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पहला प्यार

पहला प्यार

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पहला प्यार जिंदगी में हमेशा हमारे साथ रहता है, मीठी यादों के साथ। हम सबके जीवन में एक इंसान ऐसा होता है जिसे हम अपने हमेशा करीब चाहते हैं। प्यार क्या है, यह कैसा एहसास होता है, ये केवल आर्कषण नहीं है...ऐसी सारी बातें हमें धीरे-धीरे पता चलती है।

मैंने भी जीवन में बहुत सुखद और दुखद दोनों अनुभव किये हैं।

जब आपको किसी ऐसे इंसान से मिलने जाना हो जिसे आपने कभी देखा नहीं, कभी उसके बारे में सुना नहीं, बस 5-10 मिनट मिलना है और अपने जीवन की रूपरेखा तय करनी है।

मैंने भी सोच रखा था कि जब सब कुछ 5-10 मिनट में ही तय करना है तो बेधड़क अपने दिल की बात करूँगी।

जब उनसे मिली तो उनको देखते ही धड़कन ट्रेन की रफ्तार से भी तेज दौड़ने लगी। एक औपचारिक मुस्कान से परिस्थिति संभाली। फिर शुरू हुआ बातचीत का दौर तो जो भी मन में था सब बोल दिया। जो पूछना था सब पूछ लिया। मेरी बातों से काफी प्रभावित हुएऔर अपने सभी जज्बात को मेरे सामने खुली किताब की तरह रख दिया। ऐसा लगा जैसे हम हम हमेशा से दोस्त रहे हैं। जाते वक्त एक मीठी सी मुस्कान से सब कुछ बयां कर गए।

मन में मेरे एक अजीब सी बैचेनी थी। हाँ मैं इतनी जल्दी करना नहीं चाहती और ना मैं उनको कह सकती। इसी उधेड़बुन में एक खत मिला जिसमें स्पष्टतः लिखा था "कि शादी में दोनों की रजामंदी होना जरुरी है, तुम पर कोई दबाव नहीं, मेरे परिवार से भी कोई दबाव नहीं ...जो तुम्हारी मर्जी होगी,वहीं हम दोनों का भविष्य होगा।बस एक बात और कुछ और न सही दोस्त बनकर तुम्हारा साथ हमेशा चाहूँगा।उनका ये खत पढ़कर मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे।उनके खत को चूम लिया। शायद मुझे पहला प्यार जो हो गया था।

मेरी हाँ सुनते ही उनके घरवालों ने एक प्रोग्राम रखा। मैं वहाँ पहुँची और मुझे देखकर ही वो मुस्कुराने लगे। अपनी बहन से कहकर मुझे अपने रूम में ले गए और सबसे पहले एक ही बात पूछी, "तुम खुश हो।"

उनकी इसी लाइन पर मुझे उनसे सच मैं प्यार हो गया।


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