अरेंज मैरिज
अरेंज मैरिज
शीला दीक्षित 21 वर्ष की यौवना जो खुले विचारों के साथ जीने वाली लड़की ,राम प्रताप दीक्षित जी की इकलौती संतान है। राम प्रताप जी सरकारी प्राईमरी स्कूल के प्राचार्य हैं। घर में बिटिया को बड़े लाड़-प्यार से पाला। जब शीला इंटरमीडिएट की परीक्षा में यू. पी. सेकेंड टाॅपर बनी तो दीक्षित जी ने पूरे गाँव वालों को पार्टी दी थी। शीला को स्कूटी खरीद कर दी थी। उन्होने ने बिटिया से पूछा - "बेटी तुम आगे क्या करना चाहती हो? "
शीला -"पापा जी, आपकी इच्छा क्या है? मेरी इच्छा है कि मैं आपकी इच्छाओं को पूरा करना। यदि बेटा रहती तो,,,। "
दीक्षित जी - (डबडबायी आँखों को पौछते हुए) "अरे बिटिया क्या कह रही है? मैने तुझे बेटे से कम थोड़ी माना हूँ। तुम किसी बेटे से कम अपने को क्यों मानती हो। "
कहकर दीक्षित जी ने बिटिया को पुचकारते हुए सिर पर हाथ फिराया। मैं चाहता हूँ मेरी बेटी आई आई टी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करो, जिसके लिए मैं तुम्हें कोटा भेजुंगा।
शीला- "पापा आप जो जिम्मेदारी सौंपोगे, मैं उसे पूरी लगन से पूरा करूंगी। "
"पर बेटा मुझे थोड़ा डर भी लग रहा है।अनजान जगह है, तुम सामन्जस्य बना पाओगी या नहीं ।वहाँ अनेक तरह के लड़के भी होंगे, कुछ अच्छे भी कुछ बुरे भी।"
पापा के गले में पीछे से डालते हुए शीला कही - "पापा! आप ही तो सिखाते हो, अपने लक्ष्य पर फोकस करना चाहिए, परिवेश खुद बनाना पड़ता है और आप ही.......। आपको मुझपर विश्वास है ना।"
दीक्षित जी - "बेटा मुझे तुम पर पूरा विश्वास है, लेकिन मैं बाप हूँ। देश में घट रही घटनाएं मुझे सोचने के लिए मजबूर करती हैं। "
शीला -"आप चिंता न करें पापा। मैं अपना बेस्ट दूँगी "
दीक्षित जी - "ओके बेटा।" कहकर दीक्षित जी उठे और बाजार की ओर चल दिये।
जब बाजार से लौटे तो दो दिन बाद कोटा जाने के लिए ट्रेन की टिकट लेकर आये और शीला से बोले - शीला तैयारी कर लेना दो दिन बाद तुम्हें कोटा जाना है ।तुम्हारा रजिस्ट्रीकरण एलेन में करा दिया है। एक साल का समय मैं तुम्हें दुंगा।
शीला - "पापा आप के लिए जी जान लगा दूंगी, आपने मुझ पर विश्वास किया है। इस विश्वास को मैं टूटने नहीं दूंगी। "
दो दिन बाद शीला कोटा में एलन के हाॅस्टल के रूम नम्बर 5 की छात्रा के रूप में दाखिल हो गई। दीक्षित जी दाखिला दिलाकर तथा शुल्क जमाकर के वापस गाँव चल दिये।
उधर शीला बड़ी ही तल्लीन होकर अपने पापा के सपनो को पूरा करने के लिए दिन-रात मैहनत करती रही। एक दिन दीक्षित जी ने शीला से फोन पर बातचीत करते हुऐ पूछा - बेटा टेस्ट में कौन से रैंक आ रहे हैं। दीक्षित जी तो जान ही गये थे।
शीला - "पापा! अभी पूरी कोचिंग में टाॅपर चल रही हूँ।"
हौसला आफजाई के लिए दीक्षित जी ने कहा - "शाबाश बेटा ।आखिर तुम बेटा किसकी हो?" कहकर दीक्षित जी हँसने लगे।
उधर शीला हँसते हुए कही - "अपने पापा जी की।"
समय बीतता रहा ।उसी के बैच में विमल मिश्रा नाम का एक लड़का भी पढ़ रहा था, जो दूसरै रैंक पर था। शीला और वो अक्सर कोचिंग के बाद अपने डाउट्स एक दूसरै से डिस्कस किया करते थे। 5 मई को आई आई टी की परीक्षा निर्धारित थी।
14 फरवरी वेलेंटाइन डे को विमल के मन में पता नहीं क्या सूझी कि वह जब शीला के साथ डाउट पर डिस्कस के लिए बैठा था तौ अचानक ही उसने अपने बैग से एक लाल गुलाब के फूल और डेयरी सिल्क हर्ट स्पेशल चाकलेट निकाली और शीला की ओर बढ़ाते हुए बोला - "शीला क्या तुम मेरी वेलेंटाइन बनोगी ? आई लव यू फॉर एवर "
शीला -" देखो विमल! मेरा लक्ष्य अपने पापा के सपनों को पूरा करना है। मेरे जीवन में इन बातों का कोई महत्व नहीं है। मैं लव मैरिज से ज्यादा अच्छा अरेंज्ड मैरिज को मानती हूँ। तुम मेरे अच्छे दोस्त बन सकते हो पर हमसफर तो पापा जी ही पसन्द करेंगे।"
विमल आश्चर्यचकित होकर शीला से कहा - "क्यूँ, क्यूँ, क्यूँ? क्या तुम जिसे जानती नहीं, दैखी नहीं, उसके साथ सिर्फ इसलिए जीवन बीताओगी, क्योकि पापा ने कहा।"
शीला - "हाँ विमल हाँ, क्योंकि पापा पर मुझे खुद से ज्यादा विश्वास करती हूँ। आज पापा ने ही मुझे इस स्थान पर भेजा है, मुझ पर विश्वास करके। जब पापा जी ने उम्र के इस पड़ाव तक हमारे अच्छे जीवन के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगाया है, तो मेरे हमसफर का चुनाव करने में भी वो कोई कमी कैसे छोड़ेगे। अब चलें। "
विमल एक टक उसे देखे जा रहा था ।जैसे उसके मुह में जबान ही न हो। उसे ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी। समय बीता परिक्षाएँ हुई, दोनों का आई आई टी में चयन हुआ। दोनों खुश थे। दोनों ने एक दूसरे से बातें करने का वचन लिए और अपने घर चल दिये।