तिलस्मी दुनिया का तिलस्मी जादूगर
तिलस्मी दुनिया का तिलस्मी जादूगर
1.तिलस्मी जादुई बादशाह गुरू
खून से लथपथ और लड़खड़ाते पाँव से चलते हुये अपनी जान बचाते हुये तिलस्मी जादूगर आमली अपनी तिलस्मी महल में पहुंचा है और महल में पहुंचते ही उसके पाँव लड़खड़ा से गये और वो जमीन में जा गिरा और उसे गिरता देखकर उसके पांच शागिर्द दौड़ते हुये जल्दी से जादूगर आमली के पास आ जाते है और उसे उठाकर बिस्तर पर लेटा देते है और अपनी जादुई शक्तियों से उसके घाव को भरने लगते है । परंतु तिलस्मी जादूगर आमली के शरीर के घावों पर कोई असर ही नहीं पड़ रहा था और धीरे -धीरे जादूगर आमली का शरीर शांत हो जाता है और उसकी आत्मा उसके शरीर को छोड़ देती है। परंतु जादूगर आमली के शार्गिदों को पता तक ही नहीं चलता है कि उनका स्वामी अपने शरीर को छोड़कर चला गया है..वो सभी शागिर्द अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा से जादूगर आमली के शरीर को Heal करते रहते है...कुछ देर बाद जादूगर आमली के शरीर के घाव भरना शुरू हो जाते है। ये देखकर सभी शागिर्द खुश हो जाते है और जादूगर आमली को आराम करने देते और उसके पास में ही बैठकर आपस में बातें करने लगते है।
....शैतानी संघ के लोग कितने घिनौने और नीच लोग है किसी की कमजोरी का फायदा उठाना की इनकी हिम्मत कैसे हुई ...मुझे बस एक बार जाने का मौका मिल जाये मैं इन सबको पलक झपकते ही मौत के घाट उतार दूंगा। जादूगर आमली के तीसरे शागिर्द धर्मेश ने गुस्से में कहा।
ज्येष्ठ भ्राता धर्मेश आप बेसब्र हो रहे है ..खुद को संभालिये ..आप इनके जाल में नहीं फंस सकते है ...जादूगर आमली के छठी शागिर्द सुहाना ने कहा।
मैं छोटी बहना की बात से सहमत हूं ...हमें परेशानी के समय समझदारी से काम लेना होगा। ज्येष्ठ भ्राता अगर स्वामी उनसे अभी ना भी लड़ पाये तो भी हम सात तो है यहां पर हम सब साथ है तो ज्यादा नुकसान हमें नहीं पहुंचा पायेंगे। भ्राता हम सातों मिलकर उन शैतानी संघ वालों का खेल चुटकी में समाप्त कर देंगे। जादूगर आमली के चौथे शागिर्द रूपेश ने धर्मेश से कहें।
इसी बीच सूर्यवंशी ने धीमे से अपनी आँखें खुली। उसके आस पास खड़े कुछ लोग बहुत परेशान थे और वे आपस में कुछ बहस कर रहे थे। सूर्यवंशी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था उसने जैसे ही अपनी आँखे खोली तो उसकी आँखों के सामने किसी की मेमरीज ऐसे चलने लगी ...मानो कि जैसे कोई वीडियो देख रहा हो ...कई सारी यादें और ...तरह -तरह की आवाजें सूर्यवंशी के मस्तिषक में सुईयों की तरह चुभने लगी।
फिर वह अपने खड़े चारों लोगों की तरफ देखता है और सोचने लगता है कि ये लोग कौन है ...और यह किसकी मेमरीज है ...यह मेरे साथ क्या हो रहा है ..मैं कहां हूं .....मैं इस जगह कैसे पहुंचा ...ये है कौन सी जगह ... और मैं बिस्तर पर क्यूं हूं। यह सब सूर्यवंशी सोच रहा था और वे मेमरीज और आवाजें लगातार सूर्यवंशी के मस्तिष्क में घूमने लगी। सूर्यवंशी इन यादों और आवाजों में कहीं गुम सा हो गया और अपने अस्तित्व को तलाशने लगा।
उसकी उन मेमरीज में और आवाजों में जादूगर आमली का नाम जोर -जोर से सुनाई दे रहा था।
एएएए..एक मिनट ....क्क्क्या....मैं सबसे ताकतवर शक्तिशाली तिलस्मी जादूगर आमली के शरीर में आ गया हूं।सूर्यवंशी अपने चारों ओर रखी चीजों को बड़े गौर से देख रहा था। फिर उसने अपनी आँखें बंद करके एक गहरी लम्बी सी सांस ली..एक भव्य महल ...तिलस्मी पर्वत जादुई महल...सात तिलस्मी शागिर्द और कई हजार जादूगर...सूर्यवंशी के मस्तिष्क में लगातार इन सभी की इमेजस चल रहे थे।
इधर तिलस्मी पर्वत के नीचे अभी हजारों जादूगर हथियार लिये खड़े थे। तिलस्मी दिव्य ब्रह्माण्ड श्रेणी के ग्यारह बेहतरीन माहिर जादूगर बाहर खड़े है।ऊपर से स्वामी की भी बुरी हालात है..अब हम लोग करें भी तो क्या करें... धर्मेश ने ज्येष्ठ भ्राता सुंदर से कहा।
सुन्दर जादूगर आमली का पहला तिलस्मी शिष्य था। वो चुपचाप से खामोशी से धर्मेश की ओर देखता है और फिर एक नजर से सुर्यवंशी की ओर देखता और कहता है ...भाई धर्मेश अभी स्थिति विकट तो है और हम चारों ओर से दुश्मन से घिरे हुये पर इस समय हम स्वामी को अकेला छोड़ भी नहीं सकते है ...हमें स्वामी को सुरक्षित रखना आवश्यक है।
ज्येष्ठ भ्राता सुन्दर की बातें सुनकर सभी छ: तिलस्मी शिष्य उसकी बात पर हां में सिर हिलाते है।
उधर सर्यवंशी के दिमाग में उठा यादों का बवंडर अब तक भी शांत नहीं हुआ था। वो अब तिलस्मी गुरु जादूगर आमली के शरीर में आ चुका था। जादूगर आमली जादुगर बादशाह होने के साथ-साथ एक तिलस्मी गुरू भी था। उसने अपने जीवन काल नौ शार्गिदों को ही पनाह दी थी। ये नौ के नौ शागिर्द बेहद ही शक्तिशाली और अनेक जादुई शक्तियों में पारंगत व खतरनाक तिलस्मी जादूगर थे। इन्होंने तिलस्मी दुनिया में तिलस्मी महल का झंड़ा चारों ओर गाड़ दिया...और कोई भी तिलस्मी जादूगर ....तिलस्मी गुरु और उनके शागिर्द का कुछ बिगाड़ ही नहीं सकते थे।
तिलस्मी जादूगर आमली के कुल नौ ही शिष्य थे और तिलस्मी जादूगर ने अपने जीवन में नौ ही शागिर्द को ही पनाह दी थी..इन्हीं नौ शार्गिदों में पहला शागिर्द था """"अजय""".. जिसने तिलस्मी जादूगर आमली को धोखा देकर अपना ही एक """काली शक्ति संघ ""बना लिया था...अजय अनेक जादुई शक्तियों में पारांगत था...और जादुई युद्ध कला में भी माहिर था। दूसरा शागिर्द सुन्दर था...जो जादुई अस्त्र शस्त्र कला में माहिर था...और जादूगर आमिल के साथ भी अभी तक रह रहा था....और तिलस्मी जादूगर आमली के प्रति वफादार था और जैसा नाम ...वैसा हृदय जो गुरू के प्रति प्रगाढ़ प्रेम और श्रद्धावान था। तीसरा शागिर्द था धर्मेश ..जो मल्लयुद्ध, मायवी युद्ध कला में निपुण था। चौथा शागिर्द रूपेश था ....जो अनेक प्रकार की मारक जादुई शक्तियों में प्रवीण था। पाँचवा शागिर्द आलोक था...जो तिलस्मी मायावी जाल शक्तियों में प्रवीण था और तिलस्मी जादूगर आमली को धोखा देकर उसकी हत्या करने की भी कोशिश कर रहा था। छठा शागिर्द सुहाना थी..जो अत्यंत सुन्दर और हीलिंग जादुई शक्ति में प्रवीण और साथ तिलस्मी आत्माओं को काबू करके उनसे कार्य करने की क्षमता थी। सातवीं शागिर्द प्रियंका थी ...जो तिलस्मी धुर्नेविद्या और जादुई बाण कला में प्रवीण थी। आठवाँ शागिर्द मलिक था...जो सुलेमानी रूहानी जादुई में प्रवीण था और नौंवी शागिर्द माया थी ...जो सभी शार्गिदों में छोटी थी और मासूम सी सूरत और तिलस्मी जादूगर आमली की सबसे चेहती थी और तिलस्मी जादूगर आमली नें बहुत से दिव्य आध्यात्मिक जादुई शक्तियां और तिलस्मी तलवार कला सिखाई थी..परंतु यह बात अलग थी कि माया ने अभी पूरी तरह से पारंगत नहीं हो पाई थी।
लगभग एक महीने पहले ही शैतानी महल के दस माहिर जादूगरों एक साथ मिलकर तिलस्मी जादूगर आमली पर छल से हमला कर दिया था। जादूगर आमली उन सब माहिरों अकेला ही लड़ता रहा था मगर उसने हार नहीं मानी थी ..पर यह भी नहीं कह सकते है कि वो जीत गया हो...शैतानी संघ के माहिर जादूगर और लोग पर्वत के नीचे खड़े थे और आमिल पर हमला करने के लिए तैयार थे तिलस्मी महल पर ना जाने ये कैसा खतरा मंडरा रहा था। सूर्यवंशी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ऐसी स्थिति में वह हंसे या रोयें। उसने उठकर खड़े होने की कोशिश की परंतु उसका यह नया शरीर इतना कमजोर था मगर जैसा ही वह खड़ा हुआ वैसे ही वापिस गिर गया।
लगता है स्वामी जाग गये हैं.....स्वामी...छजे के बाहर उसके सातों शागिर्द ना जाने कबसे बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। आमिल के सारे शागिर्द भागते हुये अंदर आ जाते है और सूर्यवंशी सामने झुक जाते है। सूर्यवंशी ध्यान से उन सातों की ओर देखता है और सूर्यवंशी ने उनसे कुछ नहीं कहा। उसके सामने खड़े सातों शागिर्द बेहद ही खतरनाक और ताकतवर थे। बाकी के दो शार्गिदों से धोखा मिलने के बाद अब उसका चौंकना रहना बहुत जरूरी था। अब आप कैसे है स्वामी ...कैसा महसूस हो रहा है आपको। उसके नौंवी शागिर्द माया ने चिंता जताते हुये सूर्यवंशी से पुछा।
मैं ठीक हूं सूर्यवंशी ने माया की ओर देखते हुये उससे कहा। सूर्यवंशी की आवाज सुनकर उन सातों शार्गिदों की जान में जान आई।
स्वामी शैतानी संघ के माहिर जादूगर हम पर हमला करने के लिए पहाड़ी के नीचे तैयार खड़े है। मुझे नहीं लगता कि हमारी सुरक्षा ढाल व तिलस्मी कवच की परत भी अब हमें ज्यादा देर तक बचा पायेगी। आमिल के दूसरा शागिर्द सुन्दर ....सूर्यवंशी से बोला।
सूर्यवंशी अपने मन को शांत करने की कोशिश करने लगा ..आखिरकार उसे तिलस्मी जादूगर आमिली का शरीर और उसकी यादों को पूरी तरह से कबूल करना पड़ा...अगर वह ऐसा ना करता तो आज उसका अंत निश्चित था।
क्यों ना मैं बाहर जाकर हमारे ज्येष्ठ भ्राता से मदद मांगूं वो वैसे भी आपके बेहद करीब थे और ऊपर से वो नवीन संघ के मुखिया है इतना सब जानने के बाद वो चुप नहीं बैठेंगे सुन्दर ने सूर्यवंशी से कहा। या फिर अनुज आलोक से बात कर सकते है वो भी बहुत चालाक है और तिलस्मी मायावी जाल शक्तियों में भी निपुण है रूपेश ने सुन्दर की हां में हां मिलाते हुये कहा। स्वामी....सुहाना कुछ कहती तो सूर्यवंशी ने उसे बीच में रोकते हुये कहा...मुर्खों ...चुप हो जाओ। सूर्यवंशी ने गुस्से में कहा...कंट्रोल सूर्यवंशी .....कंट्रोल ,...मैं पैनिक नहीं कर सकता हूं...चाहे कुछ भी हो जाये ,....मैं इन्हें यह नहीं पता नहीं चलने दे य सकता कि मेरी की यानी आमिली की शक्तियां अब जा चुकी है.....क्योंकि अगर ये बात इन्हें पता चल गई तो पहाड़ी के नीेचे खड़े दुश्मन से पहले ये सभी मुझे कच्चा चबा जायेंगे।
तिलस्मी महल की हिफाजती ढाल और तिलस्मी कवच की परत अब कुछ समय तक उन जादूगरों को रोक सकती है....मगर तुम लोग इतना क्यों घबरा रहे हो। सूर्यवंशी ने अपने शार्गिदों से पुछा। सूर्यवंशी की आवाज सुनते उसके सातों शागिर्द शांत हो गये।
सुन्दर तुम अभी कुछ कह रहे थे ना। सूर्यवंशी ने बिल्कुल आमिली की तरह ही कहा। जहां एक ओर आमिली की आयु तीन सौ साल होने की वजह से वह किसी भी इंसान से एक्सपीरिसंड और समझदार था वहीं दूसरी सूर्यवंशी तीव्र बुद्धि और शीघ्र से सीखने, पढ़ने, याद रखने में माहिर था। ऊपर से दोनों की मेमरीज मिल गई थी...देखा जाये जब तक सूर्यवंशी कोई बेवकूफी नहीं करता है किसी को भी कुछ शक नहीं हो सकता।
स्वामी मैं ज्येष्ठ भ्राता अजय से जाकर मदद की बात करता हूं सुन्दर ने अपनी मुट्ठी कसते हुये सूर्यवंशी से कहा।
सूर्यवंशी ने एक गहरी लंबी सासं भरी और कहा मैंने एक साथ शैतानी संघ दस माहिर दिव्य जादूगरों से युद्ध लड़ा ....मगर फिर भी मैं हारा नहीं और यह बात अलग है कि मैं उन्हें हार भी नहीं पाया। पर तुम्हें क्या लगता है कि इतना बड़ा षड्यंत्र शैतानी संघ के गधे खुद करने लायक है।
सूर्यवंशी की बात सुनते ही सुन्दर के चेहरे का रंग फिका पड़ गया था। उसने तुरंत कहा तो क्या स्वामी आप यह कहना चाह रहे है कि यह सब ज्येष्ठ ने ही किया है।
आमिली जैसे जैसे बूढ़ा होता जा रहा था तो उसकी शारीरिक क्षमता व शक्तियां भी कम होती जा रही थी...परंतु फिर भी उसे हारना कोई आसन बात नहीं थी। मगर इतना बढ़िया षड्यंत्र वो ही बना सकता था जो सूर्यवंशी का करीबी हो व अच्छे जानता हो और उसके रहस्य, कमजोरी के बारे में जानता हो।उसका पहला शागिर्द अजय अपने स्वामी को अच्छे सा जानता था और आलोक तो हिसाब किताब में भी माहिर था।
एहसान फरामोश..इन दोनों ने संघ छोड़कर ना ही सिर्फ अपने स्वामी को धोखा दिया .बल्कि स्वामी की जान लेने की भी कोशिश की ...अह्हह्ह! तीसरा शागिर्द धर्मेश चिल्लाकर बोला।
अगर हिफाजती ढाल और तिलस्मी कवच अभी तक सलामत नहीं होते तो वो लोग तिलस्मी महल को अब तक अपने कब्जे में ले चुके होते सुहाना ने कहा।
बस...बहुत हुआ तुम सबका सूर्यवंशी ने अपने शार्गिदों को डांटते हुये कहा। तुम सबको को लगता है कि मैं तुम सबकी इच्छा के बारे में नहीं जानता हूं। तुम सब तो यही चाहते हैं कि मैं अपनी जान से हाथ धो बैठूं। जैसे ही तुम सब को इस कार्य को अंजाम देने का पहला मौका मिलेगा तो तुम लोग पीछे नहीं हटेंगे..सूर्यवंशी ने कहा।
सातों शागिर्द तुरंत अपने-अपने घुटनों के बल में बैठ गये और हाथ जोड़कर एक साथ बोलने लगे ये शागिर्द ऐसा करने के बारे में कभी भी सोच नहीं सकते है...सूर्यवंशी हल्का सा मुस्कुराया और बोला तुम सबके -सबके अतुलनीय शक्तिशाली जादूगर हो ..,शायद जल्द ही तुम सब अपने ज्येष्ठ भ्राता की तरह दिव्य महाब्रह्माण्ड मण्ड़ल के जादूगर बन सकते है...मगर क्या तब तक तुम्हारा स्वामी होने के नाते ,मैं तुम पर अपना अधिकार जता सकता हूं।
एक शिक्षक को भगवान के समान माना जाता है और आप हमारे भगवान है स्वामी सातों शागिर्द ने सूर्यवंशी के आगे झुकते हुये कहा।
हम्म्म्म...अब तुम लोग यहां से जा सकते हो सूर्यवंशी ने आमली के सातों शागिर्द से कहा।
जी स्वामी सातों शार्गिदों ने एक साथ बोला और सूर्यवंशी के कक्ष से बाहर निकल आये। अब कहीं जाकर सूर्यवंशी को थोड़ा चैन आया ..लेकिन उसके हाथ-पाँव और शरीर पसीने से गिले हो चुका थे। वह अब भी कुछ भी समझ नहीं पा रहा था .,.कि आखिर वो करे तो करे क्या करें..ना जाने कौन सी दुनिया में आ गया है वो..ये कौन लोग है...उसे चारों तरफ दुश्मन ही दुश्मन दिखाई दे रहे थे।
सूर्यवंशी अपने बिस्तर पर जाकर बैठता है और योग विद्या के माध्यम से आमली के शरीर से खुद को बाहर निकालने की नकाम कोशिस करता है...अब तो मैं इसके शरीर से बाहर भी निकल नहीं पा रहा है...मैं कैसे अपने लोक वापिस जा पाऊंगा ..लगता है जादूगर आमली के शरीर ने मुझे स्वीकार करके अपना स्वामी मान लिया है। अब मैं क्या करूं ...एक तरफ शार्गिदों की लालसा और बाहर शत्रुओं की सेना हमला करने के लिए तैयार है ..इन सबसे मैं कैसे निपटूं और ऊपर से एक यह बुड्ढा व जख्मी, कमजोर शरीर से मिला है जो सही से हिल-ढुल भी नहीं सकता। ऐसी हालात में...मैं क्या करूं। उफ्फ्फ ....कितनी खराब किस्मत है मेरी ..ऐसी खराब किस्मत तो सपने भी किसी को ना मिले..ये तो एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई वाली बात है। मैं दोनों में किसी को भी चुन लूं मेरा मरना तो पक्का है। कौन से मनहूसियत दिन में लोक गमन प्रक्रिया करने बैठा था मैं...और जो इस दुनिया मैं आकर फंस गया...चलो मान भी लिया यहां आ भी गया तो कम से कम शरीर तो अच्छा, तंदुरुस्त वाला मिलता ...मिला भी एक कमजोर बुड्ढा शरीर....ऐसे कहते है चले थे गंगा नहाने ...ना गंगा नहाये और ना पाप धोये ...ये सब सूर्यवंशी अपने मन ही मन बोल रहा था। तभी अचानक से उसके मन में तिलस्मी मंत्र किसी स्क्रीन की तरह दौड़ते हुये दिखने लगे और साथ ही उसकी कुछ शक्तियां भी ...जिन्हें उसने पृथ्वी लोक में अपने गुरु के सान्निध्य में रहकर प्राप्त किया था।वे तिलस्मी मंत्र उसके मस्तिष्क में घूमते हुये उसके मस्तिष्क के अंदर प्रवेश करने लगते है। जिसके सूर्यवंशी के सिर पर बहुत तेज दर्द होने लगता है और कुछ देर के बाद सूर्यवंशी अपनी सामान्य स्थिति में आ जाता है और अपने आपसे बोलता है ..चलो ज्यादा नहीं कुछ शक्तियां तो है जिनके द्वारा किसी ने किसी तरह से मैं खुद को यहां पर जिंदा रख सकता हूं।
