सीख
सीख


"दुनिया कहा से कहा चली गई है और लोगों की सोच आज भी वैसी की वैसी ही है।"
क्या हुआ जी ?इतने गुस्से में क्यों हो...किसी से झगड़ा हो गया क्या?
नही...किसी से झगड़ा नही हुआ है।तो फिर क्या हुआ ?बताइए... इतना मुड क्यों खराब किया है।
क्या बोली मालती! अभी बाजार से आते हुए तीन लड़कियों को अकेला देख कुछ लड़के उनके साथ छेड़खानी करने लगे। तो उन लड़कों के साथ झगड़ा हुआ क्या आपका?
नही। तीनों लड़कियां बहुत ही बहादुर थी।उनलोग ने मदद की उमींंद न करके खुद ही मामले को हल कर लिया। वाह! क्या बात है।काश सभी लड़कियां ऐसे ही हिम्मत दिखाए।ये तो अच्छी बात है ना जी तो आपका मुड क्यों खराब है? हां.. मालती जी। इसके लिए मैंने उनकी सराहना भी की।
मुड लोगों की बातों से हुआ। वहां सड़क के किनारे मेंं लोग भूत बनकर तमसा देख रहे थे और उन लड़कों के बजाय उन तीन लड़कियों को ही सुनाने लगे। कहने लगे "पहले तो खुद ही छोटे-छोटे कपड़े पहन कर लड़को को उकसाती है और बाद बिचारी बनती है।" वे लड़कियां तो बिना कुछ बोले वहा से चली गई।पर मेरे से न रहा गया।उनसे पूछा मैंने अगर आज इन लड़कियों की जगह तुम्हारी बेटियां होती तब भी क्या ऐसे ही करते? सब सर झुका कर खड़े होगए।
बिल्कुल सही किया आपने।ऐसे लोग ही उन जैसे लड़कों को बढ़ावा देते हैं।अगर लड़कियों को सुनाने के बदले लड़को को दो-चार थप्पड़ लगाते तो दुबारा वो लड़के कभी किसी लड़की को नही छेड़ते।पर हम हमेशा लड़कियों की ही गलतीयां निकालते रहते है।
बचपन से लड़कियों को ही सिखाया जाता है ऐसे कपड़े पहने चहिए,पर्दे में रहना चहिए, धीमी आवाज मेंं बातें करो,किसी को पलट के जवाब नही देना ......सारी नियत कानून सिर्फ लड़कियों को ही सिखाये जाते है। काश लड़कियों को डर के जीना सिखाने के बदले सब माँ-बाप लड़को को लड़कियों की इज्जद करने की सीख देते तो कितनी अच्छी होती हमारी सोसाइटी है ना।
सही कह रहे है आप, अगर हर माँ लड़कों को भी बचपन से सिखाए कि लड़कियों क् साथ कैसे पेश आना चहिए, कैसे उनका सम्मान करना चहिए, किसी लड़की के साथ गलत होता देख कैसे उनकी मदद करनी चाहिए तो कभी बेटियों को घर आने में थोड़ा देर होने से किसी मां का बीपी नही बढ़ेगा और ना ही बिटिया रानी के रात को बाहर रहने से किसी पिता की नींदे उड़ेगी।