पगार
पगार
“और कुछ चाहिए साब ?“
“नहीं रे। अब और कुछ नहीं चाहिए। जा घर लौट जा। तेरे घरवाले तेरा इंतजार कर रहे होंगे।”
“अरे नहीं साब। वे लोग आप जैसे अच्छे नहीं हैं जो अपने बेटे का इंतजार करे। उन लोगों को तो बस मेरी पगार चाहिए।”
नहीं रे बावरे। उन्हें तेरी पगार नही तेरी तरक्की चाहिए। माँ बाप अपने बच्चों की तरक्की उनकी पगार में ढूंढा करे है।
उन्हें ऐसा लगा जैसे वह अपने बेटे को समझा रहे थे और उनके पिता उन्हें कि हमें तुम्हारी पगार नहीं तुम्हारी तरक्की चाहिए।