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Aagam Rahasya

Romance

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Aagam Rahasya

Romance

प्रेम अकथ कहानी कहे निखिल

प्रेम अकथ कहानी कहे निखिल

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आज जीवन का अर्थ समझा आया कि.... प्रेम क्या है.... एक मृत्यु और नये जन्म का आरंभ... प्रेम मृत्यु ही तो है... परवाने की......जो जलकर मिट जाता है... और एक नये आराम्भ की शुरूआत करता है़....और परवाना मृत्यु तक पहुंचने के लिए ललायित है.... बेचैन है... तडप रहा है.. और शमा मे जाकर समा जाता है.. अनंत की शाश्वत नींद में. यहीं तो प्रेम है... मृत्यु... प्रेम करना है तो पहले मरना होगा... अर्थात स्वयं को खो देना होगा... स्वयं का कोई भान ही ना हो... कि तुम हो भी या नहीं... यही से फिर शाश्वत प्रेम शुरू होता है.... जो निस्वार्थ होता है... आकांक्षा रहित होता है.... यह प्रेम ही महत्वपूर्ण है... सत्य है... अखंडित है... और इसकी खुमारी ही अलग होती है.... व्यक्ति केवल खोया ही रहना चाहता है पर प्रियतमा मे..... उसे स्वयं का कोई भान ही नहीं... 

  परंतु प्रेम का स्वरूप आजकल बदल ही गया है... और आकर्षण का रूप लेकर विकसित हो रहा है.....बस मात्र अच्छी अच्छी बाते करना ही प्रेम नहीं है.... बस एक बाक देख लेना प्रेम नहीं है... प्रेम वास्तव देखकर होता ही नहीं है... देख कर तो वस्तुओं को पसन्द किया जाता है... और आजकल प्रेम ही वस्तु बना है... जहां कदम रूक जाये... जहां स्वयं ही नाच और झुमने का दिल करे जहां विरह ही न होने का दिल करे... बस यही इसी क्षण मे हूं.. ही नही... केवल प्रियतम है... और मैं झुम उठी हूं... मन आनंद मे हिलोरे खा रहा है... बस मंद मंद मुस्कान जो सबको घायल कर दे.... तो समझ लेना कि तुमने प्रेम के क्षेत्र मे कदम रख दिया है.... 

  और प्रेम सरल है ही नहीं.... कदम रखा है.... तो... पर आगे कांटे होगे... आग के दरिया मे खोते तो लगाने होगे.. पीडा कष्ट आयेंगे प्रेम परीक्षा लेता है... परंतु फिर भी प्रियतम की सूरत हृदय मे बसी रहे उस मे खोये रहे... और याद करें... और कोई पसंद ना आये तो समझ लेना तुम प्रेम की अंतिम सीढी पे हो..... और फिर प्रियतम के लौट आने का इंतजार पूर्ण होता है.... और उसे लौकर तो आना ही होता है.. यही तो प्रेम है जो खींच कर लाता है बिना किसी शर्त या जबरदस्ती या मिले.... 

  यह तो पूर्णता है प्रेम......



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