Nisha Nandini Bhartiya

Drama

2.6  

Nisha Nandini Bhartiya

Drama

पागल कौन. ?

पागल कौन. ?

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वो अक्सर मुझे बाजार में इधर उधर भटकती हुई दिख जाती थी।

आज फिर शनि मंदिर के पास उसे देखा। फटे पुराने कपड़ों से शरीर झांक रहा था। बाल छितरे हुए थे। सड़क किनारे बैठी जोर जोर से चिल्ला रही थी। उम्र यही कोई 25-30 वर्ष की होगी। रंग साफ था पर शरीर पर चढ़े मैल के कारण काला हो चुका था। शरीर गठा हुआ था। कुछ लोग उसे पत्थर मारते तो कुछ उसके अर्धनग्न शरीर पर फब्तियां कसते थे। उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। कभी जमीन पर लेट जाती थी तो कभी खड़े होकर नाचने लगती थी। उसे कुछ महिलाओं ने मिलकर कपड़े पहनाए थे पर वह कपड़ों को फाड़ देती थी। आज शनि मंदिर के पास कुछ युवकों को उससे उलझते देखा। कुछ युवक उसे मार रहे थे। वह जोर जोर से चीख रही थी। चारों तरफ खड़े लोग तमाशा देख रहे थे। उसके शरीर से खून बह रहा था। कुछ लोगों की मदद से उसको बचाया गया।

उसके घावों पर दवाई लगाई गई।


मैं दुखी मन से घर पहुंची और सोचने लगी कि पागल कौन है ? यह समाज या वो।



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