने घर का 'चिराग ' लाओगे,
पहले घर की 'रोशनी' को तो बचा लो"