नसीबो .....का नसीबा
नसीबो .....का नसीबा
लाला जी, थके हारे घर पहुंचे थे। क्या ....बना नसीबो की शादी का ?
लड़के वालों ने हां की या नहीं । या इस बार भी जन्मपत्री नहीं मिली का बहाना कहकर मना कर दिया है ।
इससे पहले लाला जी को कितने ही रिश्ते मना कर चुके थे। जब भी रिश्ते की बात चलती तब सिर्फ एक ही बात निकलती कि आप इसी गांव के रहने वाले हो या पाकिस्तान से आए हो।
आजादी के बाद कितने ही लोगों की जिंदगी इस एक शब्द पर थम गई थी कि आप यहां के रहने वाले हो या पाकिस्तान से आए हो ।
घर- बाहर तो छूटा ही, काम धंधा भी छूट गया । ऊपर से जिनकी बेटियां थी उसकी शादी करने के लिए कितने सवालों से गुजरना पड़ता था ।
कुछ यही हो रहा था ।नसीबो के साथ ....जिस किसी रिश्ते की बात चल रही थी वही मना कर देता था कि पाकिस्तान से आए हैं वहां से आने वाली किसी भी लड़की को छोड़ा नहीं था और यह ऐसी सोच थी जिसके लिए कोई भी लड़की के घरवाले सबूत नहीं दे पा रहे थे। चाहे उसके साथ कुछ भी ना हुआ हो ।
हां..... कर आया हूं । लाला जी ने एक लंबी सांस भरी ।लड़के की पहले दो शादियां हो चुकी है। लेकिन दोनों पत्नियां मर चुकी है। और एक बेटा है यह सुनकर सब चुप हो जाते हैं
