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नशा

नशा

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कहते है कि नशा सिर चढ़ कर बोलता है ।कुछ लोग इससे भी दो कदम आगे जाकर कहते है की वो नशा ही क्या जो सिर चढ़ कर ना बोले ।अब सच क्या है या तो नशेड़ी जानते है या ऊपर वाला । अरे वो सातवें आसमान पर बैठा ऊपर वाला नहीं । मेरे घर के ऊपर रहने वाला बुधिया ।


वैसे तो बुधिया अच्छा आदमी है परंतु उसे नशा करने की आदत लग गयी । कोई नहीं जानता उसे नशा करने की आदत कैसे लगी , बस अनुमान है कि कई साल पहले जब बुधिया और गुप्ता जी का झगड़ा हो गया था उस वक़्त गुप्ता जी ने बुधिया को ढेर सारी गालियां निकली थी बस तभी से ही बुधिया को नशे की लत लग गयी ।


झगड़ा होने से नशे का क्या संबंध ?


दरअसल बुधिया का नशा बडा अजीब है । उसे ना तो शराब की लत है और ना ही अफीम की । गांजे की तरफ भी उसका ध्यान नहीं है । और ड्रग की तरफ तो बुधिया पैर करके भी नहीं सोता । बुधिया को नशा होता है गालियां सुनकर । एक एक गाली एक पटियाला पेग के बराबर असर करती है ।


बुधिया का यह अजीब नशा लगातार बढ़ता जाता है । पहले पहल वो गुप्ता जी से गालियां सुनकर ही नशे में आ जाता था । पर धीरे धीरे असर कम होने लगा अब बुधिया दिन में 4 से 5 लोगो से गालियां खाने लगा । जब वो भी असर खोने लगी तो बुधिया अखबार वालो को पैसे देकर गालियां छपवाने लगा । लत कुछ ऐसी बढ़ी की अब तो बस अखबार, TV, रेडियो, मैगज़ीन, हर तरफ गालियां ही गालियां तलाश करता फिर रहा है ।


कल ही मुझे मिला और शिकायत करने लगा कि भाई साहब आप मुझे गालियां कब देना शुरू करेंगे । बुधिया की आंखों में प्रश्न तैर रहा था उसे इंतज़ार था जवाब का , पर क्या जवाब दूं मैं खुद नहीं समझ पाया । एक दिल किया कि बुधिया को नशा दे दिया जाए फिर सोचा कि नशा छुड़वाया जाना अधिक आवश्यक है ।


कैसे बुधिया को इस नशे की लत से बाहर निकालूँ कुछ समझ नहीं आता ।



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