पैसे से समझदारी भी आ जाती है
पैसे से समझदारी भी आ जाती है
थोड़ा जल्दी करो बहु। सुषमा अपने बेटे बहु के साथ आने ही वाली हैं। सारा सामान करीने से रखना। और हाँ गैस्ट रूम में वो नयी वाली चादर और ब्लैंकेट रख देना। अनिता की दादी सास उसे काम पर काम बताए जा रही थी।
अनिता सारे काम कर तो रही थी लेकिन उसे बहुत अटपटा लग रहा था। आखिर ताई जी ही तो आ रही हैं। वो भी तो इसी घर की बहु हैं। अपनी जिंदगी के कितने साल उन्होंने इसी घर में बिताएंगे हैं। फिर इतनी आवभगत क्यों?
अनिता ने अपने पति आकाश से सुना था कि जब ताई जी का परिवार और हमारा परिवार साथ में रहता था तो काफी अनबन रहती थी। आकाश के पिता जी फैक्ट्री में मैनेजर की पोस्ट पर थे। उनकी तनख्वाह ठीक -ठाक थी। वहीं ताऊजी को कारोबार में घाटा लग रहा था। इसलिए उनकी आमदनी कुछ खास नहीं थी। ताई जी भी बहुत भोली और सरल स्वभाव की थीं। घर में हमारी दादी सास की काफी चलती थी।
ताई जी गरीब घर की बेटी थी। इसलिए घर में उनकी कद्र भी कम ही थी। वहीं अनीता की सासु माँ अच्छे पैसे वाले खानदान से थीं। उनके आने के बाद घर में छोटी बहु यानि अनिता की सासु माँ की कद्र ज्यादा हो गई।
हर बात में सुषमा ताई जी को नीचा दिखाया जाता था। उन्हें बेवकूफ और कमअक्ल की उपाधि भी दे दी जाती थी। किसी काम में उनकी कोई राय भी नहीं ली जाती थी। लेकिन बर्दाश्त की भी एक हद होती है। ताऊजी से हर वक्त अपनी पत्नी की बेइज्जती बर्दाश्त नहीं होती थी। इसलिए उन्होंने ये घर छोड़कर दूसरी जगह अपना कारोबार जमाने का फैसला ले लिया।
किस्मत का फेर ही समझो कि उनका कारोबार अच्छा जम गया। ताऊजी का बेटा भी अब बड़ा हो गया था। उन दोनों बाप बेटे ने मिलकर काफी बड़ा बिजनेस अम्पायर खड़ा कर दिया। कहते हैं ना पैसा इंसान की सारी कमियों को छिपा देता है। कुछ ऐसा ही ताई जी के साथ भी हुआ।
आज वो लोग अपने बेटे बहु के साथ कुलदेवी के दर्शन के लिए आ रहे थे। इसी कारण इतना इंतजाम किया जा रहा था। उनके आने के बाद दादी सास ने प्यार से ताई को गले लगाया। पोते और पोता बहु की खुब बलैयां ली। अनिता के सास- ससुर भी उनकी आवभगत में व्यस्त थे। वो लोग अपने साथ ढेर सारा सामान और उपहार लाए थे।
"बहु आज खाने में क्या बनवाना है, बता देना। जिस ताई जी को दादी सास पूछती भी नहीं थी आज सारे काम उन्हीं से पूछ- पूछ के कर रहीं थी।
" माँ जी कुलदेवी के चढ़ावे के लिए कौन कौन सा सामान रखना है बता देना। ताई जी ने दादी सास से कहा। ये सुनकर दादी सास ने बड़े प्यार से कहा, "बड़ी बहू अब तुम्हें क्या बताना। तुम तो खुद ही इतनी समझदार हो। जो करोगी अच्छा ही करोगी। अपनी सास के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर ताई जी भी व्यंग्य से मुस्कुरा दी।
सच,पैसे वाले लोग खुद ही समझदार बन जाते हैं। आखिर पैसा भी तो समझदारी से ही कमाया जा सकता है ना। आज के जमाने का तो यही फंडा है। कितना भी पढ़ लिख लो या कितना भी ज्ञान अर्जित कर लो। यदि आपने अपनी जिंदगी में पैसा नहीं कमाया तो आपका सारा ज्ञान व्यर्थ है। लेकिन क्या ये सही है।
