परिवार के साथ बिताए बेहतरीन पल
परिवार के साथ बिताए बेहतरीन पल
मैं एक औरत माँ पत्नी और एक बहू एक भाभी। मैं अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाती ईश्वर की कृपा से बीमार भी नहीं पड़ती। ये कहिए हुई भी तो भी ध्यान न दिया सब को खुश रखने में।
कभी लगता कि ये सब मतलबी है मैं हर खवाईश पूरी करती हूँऔर ये समझते ही नहीं हमें ।शायद परिक्षा की घडी ।
लोग कहते है परखना मत परखने से कोई अपना नहीं रहता ।
एक रात बदन दर्द बुखार तप रही थी मैं पति देव डर गये पूरा परिवार मुझे घेरकर बैठा था और मैं देख रही थी
अगले दिन डाक्टर के पास गये टायफाइड की शिकायत हुई दवाईयाँऔर खानपान का परहेज। अब तो मैं पंलग पर और सब मेरी सेवादारी में।
मैं आत्मग्लानि से भर गई औ सोच रही थी मैं कितनी खुदगर्ज कैसे बन गई, इतना सुंदर मेरा परिवार और मैं शंकित। मुझे भरपूर प्यार दुलार मिला।
