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कर्तव्य और ईमानदारी

कर्तव्य और ईमानदारी

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संपादक महोदय को अपनी प्रेस के लिए एक गार्ड की आवश्यकता थी सो, उन्होंने विज्ञापन निकलवाया बहुत से नौजवान सम्पादक महोदय के समक्ष उपस्थित हुए, लेकिन कोई भी उनकी योग्यता परीक्षा में पास नहीं हो सका। एक नौजवान युवक ने भी अपना भाग्य आजमाने के लिए उनके सामने गया उस नौजवान युवक को कुछ दिन के बाद बुलाया गया और उसे नियुक्ति पत्र भी थमा दी गई। 

यह देखकर उस प्रेस का एक कर्मचारी सम्पादक महोदय के ऑफ़िस में जाकर बोला "सर, यह क्या? बहुत से युवाओं को आपने लौटा दिया, जबकि उनकी शैक्षणिक योग्यता आपकी विज्ञापन के अनुसार सही थी, लेकिन आपने उस युवक को नियुक्त पत्र थमा दी ऐसा क्यों?"

उस कर्मचारी की बातों को सुनकर सम्पादक मुस्कुराए फिर बोले "आपका कहना सही है, लेकिन जब मैंने उन युवकों की मानसिक योग्य

ता द्वारा यह जानना चाहा की वे सब कर्तव्य और ईमानदारी को ज्यादा महत्व देते हैं या अपनी सुख-सुविधा को, तब सभी युवक सुख-सुविधा को ही ज्यादा महत्व दिए। " इतना कहकर संपादक महोदय रुके फिर अपनी विरामावस्था को तोड़ते हुए आगे बोले "शर्मा जी, लेकिन जिस युवक को मैंने नियुक्ति पत्र थमाया है वह अपने सुख-सुविधा से ज्यादा महत्व कर्तव्य और ईमानदारी को देता है, और देश को ऐसे ही नवयुवकों की आवश्यकता है और मुझे पूरा विश्वास है की वह अपनी कर्तव्य पूरी ईमानदारी के साथ निभाएगा"

उस सम्पादक महोदय का कहना सही निकला वह नौजवान युवक थोड़े ही दिनों के बाद अपनी ईमानदारी और कर्तव्यपरायणता के कारण उस प्रेस के सभी पदाधिकारियों और कर्मचारियों का चहेता बन गया। 



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