Kumar Kishan

Inspirational

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Kumar Kishan

Inspirational

पहचान...

पहचान...

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मोहिनी जैसे ही सुबह का अखबार पढ़ी। मानो,उसकी आँखें अचरज से खुली ही रह गई। उसे खुद ही यकीन नहीं हो रहा था की ऐसा हो सकता है। अखबार के मुख्य पेेज पर यह सुुचना दी गई थी की आकाश द्वीवेदी जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलेगा।

इसके बाद मोहिनी तैयार होकर आकाश के पास गई। उस वक्त आकाश बस...कोई नॉवेल लिख रहा था। मोहिनी को देकर बोला"आओ मोहिनी, कैसी हो तुम ?"

यह सुनकर मिहिनी बोली"बस...मैंं ठीक हूँ। और,तुम्हारे बारे में यह पढ़कर मन को सुुकुन मिला"

मोहिनी की बातेें सुनकर आकाश बोला"यह सब बस..तुमलोगों का प्यार है। लेकिन... आज जो कुछ भी मैं हूँ। आज दुनिया मुझे पढ़ती हैंं। मेरी पुस्तक जितनी भी बिकती हैं, उसका मनी मुझे मिलता है। फिर भी,मेंरे जीवन में मार्गदर्शक मेरी माँ है। मेरी माँ हर वक्त,हर समय मुझे सही सलाह देती थी।

साहित्यिक पत्रिकाओं को पढ़ने के लिए देती और,मुझे कवि सम्मेलन में भेेेजा करती थी। "इतना 

कहने के साथ ही उसकी आँखों में आँसू आ गए।

यह सब देखकर मोहीनि बोली"कोई बात नहीं है।

तुम्हारी माँ हर वक्त तुमको उस नीले गगन से देख रही है। अगर,तुम रोओगे तब तुम्हारी माँ की आखों में आँसू आ जाएंगे। "

 यह सुनकर आकाश बोला"हाँ मोहीनि, मैं खूब लिखूंगा और अपनी मार्गदर्शक,अपनी माँ का नाम इस दुनिया में उजागर करूँगा"


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