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abhishek verma

Abstract Drama Romance

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abhishek verma

Abstract Drama Romance

फिर भी मोहब्बत है तुमसे भाग- 1

फिर भी मोहब्बत है तुमसे भाग- 1

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आरुषि के बारहवीं के रिजल्ट आने ही वाले थे। वो रिजल्ट को लेकर किसी घबराहट में थी ही नहीं। वो घबराहट में थीं तो कॉलेज को लेकर। वो थोड़ी बेचैन थी। आज उसके रिजल्ट से ही कॉलेज का अंदेशा तो मिल ही जाएगा। वो अपने रूम में चिंता के मारे घूमे जा रही थी। उसके साथ उसकी फ्रेंड भूमि थी।

भूमि " क्या हुआ यार तू भी टेंशन लेगी तो हमारा क्या होगा "

आरुषि " नहीं यार रिजल्ट का टेंशन नहीं है। मुझे कॉलेज का टेंशन है यार। तुझे तो पता है ना कि मुझे...."

भूमि ( बीच में ही आरुषि कि बात काटते हुए) " हां हां पता है। तुझे ए. एस. कॉलेज में एडमिशन चाहिए। क्योंकि उस कॉलेज के फाउंडर विशेष शर्मा तेरे आदर्श है। उन्होंने जब से हमारे स्कूल में वो स्पीच दी थी तब से तू उनकी परम भक्त बन गई है।" ये कहता हुए उसने आरुषि कि तरफ हाथ जोड़े।


आरुषि को अभी भी वो दिन अच्छे से याद है। दो साल पहले, विशेष शर्मा स्कूल में स्पीच देने आए थे। उनकी स्पीच देने की क्रम संख्या तीसरी थी। उनसे पहले एक सर 'आज के दुनिया की तुलना पहले की दुनिया से कर रहे थे।' 

उन्होंने स्पीच देते देते लड़कियों कि शिक्षा पर सवाल उठा दिए। उन्होंने लड़कियों कि शिक्षा को गैर जरूरी बता दिया। इस लाइन पर सब जगह बातें जरूर हो रही थी। मगर क्योंकि वो स्कूल के सीनियर टीचर में से एक थे। आरुषि ने आवाज़ उठाई।

आरुषि तेज़ स्वर में " सर आप गलत बोल रहे है।"

उस समय भूमि आरुषि पास थी उसने धीमी आवाज़ में कहा "क्या कर रही है तू बैठ जा, मत ले पंगा।"

सभी स्टूडेंट्स टीचर्स सबकी नजर आरुषि पर ही थी। जिस सर को आरुषि ने गलत बोला था तो वो आरुषि को ऐसे घूरने लग गए जैसे वो उसे छोड़ेगे है नहीं।

"मैंने क्या गलत बोला।" उस टीचर ने बोला।


आरुषि ने बोला "आपने क्या गलत बोला!! आपने लड़कियों की शिक्षा पर सवाल उठाए है। मेरे हिसाब से आप गलत है सर। लड़कियों की शिक्षा उतनी ही जरूरी है जितनी लड़कों कि शिक्षा जरूरी है उतनी ही लड़कियों की। सर आपके जानकारी के लिए मैं बता दूँ की पिछले साल के रिजल्ट में लड़कियों की एकेडमिक और स्पोर्ट्स की परफॉमेंस लड़कों से कहीं ज्यादा है। यहां तक कि हमारे स्कूल के टॉप 5 परफॉमेंस वाले बच्चों में सिर्फ एक लड़का था। सर अगर आपको पता ना हो तो हमारे टीचर्स में से ज्यादातर की संख्या महिलाओं कि है।"

उस टीचर को गुस्सा आ रहा था। उसने कहा " देखिए इस वजह से मैं लड़कियों के शिक्षा के खिलाफ था। इस लड़की को ये भी नहीं पता कि कैसे एक टीचर से बात करनी चाहिए।"

आरुषि ने कहा "पर मैं तो सिर्फ...."


इतने में एक टीचर ने उसके बात को काटते हुए बोला " फंक्शन खराब मत करो और चली जाओ यहां से वरना हम तुम्हारा नाम इस स्कूल से काट देंगे और ऐसा काटेंगे की कहीं और एडमिशन मिलना मुश्किल हो जायेगा।"


आरुषि " पर सर..."

टीचर ने गुस्से से घूरते हुए कहा " चली जाओ वरना....."

आरुषि बड़ी दुखी थी। पर वो कर भी क्या सकती थी। वो अकेली पड़ गई थी। वो सोच रही थी ' कि उसने तो सही बोला फिर क्यों किसी ने उसका पक्ष नहीं लिया बल्कि उसे है दोषी ठहरा दिया गया।'

वो मुड़ के चलने लगी थी। इतने में विशेष शर्मा ने उठ के माइक के पास आके बोले "रुक जाओ लड़की।"

आरुषि रुक गई और उसने देखा कि विशेष शर्मा स्टेज पर थे और उनके चेहरे पर गंभीर भाव नजर आ रहे थे।

विशेष शर्मा " इधर आओ।"

आरुषि अब थोड़ी सी डर गई। वो धीरे धीरे क़दमों के साथ स्टेज की और चल दी। 

विशेष शर्मा " स्टेज पर आओ बेटा।"

आरुषि स्टेज पर गई।


विशेष शर्मा " जानती हो तुमने जो किया है वो काफी कम लोग ही कर पाते है। सही के लिए खड़ी हो तुम। चाहे सब तुम्हें गलत साबित कर दे पर अगर तुम्हें लग रहा है और तुम्हारा दिल कह रहा है कि थी सच्चा है और यही ठीक है तो बच्चे वही करो। जानती हो तुम नहीं टोकती तो कुमार सर को मैं रोकता पर मैं देखना चाहता था कि इस हॉल में कौन कौन कुमार सर के बातों में मानता है और मुझे गर्व हो रहा है कि तुमने कहा।"

आरुषि की आंखों में अब डर के बजाय एक आत्मविश्वास दिखा।

विशेष शर्मा ने बोलना जारी रखा " जानती हो तुम जैसी लड़कियां हो तो हमारा देश कितनी तरक्की करेगा। शाबाश बच्चे, शाबाश।"

पूरे हॉल ताली की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

वो जाने लगी पर टीचिंग स्टाफ को देख कर उसे फिर से डर लगा।


विशेष शर्मा इस डर को समझ गए और कहा " चिंता मत करो तुम आराम से यहाँ पढ़ सकती हो कोई टीचर तुम्हें कभी कुछ नहीं कहेगा। आज प्रिंसिपल नहीं आए शायद तभी ये सब हुए है। मैं प्रिंसिपल से बात कर लूंगा। तुम्हारे साथ कुछ भी ही तुम उन्हें बता सकती हो।"

आरुषि अब आराम से अपने जगह पर बैठ गई। तबसे आरुषि के दिल में विशेष शर्मा एक आदर्श बन गए। फिर उनके बारे में और जानने पर उसे पता चला कि वो कितने अच्छे इंसान है। तब से आरुषि को उनसे मिलने का मन था। वो उनके कॉलेज में एडमिशन कराना चाहती थी। ताकि वो अपने आदर्श से सीख पाए। इसके लिए उसके मम्मी पापा ने भी उसे नहीं रोका।

उसे ए एस कॉलेज में ही एडमिशन चाहिए था। उसने वैसे भी ए .एस. कॉलेज का काफी नाम सुन रखा था।


ए. एस. कॉलेज शहरों के उन कॉलेजों में से था। जहां आज भी पैसा नहीं छात्रों के हुनर देखा जाता था। वहां के सभी टीचर्स सम्मान जनक थे। इस कॉलेज में एडमिशन सभी स्टूडेंट के ड्रीम में से एक था। जब भी कोई होनहार छात्र को पैसे की वजह से कहीं एडमिशन नहीं मिल पाता था ए. एस. कॉलेज में एडमिशन मिल ही जाता था। 


ए. एस. कॉलेज के फाउंडर विशेष शर्मा भी तो गरीबी में पढ़े एक होनहार छात्र थे। जिन्हें बारहवीं के बाद किसी कॉलेज में एडमिशन नहीं मिला फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में जो ऊंचाई हासिल की वो मिसाल बन गया। वो कहीं भी जाते तो उनका भरपूर सम्मान होता। उन्हें कई कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि भी बुलाया गया। उन्होंने कई छात्रों की जिंदगी बनाई थी लेकिन उन्हें लगता कि ये संख्या तो अभी बहुत कम है।


अगर उनके परिवार की बात की जाए तो उनकी कामयाबी उनके मां बाप देख नहीं पाए। उन्होंने शादी भी एक ऐसी लड़की से किया जो गरीब थी मगर होनहार थी। उन्होंने अपनी पत्नी को भी कभी किसी चीज़ के लिए रोका नहीं और उनकी पत्नी भी उनके बच्चा होने तक कॉलेज की को- फाउंडर बनी रही पर बच्चा हो जाने के बाद वो उसके जिम्मेदारियों को ही निभाना चाहती थी। विशेष शर्मा ने उन्हें इसके लिए भी उन्हें ना रोका।

भूमि " किस ख्यालों में खोई है आरू।"

आरुषि " कुछ नहीं। देख रिजल्ट आ गया ?"

भूमि " चेक करती हूं। ....... आ गया !!! "

आरुषि " पहले तू अपना देखा "

भूमि " ठीक है! "

आरुषि अपना रोल नो. और बाकी सब चीज़े भी भर से देती है। अब वो एंटर दबाती है।

आरुषि " कितने नंबर है?"

भूमि " 81%"

भूमि अपने नंबरों से काफी ज्यादा संतुष्ट थी।

भूमि " अब तेरी बारी। ये भरा तेरा रोल नो.।और किया एंटर...."

आरुषि डर के मारे आंखें बंद करके पूछा " कितने आए है। बता ना "

भूमि " वो आरु वो....." (डराते हुए)

आरुषि "बोलेगी

भूमि "तेरे 92% आए है" (गले लगते हुए)

आरुषि " सच्ची "

भूमि " हां, अब तो तेरा ए. एस. कॉलेज में एडमिशन पक्का"

आरुषि "पक्का ना?"

भूमि " पक्का और मेरा भी ही जाएगा अब तो चल मम्मी पापा को ये बताते है।"

दोनों ही बहुत खुश थे और दोनों के पैरेंट्स भी।

दोनों का एडमिशन ए एस कॉलेज में हो जाता है। अब दोनों बहुत ज्यादा खुश थे। खास कर आरुषि।

मगर आरुषि को ये नहीं पता कि उसकी ज़िन्दगी में ये नई शुरुआत किस चीज कि दस्तक लेकर आया है। आरुषि की लाइफ अब पूरी तरह चेंज होने वाली थी।

कहानी जारी है....

कहानी अभी आगे जारी रहेगी। कहानी में बने रहिएगा।

धन्यवाद।।


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