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Dr. Pradeep Kumar Sharma

Fantasy Inspirational

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Dr. Pradeep Kumar Sharma

Fantasy Inspirational

निर्णय

निर्णय

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लघुकथा 


सर, इतनी जल्दी आपने प्रतियोगिता में शामिल हुईं इक्कीस पुस्तकों का अध्ययन कर निर्णय कैसे ले लिया ?पुरस्कारदात्री संस्था के संयोजक ने वयोवृद्ध निर्णायक से पूछा ।


बेटा, ईमानदारी से कहूँ तो मैं इस प्रतियोगिता में शामिल इक्कीस पुस्तकों में से छह पुस्तकों का ही पूरा अध्ययन किया हूँ । बाकी पंद्रह पुस्तकें तो पढ़े बिना ही किनारे लगा दिया । निर्णायक ने कहा ।


मतलब... बिना पढ़े ही ? संयोजक चकित थे ।


देखो बेटा, तुम्हारी भेजी हुई इक्कीस में से पंद्रह पुस्तकें ऐसी थीं, जिनके या तो आवरण पृष्ठ, साहित्यकार का परिचय और उनकी अपनी बात में ही दर्जनों व्याकरण एवं वर्तनीगत अशुद्धियाँ थीं या फिर उनमें उनकी गर्वोक्ति झलक रही थी, जैसे अपने ही नाम के साथ वरिष्ठ कवि, समीक्षक, व्यंग्य कार, वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर, राष्ट्रपति से सम्मानित लिखा हुआ था। मैं अपना निर्णय रचना की श्रेष्ठता के आधार लेता हूँ, रचनाकार का परिचय देखकर नहीं।


निर्णायक की बात सुनकर संयोजक गदगद हो गए।



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