सपने पूरा करने का हक
सपने पूरा करने का हक
जूही बहुत ही होनहार स्टुडेंट थी। कुछ दिनों से वो बहुत परेशान थी। माँ के पूछने पर भी वो कुछ नहीं बताती और पढाई की टेंशन का बहाना बना देती।
एक दिन उसके भईया उसको लगभग खिंचते हुए घर ले कर आए वो बहुत गुस्से में थे। जूही के पापा ने पूछा, "क्या बात है रमन। इतने गुस्से में क्यों हो और इसे क्या हुआ।,, जूही की ओर इशारा करके उन्होंने पूछा।" पापा आप लोगों ने इसे बहुत सर चढा़ रखा है। पता नहीं किस लड़के के साथ सड़क पर बातें कर रही थी।,,पापा ने भी गुस्से में पूछा "कौन है वो।,, "पापा में नहीं जानती, वो रोज मेरा रास्ता रोककर खड़ा हो जाता है। आज में उससे इसी बारे में पूछ रही थी की इतने में भईया आ गए। आप मुझपर विश्वास किजिए। मैं कोई गलत काम नहीं कर रही थी।,,
"पापा ये झूठ बोल रही है। अगर कोई परेशान कर रहा था तो इसने हमें क्यों नहीं बताया। मेरी मानिये तो इसका कालेज जाना छुड़वा दीजिये। वरना हमारी नाक कटवाएगी ये।,,भाई ने कहा।
" तुम ठीक कह रहे हो, जूही आज से तुम्हारा कालेज जाना बंद। जल्दी से जल्दी इसकी शादी करवा देते हैं।,,
" नहीं पापा मुझे अभी शादी नहीं करनी। अभी मुझे पढ़ना है कुछ बनना है। ,,जूही गिड़गिड़ाती रही लेकिन किसी ने उसकी एक न सुनी। दो महीने बाद उसकी शादी तय हो गई।
जूही खुश तो नहीं थी लेकिन उसकी एक न चली। अपने सपनों को कुचलकर वो दुल्हन बन गई। उसका पति अजय बहुत समझदारी और सुलझा हुआ व्यक्ति था। जूही की हर खुशी का वो बहुत ख्याल रखता था। फिर भी वो देख रहा था कि जूही अंदर से खुश नहीं है। उसने बड़े प्यार से जूही से पूछा।," जूही तुम्हें यहाँ किसी चीज की तकलीफ है क्या।,, "नहीं तो,,जूही ने कहा। "तो फिर तुम खुश क्यों नहीं लगती।,,अजय कि बातों से वो पिघल गई। उसकी आँखे भर आई। वो बोली, "अजय मैं आगे पढ़ना चाहती थी ,लेकिन पापा ने मेरी शादी कर दी। ,,"बस इतनी सी बात। वो तो तुम अब भी पढ़ सकती हो।,, अजय बोला।" सच,,जूही के चेहरे पर चमक आ गई। "हाँ बल्कि मुझे तो खुशी होगी अगर तुम आगे पढ़ोगी। आखिर पढ़ी लिखी बीवी किसे नहीं पसंद।,, अजय ने जूही को छेड़ते हुए कहा।
" अपने सपनों का गला घोंट कर भला कोई कैसे खुश रह सकता है। मैं आज ही एडमिशन फार्म ले आता हूँ।,, जूही को अब अपने सपने पूरे होते हुए दिखाई दे रहे थे। अब वो खुश थी।
