Prem chandra Tiwari

Drama Tragedy Inspirational

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Prem chandra Tiwari

Drama Tragedy Inspirational

देव

देव

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उसे नहीं पता था कि वह जहां जा रहा है वह दुनिया की सबसे बदनाम गली है मगर उसने ठान रखी थी कि उसे मकसद को पूरा करना है। दलदल में फंसी लड़की को छुड़ाने का संकल्प ले कर आज इस गली में दर -दर भटकता देव शायद नहीं जानता था कि यहां से निकलना कितना मुश्किल है। उसने अब तक सैकड़ों स्थानों पर पता लगवाया। थक हार कर उसने एक लड़की से संपर्क साधा जो उन्हीं के बीच काम करती थी। वह उस गली में जाकर कई घंटों तक खड़ा रहता कि वह लड़की आकर कभी तो उस फोटो वाली लड़की का पता बताएगी। कई दिनों तक देव को उस गली में खड़े होते देख एक लड़की ने पूछा," यहां कई दिनों से क्यों खड़े रहते हो और किसकी तलाश में हो? यदि हममें से कोई चाहिए तो अंदर आओ देखो आनंद लो और जाओ।

      देव ने विनम्रता से कहा, " बहन मैं किसी एक लड़की की तलाश में भटक रहा हूं जिसे कुछ गुंडों ने उठा लाया है ।"

       हंसते हुए उस वेश्या ने कहा ," यहां तो रोज कोई न कोई बेंच दिया जाता है। किस किसको बचाओगे? यहां जो आकर बिक गया, उसे वापस पाना मुश्किल है।"

        देव ने उससे कहा ,"मुझे उम्मीद है वह मुझे अवश्य मिलेगी। उसे जिन लोगों ने यहाँ लाया है उन्हें मैं बर्बाद कर दूंगा।"

        उस वेश्या ने देव का नाम पूछ कर कहा ,"देव क्या मैं उस लड़की की तस्वीर पा सकती हूं?"

       देव ने एक तस्वीर देते हुए कहा," मैंने कई लोगों से इस तस्वीर को देखकर खोजने की विनती की है लेकिन मुझे विश्वास है आप लोग ही मेरी मदद कर सकती हो।"

         अपनी बिल्डिंग की सीढ़ी पर बैठे निराश देव को उर्वशी नाम की वेश्या ने समझा- बुझाकर अपने कमरे तक चलने को कहा। देव ने उसकी बात मान ली और उर्वशी के साथ अंदर चला गया। वहां उर्वशी ने मालकिन को वह तस्वीर दिखा कर सारी कहानी बताई। मालकिन ने देव की मजबूरी और दुख को ध्यान में रखते हुए आश्वस्त किया कि "वह उसकी मदद अवश्य करेगी।"

  उर्वशी का धन्यवाद करते हुए देव ने जल ग्रहण कर उस लड़की का जिक्र किया जिसने पता लगाने का संकल्प लिया था और कई दिनों से नहीं मिल पाई थी। देव ने कहा," उर्वशी वहां सीढ़ी पर रहना होगा जिससे वह मिल सके नहीं तो मेरे पास कोई पता ही कहां है?"

          उर्वशी आश्वस्त करते हुए देव के साथ सीढ़ियों पर जा बैठी और पूछने लगी ,"यह सब कैसे हुआ और वह कौन है जिसे खोजने के लिए इतने परेशान हो?"

         देव ने उर्वशी से बताना शुरू किया ," वह एक बड़े घर की लड़की है परंतु मैं नहीं जानता कि उसका इस तरह का यहाँ भी संबंध है। बस उसके बारे में मैं इतना ही जानता हूं कि उसने मुझे भाई कहा लेकिन उसे मैं बचा नहीं पाऊंगा या उस पर इतनी समस्याएं हैं यह भी नहीं जान पाया। सच तो यह है कि उसके बारे में मैं पूरा नहीं जानता । मुझे तकलीफ केवल इस बात से है कि उसने मुझे भाई कहा और एक भाई के सामने से उसकी बहन को अगवा किया गया। आप ही बताइए मैं क्या करूं ? क्या उसे भूल जाऊं? क्या उसे न खोजूँ?

            देव की आंखों से अश्रु धारा बह रही थी। तिलमिला रहे देव की निगाहें हर तरफ उसे खोज रही थीं। हर एक लड़की में उसे वही तस्वीर नजर आती थी। 

 काफी रात बीत गई और वहां कोई वापस नहीं आया। उर्वशी ने देव को समझाने की कोशिश की और देव को वापस अपने कमरे में ले गई। बहुत समझाने के बाद देव और उर्वशी ने साथ खाना खाया। देव को सारी रात नींद नहीं आई। उसे हर तरफ वही चेहरा दिखाई दे रहा था। सुबह होते-होते कब आंख लगी पता नहीं चला।

         उर्वशी सुबह उठकर कमरे को साफ-सुथरा करके नाश्ता बनाने लगी। मौसी ने उर्वशी को बुलाया," उर्वशी तेरे कमरे में कौन है? मैंने इसलिए नहीं पूछा कि तेरा कोई रिश्ते वाला होगा? 

          उर्वशी ने विनम्रता से मौसी से कहा," नहीं मौसी रिश्ते वाला तो नहीं बल्कि उससे भी महत्वपूर्ण है। परिस्थितियों का मारा इंसान है। अपनी बहन को ढूंढता हुआ इस बदनाम गली में चला आया है। शायद हमारी सहायता से इसे मंजिल मिल जाए।"

          उर्वशी हमारे धंधे में भावनाएं तो होती हैं पर उनकी कीमत नहीं होती। हम होते हैं पर दूसरों के लिए। हमारा हंसना, मुस्कुराना, रोना, बोलना, लेना-देना सब दूसरों की कीमत पर होता है। इसमें हमारा कुछ नहीं होता। अपना नुकसान ना करना। ऐसे लोग बहुत हैं इस दुनिया में ।" मौसी ने समझाया

         उर्वशी ने मौसी से कहा," आप हम लोगों की मां हैं। हमने अपनी मां को तो नहीं देखा परंतु हर दुख- सुख आपसे ही कहते हैं। हमारा संसार हैं आप। जब तकलीफ आती है तो हम आपसे कहते हैं। इस दुख में भी आप साथ दीजिए प्लीज।"

           "तुम बड़ी भावुक हो उर्वशी। इस कोठे पर केवल सौदा होता है। जहां सौदा होता है वहां भावनाएं मृतप्राय हो जाती हैं फिर भी हम पता लगवाएंगे।" मौसी ने ढाँढस दिया ।

       हफ्ते बीत जाने के बाद देव को निराशा होने लगी। उर्वशी भी निराश होने लगी क्योंकि उसका भी नुकसान होने लगा था। देव से कुछ कह पाना मुश्किल हो रहा था। देव ने वहां से हट जाना ही उचित समझा। उसने घर वापस जाने का बहाना बनाकर उर्वशी से फिर आने की बात कहा। वह उस बिल्डिंग से निकलकर सड़क के किनारे से चलता हुआ लगभग आधे किलोमीटर पहुंच गया था। तभी पीछे से आवाज आई ," कहां चल दिए? हमने तो आपसे वादा किया था कि ढूंढने में हम आपकी मदद करेंगे।"

         पलट कर देव ने देखा और आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा ," बहुत पहले मिली लड़की के साथ एक और लड़की खड़ी थी। उसने देव से कहा, 

 "भैया मैं जानती हूं कि आपकी बहन कहां होगी?

 आश्चर्य से इधर-उधर देखते हुए देव ने पूछा," कहां है मेरी बहन?" 

       "आइए मेरे साथ इस कार में बैठिए।"- और तीन लोग कमाठीपुरा की दूसरी सड़क की तरफ चले गए।

       आगे- आगे दोनों लड़कियां और पीछे देव भागता इधर उधर देखता, खोजता चल रहा था। बहुत खोजबीन करने के बाद उसका एक अनुमानित पता मिला। कोठे पर एक लड़की ने बताया," इस लड़की का ठिकाना इसी जगह था परंतु उसकी अधिक मांग के कारण दूसरे शहर ले जाने की तैयारी चल रही है।"

         देव की उत्सुकता बढ़ गई ,"वह इस समय कहां होगी बहन? वहां मुझे ले चलो ।"

      उस लड़की ने बताया, "वहां जाना बहुत कठिन है। वहां तक पहुंच कर दूर से दिखा सकती हूँ।"

     देव ने कहा," चलो मुझे दिखा कर तुम चली आना।"

          लड़की ने फिर डरते हुए कहा ," परंतु वे लोग यह जान गए कि पता मैंने बताया तो मेरी फजीहत हो जाएगी। आखिर मुझे रहना यहीं है।"

          देव ने परिस्थिति को जानकर कहा ," नहीं आपको कोई छू तक नहीं सकता। एक बार वह मिल जाए बस। मैं उन सभी का खेल खत्म कर दूंगा और रही बात आपकी सुरक्षा की, विश्वास करिए हम एक साथ रह लेंगे ।" उस लड़की की आंखों में आंसू आ गए।

        सभी कार से वहां पहुंचे। दूर से उसने एक परिचित को बुलाकर पूछा," क्या यहां से लोग गए?"

    उस परिचित ने बताया,   " नहीं.. जाने वाले हैं। तुम्हारे साथ ये लोग कौन हैं?"

          उस लड़की ने हाथ जोड़ते हुए उन महानुभाव से विनती की ," भाईजान उसमें इस आदमी की मासूम बहन भी है जिसे आपकी मदद चाहिए।"

          "परंतु तुम जानती हो वह सभी हथियार से सुसज्जित हुआ करते हैं वहां जाने का तात्पर्य मौत।" उस व्यक्ति ने बताया था।

      देव ने विनती करते हुए विश्वास दिलाने की कोशिश की, "मैं स्वयं मर जाऊंगा लेकिन आपको कुछ नहीं होने दूंगा। आप मेरे भगवान हैं। कृपा करके यह सहायता कर दीजिए। मैं जीवन भर यह एहसान नहीं भूलूंगा।"  

           बहुत सोचने के बाद वह व्यक्ति तैयार हुआ। गोपनीय रास्ते से दोनों लोग वहां पहुंचे। काफी चालाकी से वेशभूषा बदलकर उन सारी लड़कियों में विशेष को पहचानने का प्रयास करते हुए देव की नजर लक्ष्य पर रुक गई। इशारों से देव ने उस व्यक्ति को बताया।

        फौजी देव कद- काठी से बहुत मजबूत था। वह अपनी बहन को देख लेने के बाद बेचैन हो उठा। उसने उसे छुड़ाने का शुभारंभ एक गनर से कर दिया। छुपते- छुपाते वहां कंटेनर तक पहुंच गया परंतु उसे जानने के बाद गोलियां चलने लगीं। उसने वहां अपना असली रूप दिखाया। उसने इस युद्ध को जीतने का मन बना लिया और सभी पचास से अधिक लड़कियों को छुड़ाने के लिए आतताइयों को मौत के घाट उतारना शुरू कर दिया। अचानक मची तबाही से घबराए मुखिया भी वहां आ धमके। देव ने उनकी औकात बताते हुए सभी को छुड़ा लिया।

        देव की बहादुरी की सराहना पूरे इलाके में होने लगी। देव अपने साथ उस लड़की को भी ले आया जिससे उसने वादा किया था।



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