पांच किलो का बाट
पांच किलो का बाट
बुधिया का लड़का विवाह योग्य हो गया तो बुधिया उसके लिए एक ठीक ठाक सी बहु भी ले आया । ठीक ठाक इसीलिए क्योंकि बुधिया कोई कवि नहीं ही और ना ही मैं हूँ , वरना तो हम कहते कि चांद का टुकड़ा ।
कुछ दिन बीते बुधिया गेंहू तोलने के लिए बैठा तो 5 किलो का बाट घर के अंदर ही भूल आया । अब मजबूरी में बहु को आवाज़ लगाई तो बहु ने अंदर से ही कह दिया कि बाट पांच किलो का है उससे इतना वजन नहीं उठाया जा रहा । बुधिया हंसते हुए अंदर गया और खुद ही बाट उठा लाया ।
बुधिया ने दुनिया देखी थी तो कुछ दिन बाद ही बुधिया उसी पांच किलो बाट से गले का हार बनवा लाया । बस उस पर सोने की पोलिश करवा दी ।अब बहु पांच किलो बाट को आराम से गले में पहन कर इतरा रही थी ।