फैसला है मेरा तेरे साथ साथ के वादे का
फैसला है मेरा तेरे साथ साथ के वादे का
“तुमने अगर एक ग़लत फैसला लिया, तो मैं उस वजह से तुम्हारा साथ नहीं छोड़ सकता। मैंने तुमसे विवाह किया है और हमेशा साथ रहने का वादा किया है। चेहरे पर ग्लानि का भाव को देख संजय ने नेहा से कहा।
नेहा यह सुन स्तब्ध रह गई और एक छण सोचने को विवश हो गई।
नेहा और उसका सहकर्मी विजय दोनों एक कम्पनी में काम करते।आपस मे दोनों में काफी बातचीत होने लगी।दोनों में आपस में प्यार होगया। नेहा विजय से शादी करना चाहती थी पर माँ बाप को विजय पसंद नहीं क्योंकि वह कभी भी समय पर फैसला नहीं लेता। हर बात को युही टाल देता। नेहा के माँ बाप को लगा कि विजय नेहा के लिये उपयुक्त नहीं।जब नेहा ने उससे शादी की कहा तो वह निउत्तर हो गया। नेहा ने कई बार उससे कहा कि वह उसका इंतजार कर सकती है यदि उसे और समय चाहिए परन्तु विजय ने कोई उत्तर नहीं दिया।
अब नेहा के माँ बाप ने नेहा की शादी संजय से कर दी क्योंकि वह संजय को जानते थे तथा उसके स्वभाव व चरित्र पर उन्हें विश्वास था।
संजय और नेहा एक दुसरे के साथ हँसी खुशी रहने लगे। अचानक कुछ दिनों बाद विजय नेहा के ऑफिस आया, और अपने पुराने प्यार का याद दिलाया और साथ चलने को कहा। पुराने प्यार को याद कर नेहा उतावली हो उठी और विजय की बातों में आ गयी।
जब संजय को यह सब पता चला तो उसने नेहा को समझाया और पुनः विचार करने को कहा।
पुनः विचार करते ही नेहा को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने संजय से अपनी नासमझी व गलती की माफी माँगी। तभी संजय ने कहा कि वह नेहा को दिल से चाहता है। इसलिए उसे सही रास्ता दिखाना उसकी जिम्मेदारी है। यह सुनते ही नेहा की आंखें छलछला उठी। यह देख संजय ने उसे गले से लगा लिया।
