प्रेम कहानी
प्रेम कहानी
रेनू एक सुशिक्षित सरल हृदय की लड़की है। पर नियति ने उसके साथ सबसे क्रूर मज़ाक किया। श्याम बहादुर की इकलौती बेटी रेनू बचपन से ही सुसंस्कारी और आकर्षक व्यक्तित्व की धनी थी।
पिता ने बड़ी धूमधाम से रेनू की शादी सेना में कर्नल रैंक के आफिसर सत्यपाल सिंह से की। अभी शादी के कुछ ही महीने बीते थे। हाथ की मेहँदी भी नहीं उतरी थी कि रेनू के पति के शहादत की खबर मिली। रेनू पर तो मानो दुखों का पहाड़ ही टूट पड़ा। रेनू के ससुराल वालों ने उसे डायन नाम दे दिया। बेटी के इस प्रकार विधवा होने पर टूट चुके पिता उसे घर लाए और उसकी खुशी हर उपाय करने लगे।
प्रेम पाण्डेय शहर से पढ़कर गांव लौटा, तो उसे यह समाचार मिला। वह रेनू से बहुत प्रेम करता। पर घर वालों के विरोध के कारण वह चुप रहा। वह रेनू से मिला और अपने प्रेम का इजहार किया, तो रेनू झेंप गई और बोली कि मैं विधवा हूँ साथ ही डायन भी। कहीं........ प्रेम बोला -अब आगे कुछ मत कहना प्रेम ने रेनू का हाथ पकड़ कर नम आंखों से उसे अपनी योजना बताई और परिवार वालों की मर्जी के खिलाफ प्रेम ने विधवा रेनू का हाथ थामा और शहर जाकर शादी कर ली थी। इसमें श्याम सिंह ने रेनू का साथ दिया।
रेनू के त्याग और प्रेम के अथक परिश्रम से प्रेम को यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफल हो गया। आज रेनू की बदौलत प्रेम सफलता के शिखर पर है। प्रेम को अपने निर्णय पर गर्व है और रेनू के तो मानो पंख लग गए हैं।