एक माँ का दर्द
एक माँ का दर्द
मानसी की शादी को सात महीने हो चुके थे।बहुत ही सुलझा हुआ ससुराल था मानसी का। एक दिन अचानक तबियत खराब होने के कारण डाक्टर के पास गए तो पता चला कि खुशखबरी है। सारा परिवार खुशी से झूम उठा।
इतने सालों बाद कोई नन्हा मेहमान जो आने वाला था। जब मानसी की सास ने ये खबर अपनी बड़ी बेटी कावेरी को सुनाई तो वो भागी चली आई। आते ही उसने मानसी को गले से लगा लिया।, "मेरी प्यारी भाभी, आज तुमने इतनी अच्छी खबर सुनाई है कि पूछो मत। वर्षों बाद इस घर में किसी बच्चे की किलकारियां गूंजेगी। भाभी तुम्हें कोई भी तकलीफ हो तो मुझसे कहना। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।,, कहते कहते उनकी आंखें छलक आईं।
अपनी ननद से इतना स्नेह पाकर मानसी भी भाव- विभोर हो गई। मानसी की ननद की शादी को दस साल हो चुके थे। इतनी ममतामयी थीं वो। लेकिन ममता लुटाने के लिए उनके पास कोई नहीं था। उनकी गोद अभी तक सूनी थी।
पास के शहर में ही उनका ससुराल था। इन दिनों कावेरी ने मानसी का बहुत ख्याल रखा। नौ महीने बाद मानसी ने दो जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। एक साथ दोहरी खुशी पाकर सब फूले नहीं समा रहे थे। मानसी की ननद भी दोनों बच्चों पर खूब प्यार उडेलती।दोनों का नाम भी कावेरी ने ही रखा । रजत और शुभम।
लेकिन दो- दो नन्हें बच्चों की जिम्मेदारी भी दोगुनी होती है। मानसी बेचारी परेशान हो जाती थी।एक दिन मानसी की सास ने मानसी के पास आकर कहा, "बहु मुझे पता है एक माँ के लिए उसके बच्चे क्या मायने रखते हैं। तुम मेरी बात का गलत मायने मत लगाना। ,, मानसी ने कहा, "माँ आप क्या कहना चाहती हैं प्लीज खुल कर कहिए।,, बहु अगर तुम चाहो तो एक बच्चा... कावेरी को दे दो। उसकी गोद भी भर जाएगी और दोनों बच्चे भी अच्छी से पल जाएंगे।,,सास ने हिचकिचाते हुए कहा। मानसी को समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या जवाब दे। सासु माँ ने फिर कहा, " बेटी कोई जल्दी नहीं है तुम सोंच- समझ के बता देना।,, ये कहकर सासु माँ चली गई।
मानसी का दिल बहुत बेचैन था। उसने रात को अपने पति से इस बात का जिक्र किया तो उसके पति ने कहा, "मानसी बड़ी दीदी ने मुझे भी अपने बच्चे की तरह ही पाला है। लेकिन मैं तुमपर कोई दबाव नहीं डालना चाहता। ये फैसला पूरी तरह से तुम्हारा होगा। आखिर एक बच्चे पर सबसे ज्यादा हक मां का ही होता है।,, सारी रात मानसी की आंखों में नींद नहीं थी। वो इसी बारे में सोंचती रही। आखिरकार उसने एक फैसला ले ही लिया।
सुबह उसने कावेरी को फोन किया, "दीदी, क्या आप यहाँ आ सकती हैं।,, "हाँ, लेकिन क्या बात है। दोनों बच्चे तो ठीक हैं ना।,,कावेरी ने घबराते हुए कहा। " हाँ दीदी सब ठीक है । बस आप आ जाईये। ,, मानसी ने कहा।
कावेरी के आने के बाद मानसी ने उनकी गोद में शुभम को डालते हुए कहा।, "दीदी आज से ये आपका बेटा है।,, कावेरी को विश्वास ही नहीं हो रहा था। उसकी आँखों से अश्रु धारा बह उठी। वो मानसी से लिपट गई और बोली।, "भाभी आज तुमने एक बांझ को मां बना दिया। तुम्हारा ये एहसास मैं कभी नहीं भुलूंगी।,, "दीदी शायद आपके लिए ही भगवान ने मुझे दो बच्चे दिए हैं।आप इसकी यशोदा माँ बनेंगी ना।,, इस दृश्य को देखकर सभी की आंखें नम हो गई।
सब कुछ हंसी खुशी चल रहा था। तीन साल होने को आ गए थे। कावेरी अक्सर शुभम को लेकर मायके आ जाया करती थी। लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था।। रजत की तबियत एक दिन अचानक बिगड़ गई। काफी इलाज कराने पर भी कोई सुधार नहीं आ रहा था। जिस तरह मुट्ठी से रेत फिसलती है उसी तरह रजत भी उनके हाथों से निकल गया। खुशी की जगह अब घर में मातम का माहौल था। मानसी की तो जैसे दुनिया ही उजड़ गई।
इस दुख की घड़ी में कावेरी अक्सर मानसी के पास आती लेकिन अब वो शुभम को साथ नहीं लाती थी। मानसी की नजरें शुभम को ढूंढती रहती।
एक दिन मानसी ने पूछ लिया, " दीदी शुभम नहीं आया आपके साथ।,, "वो..वो आज उसका ट्युशन था।,, कावेरी ने कहा। "लेकिन आज तो संडे है ना।,,मानसी ने कहा। ये सुनकर कावेरी सकपका गई, जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो।
मानसी ने बहुत सरलता से कहा, "दीदी आप घबराईये मत। किस्मत ने मुझसे मेरा बच्चा छीन लिया, इसका मतलब ये नहीं की मैं एक और माँ से उसका बच्चा छीन लूंगी। एक माँ न सही एक मामी की तरह तो मैं उसे कलेजे से लगा सकती हूँ ना।,, मानसी की बात सुनकर कावेरी फफक कर रो पड़ी।
"मुझे माफ कर दो भाभी। मैं स्वार्थी हो गई थी। मैं डर गई थी कि कहीं तुम शुभम को मुझसे वापस ना मांग लो। मैं अब उसके बिना जी नहीं पाऊंगी। ,, "नहीं दीदी शुभम हमेशा आपका ही बेटा रहेगा।,,मानसी ने सांत्वना देते हुए कहा।
"सच भाभी मैं उम्र में तो तुमसे बड़ी हूँ लेकिन तुम्हारे जितना बड़ा दिल शायद मेरे पास नहीं है। देखना मेरी प्यारी भाभी, तुम्हारी गोद में जल्द ही फिर से एक बाल गोपाल आएगा। ये एक यशोदा माँ कि दुआ है।,,कावेरी ने मानसी को पुचकारते हुए कहा। "हाँ दीदी मैं इंतजार करूंगी।,, दोनों की आंखों से आंसु झर रहे थे। उन्हें देखकर आज फिर सभी की आंखे भर उठीं थीं।
