नन्हा परिंदा
नन्हा परिंदा
चिड़ियों का चहचहाना इतना बढ़ गया कि सीमा को अपने कमरे से बाहर जाना ही पड़ा। वह सोफे पर लुढ़की फिल्म देखने में मशगूल थी। खीझते हुए निकलना पड़ा था परंतु जब उसे एक नन्हा सा बच्चा दिखा तो उसका सारा गुस्सा फुर्र हो गया लेकिन वह बच्चा फुर्र से उड़ने में नाकाम था। बड़ी चिड़ियों ने उड़ने का तरीका बताने की बहुत कोशिश की परंतु वह अक्षम था। अब उस बच्चे की मासूमियत और विवशता ने सीमा को सम्मोहित कर लिया। सीमा सारा कार्य भूलकर उस बच्चे को बचाने की जुगत में लग गई। दो-तीन दिन से इधर पानी भी बरसने लगा था। यह मानसूनी बरसात तो न थी परंतु ऐसे पानी गिरता था कि जैसे मानसून आ ही गया हो। बादलों ने आसमान को ढक रखा था। मौसम सुहावना हो गया था परंतु पानी किसी समय आ जाने के डर से फुदकते बच्चे को सीमा छोड़ नहीं पा रही थी। उस बच्चे पर केवल एक ही आफत नहीं थी बल्कि उस पर कुत्तों की भी नजर थी। सीमा ने नजर फेरा नहीं कि उस बच्चे को कुत्ते बिल्ली में से कोई भी चट कर जाता।
अब आकाश में काफी देर से लटके बादलों का धैर्य टूटने लगा। बूंदें टपकने लगीं। चिड़ियों के झुंड ने भी साथ छोड़ना ही बेहतर समझा। भागकर सीमा ने पास में टंगे छाते को ले लिया। पानी की बौछारें हवा के साथ उड़ने लगीं। पानी के डर से घास के नीचे छिपे बच्चे को ढूंढना आसान नहीं लग रहा था। उसे ढूंढने में उस नन्हें बच्चे की मीठी सी आवाज मददगार साबित हो रही थी। पानी की बौछारों ने शोर मचाया था, जिसमें उसकी आवाज का पता नहीं चल पा रहा था। बड़ी देर तक उस आवाज की तलाश में सीमा के कपड़ों का आधा भाग भींग गया। चिंता में मुंह लटकाए वह वहां से घर के कमरे से सटे बरामदे में आ गई। वह अब कमरे में भी नहीं जा सकती थी क्योंकि उसे उस निरीह बच्चे की सुरक्षा की चिंता ने लगातार निगाह रखने पर विवश कर दिया था।
लगातार चली मूसलाधार बारिश ने सीमा की चिंता बढ़ा दी। पानी के हल्के होते ही वह उसी जगह भागी जहां उसने उस नन्हें से मासूम बच्चे को छोड़ा था। दूर से दिख रहे कुत्तों से भी उसे डर था कहीं आकर उसे खा न ले जाएं। उसके नुकसान की कल्पना से वह बहुत परेशान हो गई। अब उस बच्चे को अपने हाथ में लेकर सीमा ने पानी पोंछ दिया। पानी से बचने हेतु दूर उड़ चुकी चिड़ियाँ आ गईं। घंटों उसके उड़ने के इंतजार के बाद शाम का प्रभाव उसकी संरक्षक चिड़ियों को प्रस्थान करने पर विवश कर रहा था। मुसीबत और असुरक्षित समझ सीमा ने बच्चे को अपने रूम में ला रखा।
उसके साथ खेलने में उसको पता ही नहीं चला कि उसका छोटा बेटा भी इस खेल में शामिल हो गया है। नये जीव को देखकर अठारह माह के शुभ की उत्सुकता बढ़ गई। उसे अब छूने का प्रयास शुभ ने किया। अब और सारी जिद छोड़ देव का समय उस चिड़िया के बच्चे के साथ गुजरने लगा। रात के दस बजने को आए। खाना भी बनाने के बाद तक सीमा ने उस बच्चे को नजर के सामने रखा। कुछ देर में शुभ को भी नींद आ गई और उस मुलायम पंखों वाले बच्चे को सीमा ने सुरक्षित एक कार्टून में नीचे कपड़ा बिछाकर सुला दिया। बहुत देर तक चूँ-चूँ की आवाज आती रही। थकी हारी सीमा को कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला। सुबह उठने के बाद पहली नजर उस बच्चे पर पड़ी। बच्चे को दूध पिलाने की कोशिश हुई। वह छोटी सी चोंच खोले पीने का प्रयास कर रहा था।
अब उसे बाहर छोड़ दिया गया। जैसे ही बाहर वह छूटा जैसे उसका इंतजार करते परिवार को अपार खुशी मिली हो। कई चिड़ियाँ पास आकर हालचाल पूछने लगी हों जैसे। वह नन्हा सा बच्चा रात की चिंता से मुक्त हो गया। अभी उसे बिछड़ने का कष्ट था। उसने रात भर सोचा होगा कि अब हम किस कष्ट में फंस गए हैं? परिवार से बात करके वह खुश लग रहा था। बड़ी चिड़ियों ने उसके पास आकर कान में कुछ कहा। फिर उड़ कर दिखाया। बार-बार पास आकर उसे उड़ा कर अपने साथ ले जाने का प्रयास करतीं परंतु वह नन्हा सा बच्चा चाह कर भी उड़ना नहीं सीख पा रहा था। वह अंदर से चाह तो रहा था कि परिवार के साथ उड़कर उनकी तरह पेड़ों पर बैठ जाऊँ और वहां लटके पके आमों का स्वाद लूं। लेकिन अफसोस वह तनिक ऊपर भी नहीं उड़ पा रहा था।
अब सीमा को चिंता हो रही थी कि यदि वह काम में न लगे तो काम करेगा कौन और बच्चे को ना देखे तो उसके जीवन का अंत हो जाएगा। उसने मन में लिए निर्णय के अनुसार सुंदर घर की छत पर उसे ले जाकर रखा और वही खाना भी बनाने लगी। बहुत देर बाद उस नन्हें बच्चे की सुमधुर चूँ- चूँ की आवाज सुनकर परिवार के और चिड़िया सदस्य वहां पहुंच वही प्रयास करने लगे। सीमा चाहती थी कि हे ईश्वर यह नन्हा, निश्छल, निष्कपट बच्चा सुरक्षित अपने परिवार के साथ इस जीवन को जी सके ऐसा आशीर्वाद दीजिए क्योंकि यह इतना छोटा है कि जानता भी नहीं कि यह खतरे में है। इसे तो अपने जन्म का हर्ष भी नहीं और न ही मृत्यु का भय है लेकिन इसे यह भी नहीं पता कि इसकी इस अनभिज्ञता से मेरे मन का जुड़ाव हो गया है। इसके साथ कोई भी अनहोनी मेरी दिनचर्या बिगाड़ कर रख देगी। मैं चाहती हूं यह सुरक्षित रहे और जीवन को जी सके।
घंटों प्रयास करते चिड़िया के परिवार ने भी जैसे हताश होना शुरू कर दिया। उन्हें भी लगने लगा कि अब यह हमारे साथ नहीं जा पाएगा लेकिन उस नन्हें से बच्चे ने अनवरत प्रयास किया। बड़े चिड़िया सदस्यों ने उसे खिलाया भी, उड़ने का तरीका भी बताया। वह नन्हा बच्चा बिना थके दो घंटे तक उड़ाने का प्रयास करता रहा। कुछ देर बाद वह कुछ दूर उड़ने में सफल रहा। उसकी इस छोटी उड़ान को देखकर सीमा उछल पड़ी। उसके होठों पर मुस्कुराहट थी। आंखों में उम्मीद की किरण चमक उठी। वह खाना सुरक्षित कर हाथ पोंछते हुए उस नन्हें परिंदे के पास आकर उसे सहलाने लगी। अपने हथेली पर उठाकर उसने नीचे खड़े एक लड़के से कहा," यदि यह गिरने लगे तो बचाना। कोई जानवर इसे नुकसान न पहुंचाए देखना।"
इतना कहकर सीमा ने हथेली को ऊपर कर बच्चे को उड़ने के लिए छत से नीचे धीरे से छोड़ दिया। डरी हुई सीमा की शरीर में कुछ क्षण बाद जैसे प्राण वापस आया हो। अब बच्चा नीचे गिरने की बजाय अपने पंखों को चलाकर उस पेड़ पर बैठ गया था जहां उसका परिवार बेसब्री से इंतजार कर रहा था। सीमा ने भगवान को धन्यवाद कहा और सुकून से भोजन लेकर नीचे आ गई। आज सीमा बहुत प्रसन्न थी।