परिचय

परिचय

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लेखकों की परिचय सभा चल रही थी। सभी बहुत तैयारी से आये थे। सबको यह सिद्ध करना था कि वे सब अपने-अपने क्षेत्र में आगे हैं।

"हम अभी नये लेखक बने हैं। हमारी क़लम स्वयं ही चलती है। किसी की मोहताज नहीं। "एक नवयुवक ने अपने समूह का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा।

"हम स्वांत-सुखाय लिखते हैं। हमारी लेखनी किसी पारिश्रमिक की मोहताज नहीं। "पुरानी पीढ़ी का स्वर उभरा।

"हम इसलिये लिखते हैं कि पाठकों का मनोरंजन हो। हमें प्रशंसा मिले। "एक अन्य स्वर उभरा।

"हम इतिहास रचते हैं। चाहे तो जो न घटा हो उसे भी सच बना दें। "इतिहास लिखने वाले समूह का अग्रज बोला।

"हम तो फ़िल्मों के लिये लिखते हैं। फ़िल्म चल निकले तो वारे-न्यारे हो जाते हैं। "एक फ़िल्मी लेखक ने कहा।

"हम पिट्ठू हैं जो हमें आश्रय देगा हम उसी के बारे में प्रशंसा लिखेंगे। "राजभट कवि बोला।

"हम टी.वी. चैनलों के ग़ुलाम हैं। जो चैनल चाहेगा वही लिखेंगे। "सूट-बूटधारी लेखकों के ग्रुप का नेता बोला।

तभी वहाँ चैनल वाले आ गये। सभा तितर-बितर हो गई। सभा में मौजूद कुछ लोगों की बाँछें खिल गईं। वे जा कर कैमरे के सामने जमा हो कर अपनी-अपनी हाँकने लगे।

अब आगे-आगे कैमरा और पीछे-पीछे वे लोग !


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