नयी सोच
नयी सोच
मुंशीजी! समय कैसे पंख लगाकर निकल जाता है। कल की ही तो बात नैना मेरी उंगली पकड़ कर खेला करती थी और आज इतनी बड़ी हो गई कि उसकी विदाई का समय आ गया है। उसकी शादी में किसी चीज की कमी नही रहनी चाहिए। सबकुछ सबसे अच्छा होना चाहिए। ये आपकी जिम्मेदारी है मुंंशीजी।
जी राजा साहब! आप चिंता मत करिए। हमारी बिटिया रानी की शादी है। किसी चीज की कमी कैसे रह सकती है। जैसा आपने बोला है सबकुछ वैसे ही होगा। सारे लोग काम पर लग भी गए है। बस,आप एक बार शादी का कार्ड देख लेते तो ये भी काम हो जाता।
ठीक है....लीजिए नैना बिटिया भी आ गई। अब आप ही पसंद कीजिए अपनी शादी कार्ड। जो पसंद आए बोलिए पैसे की चिंता मत करिए।
पापा इन कार्डस के पीछे क्यों इतना पैसे खर्च करना.... कौन-सा लोग इसे सहेज कर रखने वाले है। शादी खत्म होते ही किस कोने में होंगे लोगों को याद भी नही रहेगा। तो फिर कार्ड के लिए इतने पैसे खर्च करके क्या फायदा?
हाँ ,आप सही बोल रही है पर क्या किया जा सकता है। सालों से ऐसा ही होता आ रहा है। कार्ड तो भेजने ही पड़ेंगे वरना लोग बातें बनाने लगेंगे।
पापा पहले तो ये कार्ड का चलन नही था तब भी तो लोगों को निमंत्रण भेजा जाता था। उस समय की बात अग
ल थी बेटा और अभी की अलग है। आज किसी को कार्ड नही भेजो तो लोग इसे कितनी बड़ी बात बना देंगे। अभी आपको इन सब की समझ नही है इसलिए बोल रही है।
मैंने ये थोड़ी न कहा कि आप निमंत्रण न भेजो। बस इन कार्ड के पीछे फिजूल खर्च मत करिए। इतने महंगे-महंगे कार्ड में का क्या काम है। आखिर इसमें सिर्फ शादी और उससे जुड़ी तारीख,दिन...इत्यादि इत्यादि ही तो लिखना रहता है। कार्ड के जगह फूल के गमलों में तारीख, दिन...इत्यादि सब लिख कर उन्हें भेजे तो ज्यादा अच्छा होगा। कार्ड के जगह फूल के गमले.... हाँ, पापा! थोड़ा अगल है पर अच्छा। पेड़-पौधों को काटने के लिए हजारों बहाने बन जाते है पर उन्हें लगाने के लिए.... । कार्ड तो लोग फेंक देंगे या फाड़ देंगे पर इन पौधों के साथ ऐसा कुछ नही करेंगे। उल्टा जब इनमें फूल-फल लगने लगेंगे तो वो देखकर उनके होठों पर मुस्कान आएगी और हमें याद करेंगे। हमें आशीष देंगे। इस तरह न ही हमारे पैसे फालतु जाएंगे और ऊपर से पर्यावरण भी स्वच्छ रहेगा।
अब बोलिए कि कार्ड ज्यादा अच्छे है या फिर मेरा पौधे देना। मुंशीजी ये सारे कार्ड वापस कर दीजिए और जैसे बिटिया ने कहा है वैसे ही करिए। हम निमंत्रण के लिए कार्ड नही फूल के गमले ही जाएंगे।