Preeti Sharma "ASEEM"

Tragedy

5.0  

Preeti Sharma "ASEEM"

Tragedy

रिफ्यूजी

रिफ्यूजी

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लाला जी, थके हारे घर पहुंचे थे। क्या ....हुआ।नसीबो के रिश्ते  का........ ? कमलजीत ने पानी का गिलास लाला जी की तरफ बढ़ाते हुए पूछा।लड़के वालों ने 'हां' 'ना' में जवाब दिया या ऐसे ही टाल दिया। या इस बार भी जन्मपत्री नहीं....... मिली का बहाना कहकर मना कर दिया है ।

कमलजीत ने लंबी सांस ली। बंटवारे का दर्द अभी  मिटा नही था..ऊपर से जवान बेटी की शादी के लिए दर-दर भटक रहे थे ।नए सिरे से फिर से घर -दुकान अभी व्यवस्थित नहीं हुये थे। सब कुछ बना बनाया वहीं रह गया  अब हाल यह था कि लोग यह सोच कर रिश्ता नहीं कर रहे थे। यह पाकिस्तान से आए हैं ........रिफ्यूजी ......इनके पास होगा क्या दूसरा यह कि  दंगों में किसी भी जवान बहू -बेटी को नहीं..... छोड़ा ।इस बात से हर लड़की पर एक सवालिया निशान लग गया था।

   लालाजी ने पानी पीकर गिलास कमलजीत को दिया।और चारपाई पर लेट गए।इससे पहले लाला जी को कितने ही रिश्ते मना कर चुके थे। जब भी रिश्ते की बात चलती तब सिर्फ एक ही बात निकलती कि आप इसी गांव के रहने वाले हो या पाकिस्तान से आए हो। ........रिफ्यूजी......हो।

     आजादी के बाद कितने ही लोगों की जिंदगी इस एक शब्द पर थम गई थी कि आप यहां के रहने वाले हो या पाकिस्तान से आए हो...... रिफ्यूजी...... रिफ्यूजी।लाला जी को लगा जैसे छत घूम  रही है उनके कानों में एक ही शब्द गूंज रहा था।रिफ्यूजी..... रिफ्यूजी

घर- बाहर तो छूटा ही, काम धंधा भी छूट गया । ऊपर से जिनकी बेटियां थी उसकी शादी करने के लिए कितने सवालों से गुजरना पड़ता था । अपनी मिट्टी भी गई... अपनी इज्ज़त भी......रिफ्यूजी का बट्टा लगा वो अलग से।

   यही हो रहा था ।नसीबो के साथ ....जिस किसी रिश्ते की बात चल रही थी वही मना कर देता था कि पाकिस्तान से आए हैं वहां से आने वाली किसी भी लड़की को छोड़ा नहीं था और यह ऐसी सोच थी जिसके लिए कोई भी लड़की के घरवाले सबूत नहीं दे पा रहे थे। चाहे उसके साथ कुछ भी ना हुआ हो । पांच भाईयों की बहन नसीबों जब पैदा हुई ।लाला जी के नसीब बदल गए थे।लाखों की कमाई हवेली ऐसी बनी जो.... पूरे ईलाके में ना थी। नसीबो के बड़े होने के साथ-साथ और तरक्की होती  गई। सब के मना करने पर भी लालाजी ने उसे पांचवी तक की पढ़ाई करवाई जो आसपास के इलाकों में अभी  तक किसी लड़की ने नहीं की थी नसीबो को देखकर लालाजी खुश होकर कहते थे यह मेरा.......... नसीब है ....नसीब। वहीं नसीब.....आज नसीब दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गया था।

    लाला जी को रोटी के लिए उठाने आई ।खुद भी चारपाई पर  बैठ गई ......उसने फिर सोच कर पूछने की हिम्मत की........ दिया जवाब कुछ..... रिश्ता तय कर आया हूं । लाला जी ने ........ लंबी सांस भरी ।लड़के की पहले दो शादियां हो चुकी है। लेकिन दोनों पत्नियां मर चुकी है। और दो बच्चें है। यह सुनकर कमलजीत चुप हो गई। पढ़ी -लिखी ,होशियार ,खूबसूरत नसीबों का नसीबा .....इतना बदनसीब निकलेगा .....उन्होंने सोचा भी नहीं था। घर पर भी नहीं बैठा सकते । हर कोई  रिफ्यूजी  सुन .....मना कर देते हैं ।कमला..... तू चिंता ना कर। अच्छा खाता- पीता घर है। रोटी तो मिलेगी सारी उमर।  लाला जी को  रोटी के लिए बुलाने आई नसीबो .....रिश्ते की बातें करते देख दूसरे कमरे के दरवाजे पर रूक गई।उसने सारी बातें सुन ली थी ..........सारी उमर रोटी मिलेगी  यह शब्द गूँज रहे थे।उसने शीशे में खुद को देखकर पूछा........ और तेरी आँखों के..... सपने।बीजी  की आवाज़ सुन आंखें पोंछकर रसोई की तरफ भागी।जैसे उसनें कुछ सुना ही नही।


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