प्रच्छन्न भेड़िये ..!!

प्रच्छन्न भेड़िये ..!!

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सुबह स्कूल पहुँचते ही सर ने बुला भेजा। अपनी एक सहपाठी को साथ लेकर सर के कमरे में पहुँची।

"ये तुम्हारी मासिक परीक्षा की कापी जाँच रहा था।"

बहुत देर सर कापी पलटकर दिखाते रहे। स्वस्थ और ऊँची कद-काठी की मिनी अपनी पाँचवीं कक्षा की सहपाठियों से बड़ी दिखती थी। उसकी मित्र कब तक रुकती उसे उसकी कक्षा में जाना था। मिनी भी उठ खड़ी हुई। सर ने उसे झिड़का- "इस बार तुम्हारा प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा है।" ये सुनकर पढ़ाई में मेहनती मिनी के चेहरे पर तनाव और परेशानी झलकने लगी।

सर ने मिनी को सांत्वना देने के लिए उसके सिर और फिर उसके कंधे को थपथपाया। अचानक उनका हाथ उसके कंधे से फिसल कर उसके दूसरे अंगों तक पहुँच गया। उसने मिनी को जकड़ लिया। सर की उन्मत्त मुखाकृति देख पहले तो मिनी घबराई फिर उसे माँ की सीख याद आई। जोर से हाथ में पकड़ी कलम सर के हाथ में गड़ा दी। हाथ की पकड़ छूटते ही भागी और शोर मचाने लगी।

तत्काल प्रभाव से निलंबित उस मास्टर को जब पुलिस ले जा रही थी तब अपनी सहपाठियों के साथ खड़ी मासूम मिनी की आँखें साहस से चमक उठीं....!!


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